आसनसोल/रूपनारायणपुर.
चित्तरंजन रेल नगरी में स्थित फतेहपुर सिमजुड़ी लेक में बोरा भर-भर कर दवाएं फेंकने को लेकर लोगों में काफी रोष फैल गया है. इसे लेकर साइबेरियाई पक्षियों का गढ़ है. ठंड के इन दिनों में हजारों की संख्या में साइबेरियन पक्षी यहां आते हैं और जिन्हें देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं. ऐसी लेक में भारी मात्रा में दवाएं फेंके जाने से करीब 15 लाख रुपये की मछलियां मरने का आरोप अनुभव एंड कंपनी के मालिक अभिषेक कुमार सिंह ने लगाया है. यह लेक उक्त कंपनी को 58 लाख रुपये में तीन साल के लिए चित्तरंजन रेलइंजन कारखाना (चिरेका) प्रबंधन से लीज पर मिला है, जिसमें मछली पालन होता है. श्री सिंह ने कहा कि एक साल पहले 22 लाख रुपये की मछलियां छोड़ी गयी थी. दवा से मछलियां मरी हैं, उन मछलियों को साइबर पक्षियों ने खाया है. उनपर क्या असर होगा? गौरतलब है कि चित्तरंजन रेल नगरी में अनेकों बड़े-बड़े जलाशय है. जहां से पानी की जरूरत को भी पूरा किया जाता है और मछली पालन के लिए निविदा करके लीज पर भी दिया जाता है. इन जलाशयों में ठंडी के समय में भारी संख्या में साइबेरियन पक्षी आते हैं. जिसे देखने के राज्य के विभिन्न इलाकों से सैलानी यहां आते है. फोटोग्राफरों का भी काफी जमावड़ा यहां लगता है. एक लाख वर्ग मीटर में फैला हुआ ऐसा ही एक जलाशय फतेहपुर सिमजुड़ी लेक में अज्ञात लोगों द्वारा भारी मात्रा में लिक्विड और टैबलेट फेंक दिया गया.लेक के लीजधारक श्री सिंह ने बताया कि साइबर पक्षियों द्वारा लेक में मरी हुई मछलियों के लिए काफी भीड़ जुट गयी. जाकर देखा तो एक किनारे पर भारी संख्या में मछलियां मरी पड़ी है. फिर इनके मरने की कारण की तलाश शुरू हुई. काफी श्रमिकों को कार्य में लगाया गया. श्रमिकों ने लेक से लिक्विड और टैबलेट का भंडार निकाला. इन दवाओं से पानी जहरीली या दूषित होने से मछलियां मर गयी और इन्ही मछलियों को साइबर पक्षियों ने अपना निवाला बनाया है. इस घटना से लोगों में काफी रोष है.
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