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आस्था : श्यामारूपा मंदिर में हुआ कौशिकी अमावस्या पर हवन-यज्ञ

पश्चिम बर्दवान जिले के कांकसा बनकाठी अंचल के जंगलमहल के मध्य मौजूद श्यामारूपा मंदिर में मंगलवार को कौशिकी अमावस्या को देखते हुए पूजा अर्चना के साथ हवन और यज्ञ का आयोजन किया गया.

पानागढ़.

पश्चिम बर्दवान जिले के कांकसा बनकाठी अंचल के जंगलमहल के मध्य मौजूद श्यामारूपा मंदिर में मंगलवार को कौशिकी अमावस्या को देखते हुए पूजा अर्चना के साथ हवन और यज्ञ का आयोजन किया गया. हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी नवद्वीप का शिव भक्त ब्राह्मण समाज इस यज्ञ का आयोजन कर रहा है. गत 10 वर्षों से यह परंपरा जारी है. मंगलवार को 800 किलो बेल की लकड़ी और 10 किलो देशी घी से यज्ञ किया गया.

ऐसा कहा जाता है कि भाद्र मास की अमावस्या के दिन बामदेव को सिद्धि प्राप्त हुई थी. तभी से तांत्रिक और ज्योतिष सिद्धि प्राप्त करने की आशा से कौशिकी अमावस्या की रात को तंत्र क्रिया की जाती रही है. तारापीठ में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है. हालांकि, कौशिकी अमावस्या तिथि पर राजा लक्ष्मण सेन की आराध्य देवी कांकसा के गढ़ जंगल के श्यामरूपा मंदिर में भी यज्ञ किया जाता है.

नवद्वीप का शिव भक्त ब्राह्मण समाज यज्ञ करने आता है. मंत्र का जाप 12 घंटे तक चलता है. इस दौरान विश्व भर के लोगों के कल्याण की कामना की जाती है. श्यामारूपा मंदिर में राज्य के इस अनूठे यज्ञ में दूर-दूर से श्रद्धालु जुटते हैं. नवद्वीप के एक शिव भक्त बाबूलाल गोस्वामी का कहना है कि वे पिछले 10 वर्षों से यज्ञ के लिए श्यामारूपा मंदिर में आ रहे हैं. देश के विभिन्न हिस्सों में अधर्म की घटनाएं हो रही हैं. वह अधर्म के विनाश और संपूर्ण विश्व के लोगों के कल्याण की कामना करते हैं.

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