12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बोलपुर कोपाई नदी से दिनदहाड़े हो रहा बालू खनन

बीरभूम जिले के बोलपुर थाना क्षेत्र में कोपाई नदी से दिनदहाड़े अवैध रूप से बालू निकाल कर उसकी तस्करी की जा रही है. इससे स्थानीय ग्रामीणों में रोष है. उनकी शिकायत है कि पुलिस प्रशासन की नाक के नीचे ही बालू माफिया यहां से अवैध रूप से बालू खनन करा रहे हैं.

बोलपुर.

बीरभूम जिले के बोलपुर थाना क्षेत्र में कोपाई नदी से दिनदहाड़े अवैध रूप से बालू निकाल कर उसकी तस्करी की जा रही है. इससे स्थानीय ग्रामीणों में रोष है. उनकी शिकायत है कि पुलिस प्रशासन की नाक के नीचे ही बालू माफिया यहां से अवैध रूप से बालू खनन करा रहे हैं. प्रशासन को ठेंगा दिखा कर अवैध रूप से बालू खनन खुलेआम चल रहा है. स्थानीय लोगों की यह भी शिकायत है कि बालू के अवैध खनन से नदी की भौगोलिक विविधता खोती जा रही है.

इसे लेकर लाभपुर के लोग भी नाराज हैं. दरअसल, कोपाई नदी को लेकर साहित्यकार ताराशंकर बनर्जी ने अपने उपन्यास ’हंसुली बैंकेर उपकथा’ में काफी उल्लेख किया है. कोपाई नदी का हंसुली के रूप में भी उल्लेख किया है. उपन्यास 1946 और 1951 के बीच लिखा गया था. यह उपन्यास पहली बार वर्ष 1951 में प्रकाशित हुआ था. कालांतर में दूर-दराज के सैलानियों और आम लोगों के लिए कोपाई नदी का तटीय क्षेत्र सपनीले पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो गया. इसके चलते जिले में सालभर सैलानी आते रहते हैं. लेखक व शोधकर्ता भी आते है.

मालूम रहे कि लाभपुर की पर्यटन क्षमता को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने हंसुली बैंक के सौंदर्यीकरण के लिए कई परियोजनाएं शुरू कीं. लाभपुर के विधायक व तृणमूल की जिला कोर कमेटी के सदस्य अभिजीत सिंह ने भी विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया था. वहां नजर मीनार, नाइट बस कॉटेज, पार्क कैफेटेरिया सहित विभिन्न योजनाएं शुरू की गयी हैं. करीब एक करोड़ 25 लाख रुपये का बजट शासन को भेजा गया है. लेकिन स्थानीय लोगों की शिकायत है कि जिला प्रशासन की उपेक्षा व उदासीनता से बालू माफिया खुलेआम हंसुली तट से बालू व मिट्टी निकाल कर उसकी तस्करी कर रहे हैं. सब कुछ होते हुए भी स्थानीय प्रखंड प्रशासन, पुलिस प्रशासन मौन है. जिला प्रशासन से जुड़े सूत्रों की मानें, तो कोपाई नदी में वैधानिक तट नहीं है. हालांकि, यह पता नहीं चल पाया है कि माफिया कैसे, किसके सहयोग से कई दिनों से खुलेआम बालू का खनन कर रहे हैं. कई ट्रैक्टर नदी के तटों को काटते हैं और विभिन्न स्थानों पर बालू को तस्करी के लिए अलग-अलग ठिकानों पर ले जाते हैं और ऊंचे दाम में उसे बेच देते हैं.

क्या कहते हैं संस्कृतिकर्मी

जिले के संस्कृतिकर्मी उज्ज्वल मुखोपाध्याय व केदारनाथ आचार्य कहते हैं कि मामले में जिला प्रशासन को उचित कार्रवाई करनी चाहिए. इससे कोपाई नदी का तटीय क्षेत्र अ्च्छे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित होगा. लाभपुर के तृणमूल ब्लॉक अध्यक्ष तरुण चक्रवर्ती ने कहा कि कोपाई नदी से बालू व मिट्टी को निकाल कर उसकी तस्करी दुर्भाग्यपूर्ण है. प्रशासन से अनुरोध है कि कोपाई (हंसुली) नदी के तट की प्राकृतिक सुंदरता किसी भी तरह से नष्ट ना हो. आनेवाले दिनों में कोपाई नदी के सौंदर्यीकरण के साथ-साथ भौगोलिक विविधता की रक्षा के लिए उचित कदम उठाये जायेंगे. लाभपुर के बीडीओ शिष्तोष प्रमाणिक कहते हैं, “सतर्कता व निगरानी की कमी सही नहीं है. पर हमें ये शिकायत मिली है. प्रशासनिक स्तर पर निगरानी के साथ जांच भी करायी जायेगी. दोषी पर कानूनी कार्रवाई भी होगी. मगर अभी तक कोपाई नदी से बालू के अवैध खनन पर अंकुश लगाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं बढ़ाया गया है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें