प्रणव कुमार बैरागी, बांकुड़ा
गन्ने के छिलकों का उपयोग करके जिले की एक कारीगर अर्पिता ने देवी दुर्गा की मूर्ति गढ़ दी है. इस मूर्ति में देवी दुर्गा के दो रूपों को दर्शाया गया है. शहर के पाठकपाड़ा की रहनेवाली कलाकार अर्पिता सरकार गन्ने के बेकार छिलकों से जगदंबा की मूर्ति गढ़ कर सुर्खियों में आ गयी हैं. यह कारनामा उन्होंने पहली बार नहीं किया. इससे पहले वह पेंसिल से लेकर लहसुन के बारीक छिलकों, नारियल की छाल के सहारे मूर्ति बनाने का काम कर चुकी हैं. इस बार गन्ने के छिलकों से आठ इंच की देवी की प्रतिमा गढ़ दी है. साथ में सिंह और महिषासुर को भी दिखाया है. लेकिन इस बार मूर्ति कुछ अलग है. थीम मूर्ति सजावट के समान है. अर्पिता के सुघड़ हाथ से बनी मूर्ति देखते ही बन रही है. इस मूर्ति में देवी दुर्गा के शरीर दो भागों में बंटा हुआ है. एक स्वरूप महिषासुरमर्दिनी का और दूसरा दुर्गतिनाशिनी का झलक रहा है. देवी के गले पर आभूषण सजे हैं और दूसरी ओर लटकती रस्सी है. इस छोटी प्रतिमा के जरिये कारीगर ने समाज में बड़ा संदेश देने की कोशिश की है. इसके जरिये समाज में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को भी दर्शाने का प्रयास किया गया है. देवी स्वयं हथियार उठाये हुए दिख रही हैं. गन्ने के डंठल व छिलकों के इस्तेमाल से बनी मां दुर्गा की प्रतिमा दर्शनीय है. अर्पिता देवी के थीम का उद्देश्य समाज की महिलाओं को हिंसा से बचाना है. हर महिला के अंदर मां का वास होता है. इसलिए उनके ऐसे विचार हैं कि देवी मां की मूर्ति की कलात्मक सजावट सभी दिशाओं में फैले . अर्पिता ने बताया कि करीब एक माह तक हर रात थोड़ा-थोड़ा करके यह मूर्ति बना पायी हैं. उनका उद्देश्य आसुरी प्रवृत्ति के लोगों से समाज को बचाना है. समाज की महिलाओं के एक ही तन में दो स्वरूप होने चाहिए. अगर आपके सामने कोई राक्षस आ जाये, तो आपको हथियार उठाना होगा. अब भगवती से प्रार्थना है कि वह समाज की महिलाओं को इतना सबल बनायें कि कोई भी मानव रूपी राक्षस या असुर उसका अहित ना कर सके.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है