कोलकाता मेडिकल कॉलेज में दाखिला दिलाने के नाम पर 18.25 लाख रुपये की धोखाधड़ी

कोकओवन थाना क्षेत्र के दुर्गापुर सागरभांगा जेपी एवेन्यू इलाके की निवासी पापिया मुखर्जी को साइबर अपराधियों ने उनके बेटे को कोलकाता मेडिकल कॉलेज में एडमिशन दिलाने के नाम पर 50 हजार और 17,75,232 रुपये की ठगी कर ली. पैसे लेने के बाद अपराधियों ने उनका फोन कॉल उठाना बंद कर दिया और ईमेल पर भी कोई जवाब नहीं दिया.

By Prabhat Khabar News Desk | October 19, 2024 9:40 PM

आसनसोल.

कोकओवन थाना क्षेत्र के दुर्गापुर सागरभांगा जेपी एवेन्यू इलाके की निवासी पापिया मुखर्जी को साइबर अपराधियों ने उनके बेटे को कोलकाता मेडिकल कॉलेज में एडमिशन दिलाने के नाम पर 50 हजार और 17,75,232 रुपये की ठगी कर ली. पैसे लेने के बाद अपराधियों ने उनका फोन कॉल उठाना बंद कर दिया और ईमेल पर भी कोई जवाब नहीं दिया. उसके बाद उन्हें समझ में आया कि वे साइबर ठगी की शिकार बन चुकी हैं. जिसकी शिकायत उन्होंने साइबर क्राइम थाना आसनसोल में की. उनकी शिकायत के आधार पर कांड संख्या 87/24 में बीएनएस की धारा 319(2)/318(4)/316(2)/61(2) के तहत प्राथमिकी दर्ज हुई. श्रीमती मुखर्जी ने अपनी शिकायत में बताया कि सितंबर 2024 में उन्हें 8583806069 और 8583967102 नम्बरों से फोन आया. कॉल करनेवाले ने खुद को एडमिशन एडुकेयर कंसल्टेंसी संस्था दिल्ली का अधिकारी बताया. उन्होंने गारंटी देते हुए कहा कि उनके बेटे को वे कोलकाता मेडिकल कॉलेज में सेंट्रल पूल कोटा के माध्यम से दाखिला दिला देंगे. उनलोगों का दावा आकर्षक लगा और बातों पर भरोसा भी हो गया. जिसके बाद एडमिशन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए उनलोगों ने निर्देश पर 50 हजार रुपये का भुगतान किया. उसके बाद अनेकों मेल आया. भरोसा और मजबूत हो गया. पांच सितंबर से पांच अक्तूबर के बीच उनके निर्देश पर कुल आठ किस्तों में 17,75,232 रुपये का भुगतान उनके द्वारा दिये गए बैंक अकाऊंट में किया. इस बीच कोलकाता मेडिकल कॉलेज के आवंटन पत्र युक्त एक मेल भी आया था. बाद में मैसेज आया कि एडमिशन रद्द हो गया है. उसके बाद से श्रीमती मुखर्जी उनलोगों से संपर्क करने का लगातार प्रयास किया, लेकिन हर प्रयास नाकाम हुआ. जिसके बाद उन्हें समझ आ गयी कि वह साइबर ठगी की शिकार हो चुकी है. इसकी शिकायत उन्होंने साइबर क्राइम थाने में दर्ज करायी.

डिजिटल डिवाइस के जरिये जानकारी पहुंच रही शातिरों के पास

साइबर एक्सपर्ट आर राव ने बताया कि हम जिन डिजिटल डिवाइस मोबाइल, लैपटॉप, डेस्कटॉप आदि का उपयोग करते हैं, इसके माध्यम से ही साइबर अपराधी हमारे हर गतिविधि की निगरानी करते हैं. कुछ भी जानकारी हासिल करने के लिए हम गूगल पर सर्च करते हैं. सर्च की हुई हर जानकारी अनेकों जगह पहुंच जाती है. जिसमें साइबर अपराधी भी शामिल हैं. साइबर अपराधी अपने हिसाब से उस जानकारी को लेकर ही आपको कॉल करते हैं, मैसेज भेजते हैं. श्रीमती मुखर्जी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ होगा. मेडिकल कॉलेज में दाखिला को वे कभी न कभी इंटरनेट पर कुछ जानकारी हासिल करने का प्रयास किया होगा. जिसके आधार पर ही ठगों को पता चला कि उनके घर में किसी को मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेना है. जिसके आधार पर ही उनलोगों ने उन्हें कॉल किया और अपने जाल में फंसाया. पुलिस उपायुक्त (मुख्यालय व साइबर क्राइम) डॉ. अरविंद आनंद ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने के लिए अज्ञात लोगों पर भरोसा करके इतनी बड़ी रकम देना समझ से परे है. लालच और डर साइबर ठगों का मुख्य हथियार है. जागरूकता से ही इसपर अंकुश लग सकता है.

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