पानागढ़ : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में बढ़ते वर्जित प्लास्टिक तथा प्लास्टिक के अन्य रूपों के जंजालों को लेकर गहरी चिंता जाहिर की है. इन वर्जित प्लास्टिक के कारण पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है. यही कारण है कि देश में इन वर्जित प्लास्टिकों के बढ़ते कचरों के जंजाल से मुक्ति दिलाने हेतु भारत की नवरत्न संस्था इंडियन ऑयल ने एक युगांतकारी फैसला लिया है. इंडियन ऑयल वर्जित प्लास्टिक के कचरों से तेल बनाने का निर्णय लिया है. देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर देश में छह किस्म के प्लास्टिकों पर बैन लगाया गया है. प्रधानमंत्री ने देश को प्लास्टिक मुक्त भारत बनाने पर जोर दिया है. मिली जानकारी के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष एक करोड़ 40 लाख टन वर्जित प्लास्टिकों का कचरा एकत्र होता है.
यह प्लास्टिक पर्यावरण की दृष्टिकोण से कितना नुकसानदायक है, इसे लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की है. विशेषज्ञ इन वर्जित प्लास्टिक के जंगलों को रिसाइक्लिंग कर पुन: उसे व्यवहार में लाने को लेकर विश्लेषण कर रहे हैं. वर्जित प्लास्टिक को पुनः व्यवहार में लाने को लेकर वैज्ञानिक तथा शोधकर्ता इस कार्य में लगे हुए हैं. इसी बीच इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने इन वर्जित प्लास्टिकों से तेल बनाने का निर्णय लिया है. वर्जित प्लास्टिक के पुन: व्यवहार को लेकर इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के गवेषक विगत कई वर्षों से इस कार्य में लगे हुए थे.
इंडियन ऑयल के गवेषकों को प्राथमिक तौर पर यह सफलता मिलती नजर आई है. इंडियन ऑयल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि एक 100 टन वर्जित प्लास्टिक से 50 से 60 टन तेल का उत्पादन किया जा सकता है. बताया जाता है कि जापान और चीन में इस पद्धति से तेल का उत्पादन की संभावना की तलाश की गई है. इन दोनों देशों से मिले आंकड़े से इस बात की पुष्टि की गई है. संस्था के अधिकारी क्षेत्र से मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि वर्ष 2022 में केंद्र सरकार की सहायता से देश में मौजूद वर्जित प्लास्टिकों को पुनः व्यवहार में लाकर उनसे व्यवहारिक तेल का उत्पादन किया जाएगा. यह बीड़ा इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने उठाया है.