कोलकाता (अमित शर्मा) : मवेशी तस्करी मामले में बुधवार को सीबीआइ ने बशीरहाट के एक व्यवसायी के घर पर सीबीआइ ने छापा मारा. साथ ही तृणमूल युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं ममता बनर्जी के भतीजा अभिषेक बनर्जी के करीबी बताये जाने वाले विनय मिश्रा के खिलाफ आसनसोल स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत से गैर-जमानती वारंट जारी किया गया.
इससे पहले, बुधवार को सीबीआइ ने मवेशियों की तस्करी के मामले में बशीरहाट स्थित बारिक विश्वास नामक एक व्यवसायी के ठिकाने पर छापेमारी की. उनके आवास में रखे दस्तावेजों को खंगाला गया. विश्वास एनामुल का करीबी बताया जा रहा है.
सीबीआइ ने पिछले साल 21 सितंबर को मवेशियों की तस्करी मामले में शिकायत दर्ज की थी, जिसकी जांच जारी है. भारत-बांग्लादेश सीमावर्ती इलाकों में मवेशियों की तस्करी व अवैध कोयला खनन के मामलों में पूछताछ के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने तृणमूल युवा कांग्रेस के महासचिव व व्यवसायी विनय मिश्रा के आवास पर चार बार नोटिस भेजा, लेकिन वह अधिकारियों के समक्ष पेश नहीं हुए.
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ऐसे में सीबीआइ ने विनय मिश्रा के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी करने की याचिका आसनसोल स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत में दाखिल की, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया. इसके साथ ही विनय मिश्रा के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया गया.
उल्लेखनीय है कि मवेशियों की तस्करी के मामले में प्रमुख आरोपी एनामुल हक (इनामुल) व अवैध कोयला खनन मामले के प्रमुख आरोपी माने जा रहे अनूप माझी उर्फ लाला और विनय मिश्रा के बीच संबंधों का पता लगाने के लिए सीबीआइ उनसे पूछताछ करना चाहती है. सीबीआइ के अधिकारी मिश्रा के ठिकानों पर छापेमारी भी कर चुके हैं, लेकिन अभी तक उनका पता नहीं चल पाया है.
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सीबीआइ की कार्रवाई से बचने के लिए विनय मिश्रा देश छोड़कर फरार न हो जाये, इसलिए उनके खिलाफ पहले से ही लुकआउट नोटिस जारी है. श्री मिश्रा के बारे में पता लगाने के लिए उनके भाई विकास मिश्रा से भी पूछताछ हो चुकी है. बताया जा रहा है कि उनके दिये बयान में भी विसंगतियां मिलीं हैं. सीबीआइ विकास से फिर पूछताछ कर सकती है.
विनय मिश्रा तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी के करीबी भी माने जाते हैं. मवेशियों की तस्करी के मामले में एनामुल हक और बीएसएफ के कमांडेंट सतीश कुमार की गिरफ्तारी हो चुकी है. अवैध कोयला खनन मामले का मुख्य आरोपी लाला अभी भी फरार है. दोनों ही मामलों में सीबीआइ की जांच के दायरे में पुलिसवाले और सरकारी अफसरों के अलावा कई प्रभावशाली लोग भी लिप्त हैं.
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Posted By : Mithilesh Jha