Bengal News, Asansol News, आसनसोल (शिवशंकर ठाकुर) : पश्चिम बंगाल में अवैध कोयला कारोबार का मुख्य सरगना अनूप माजी उर्फ लाला और उसके सहयोगी रत्नेश वर्मा को CBI ने भगोड़ा करार दिया है. वहीं, CBI, आसनसोल की विशेष अदालत ने दोनों आरोपियों के खिलाफ 11 फरवरी, 2021 तक कोर्ट में हाजिर होने संबंधी नोटिस जारी किया है. कोर्ट की ओर से जारी प्रति को दोनों आरोपियों के आवास, कार्यालय के अलावा भीड़भाड़ वाले विभिन्न जगहों पर गुरुवार को चिपकाया. कोयला कांड में दोनों के खिलाफ CBI कोर्ट से अरेस्ट वारंट जारी हुआ था. काफी तलाश के बाद भी CBI इन्हें गिरफ्तार नहीं कर पाने पर नोटिस जारी किया.
बता दें कि CBI ने नितुरिया (पुरुलिया) थाना क्षेत्र के भामूरिया इलाके निवासी अनूप माजी ऊर्फ लाला और उसका सहयोगी हीरापुर (पश्चिम बर्दवान) थाना क्षेत्र अंतर्गत बलतोड़िया इलाके का निवासी रत्नेश वर्मा को भगोड़ा बताते हुए नोटिस जारी किया है.
मालूम हो कि कोयला कांड में सीबीआई की भष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने 27 नवंबर, 2020 को प्राथमिकी दर्ज कर 28 नवंबर, 2020 को 4 राज्य बंगाल, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के 45 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी. ECL के 5 अधिकारियों के साथ लाला को नामजद आरोपी बनाया गया है. मामले में लाला से पूछताछ के लिए CBI ने 3 बार नोटिस जारी किया.
पहला नोटिस मिलने के बाद उसकी पत्नी अपने 3 वकीलों के साथ CBI ऑफिस कोलकाता पहुंची और बताया कि उसके पति व्यवसाय के सिलसिले में बाहर गये हैं. इसके बाद CBI ने और 2 नोटिस जारी किया. इस बीच लाला अपने परिवार को भी भामूरिया से कहीं दूसरे जगह भेज दिया. नोटिस देने गये CBI अधिकारियों को घर पर कोई नहीं मिला, तो नोटिस दरवाजे पर चिपका दी गयी.
CBI ने लुकआउट नोटिस भी जारी किया, ताकि लाला देश से बाहर न भाग सके. इस दौरान लाला के सहयोगी रत्नेश वर्मा को भी नोटिस भेजी गयी. वह भी CBI के समक्ष हाजिर नहीं हुआ. दोनों की गिरफ्तारी के लिए CBI कोर्ट से अरेस्ट वारंट जारी हुआ. CBI ने दोनों को गिरफ्तार नहीं कर पायी. मामले में लाला के साथ प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जुड़े अन्य लोगों के आवास पर कार्यालयों पर छापेमारी जारी है.
कोर्ट से जारी अरेस्ट वारंट के आधार पर लाला और रत्नेश की गिरफ्तारी नहीं होने पर कांड के जांच अधिकारी CBI, एसीबी कोलकाता के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उमेश कुमार ने अदालत में दोनों को भगोड़ा बताते हुए अगली कार्रवाई की अपील की. जिसके आधार पर अदालत ने दोनों के खिलाफ नोटिस जारी किया.
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नियमानुसार जारी नोटिस की प्रति आरोपियों के आवास, कार्यालय और भीड़भाड़ वाले जगहों पर चिपकायी जाती है, जिसे देख कर उसके रिश्तेदार या उन्हें पहचानने वाले अन्य लोग उसे सूचना दे सकें कि कोर्ट में उसे हाजिर होने का आदेश जारी हुआ है. इसके उपरांत भी निर्धारित समय में अदालत के समक्ष पेश नहीं होने पर कोर्ट उसकी संपत्ति जब्ती के लिए वारंट ऑफ प्रोक्लेमेशन एंड अटेचमेंट (कुर्की) का आदेश जारी कर सकती है. दोनों के खिलाफ भी इसी प्रक्रिया के तहत CBI आगे बढ़ रही है.
Posted By : Samir Ranjan.