अटल बिहारी वाजपेयी के अधूरे कार्य को रामविलास पासवान ने पूरा किया

इस्को इस्पात संयंत्र (आइएसपी) के सेल में विलय करने का श्रेय, वर्ष 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को दिया जाता है. इस बारे में भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य शंकर चौधरी ने बताया कि 1996 में 10 फरवरी को भाजपा के विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी आसनसोल के पोलो मैदान में जनसभा करने के लिए आय थे.

By Prabhat Khabar News Desk | December 30, 2024 9:48 PM

बर्नपुर.

इस्को इस्पात संयंत्र (आइएसपी) के सेल में विलय करने का श्रेय, वर्ष 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को दिया जाता है. इस बारे में भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य शंकर चौधरी ने बताया कि 1996 में 10 फरवरी को भाजपा के विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी आसनसोल के पोलो मैदान में जनसभा करने के लिए आय थे. सभा मंच से उन्होंने घोषणा की थी कि जब भाजपा की सरकार आयेगी तो इस्को का आधुनिकीकरण किया जायेगा. 19 मार्च 1998 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) – दो की सरकार बनी तो श्री वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. वर्ष 1998 में इस्को को बीआइएफआर से निकालकर आधुनिकीकरण की सूची में शामिल किया जा चुका था. एनडीए सरकार ने आधुनिकीकरण के लिए दस हजार करोड़ रुपये आवंटित कर दिये थे. लोक जनशक्ति पार्टी के रामबिलास पासवान भी एनडीए सरकार का हिस्सा थे. वर्ष 2004 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार बन गयी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने. लोक जनशक्ति पार्टी के रामविलास पासवान यूपीए का समर्थन कर केबिनेट मंत्री बन गये. तत्कालीन इस्पात मंत्री रामविलास पासवान ने अटल बिहारी वाजपेयी के अधूरे कार्य को पूरा किया. इस्को का सेल में विलय तथा आधुनिकीकरण का कार्य वर्ष 2006 में प्रारंभ हुआ.

जिसका शिलान्यास करने के लिए डॉ मनमोहन सिंह बर्नपुर आये थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य इस अवसर पर उनके साथ मंच पर उपस्थित थे. लेकिन इस्को कारखाना का सेल में विलय और आधुनिकीकरण का संकल्प अटल बिहारी बाजपेयी ने लिया था. एनडीए सरकार में रहते हुए उन्होंने दस हजार करोड़ रुपये आवंटित कर दिये थे. परियोजना में देरी के कारण खर्च बढ़कर 18 हजार करोड़ रुपये हो गया था. बाद में परियोजना के खर्च को बढ़ाया गया.

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