आसनसोल/जामुड़िया.
एक डिजिट लिखने में गलती के कारण जामुड़िया थाना क्षेत्र के निघा न्यू कॉलोनी इलाके के निवासी व व्यवसायी मोहम्मद असलम खान बुरी तरह फंस गये हैं. यह रकम उन्होंने आरटीजीएस के माध्यम से कैनरा बैंक निंघा शाखा में अपने एक करीबी के खाते में भेजा लेकिन पैसा हैदराबाद के कैनरा बैंक हयाथनगर शाखा में सीएच वेंकट नरसिया के खाते में चला गया. 25 दिनों बाद श्री खान को पता चला कि उन्होंने जिसे पैसा भेजा था उसे नहीं मिला है. बैंक में जाने पर उनके होश उड़ गये. गलती से जिस खाते में पैसा गया था, उस व्यक्ति ने अपने खाते से पांच लाख रुपये की निकासी कर ली है. जिससे बैंक उस अकाउंट से पैसे वापस नहीं ला पाया. जांच पड़ताल के बाद बैंक से खाता धारक का नाम, फोन नंबर और पता मिला. जिसके आधार पर श्री खान ने उनसे संपर्क किया.आरोप है कि उस व्यक्ति ने पैसे लौटाने से इंकार कर दिया और श्री खान को फोन करने पर गाली गलौज करते हुए धमकी भी दे दी. श्री खान ने इसकी शिकायत जामुड़िया थाने में दर्ज करायी. शिकायत के आधार पर कांड संख्या 429/24 के बीएनएस की धारा 316(2)/351(2) के तहत मामला दर्ज हुआ है. पुलिस मामले की जांच में जुट गयी है. पुलिस के लिए समस्या हैदराबाद जाकर उसे गिरफ्तार करना है. हालांकि गिरफ्तारी के बाद स्थानीय अदालत में ट्रांजिट रिमांड के दौरान उसे जमानत मिल जायेगी. वह व्यक्ति अब आसनसोल अदालत में आयेगा या नहीं. अदालत से अरेस्ट वारंट जारी करवाकर पुनः पुलिस को उसे गिरफ्तार करने के लिए जाना होगा. यह प्रक्रिया काफी लंबी होगी. इसके बाद भी पांच लाख रुपये मिलेंगे या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है. एक डिजिट लिखने में गलती से पांच लाख रुपये की चपत लग गयी. श्री खान ने अपनी शिकायत में बताया कि गत नौ जुलाई को उन्होंने अपने एसबीआइ सातग्राम शाखा से आरटीजीएस के माध्यम से पांच लाख रुपये भेजे. यह पैसा कैनरा बैंक निघा शाखा में खाता संख्या 1092101013079 में भेजना था. गलती से उन्होंने 109 के बाद 2 की जगह 0 लिख दिया. बाकी सारे डिजिट सही थे. जिसके कारण यह पैसा हैदराबाद के हयाथनगर शाखा में सीएच वेंकट नरसिया नामक एक व्यक्ति के खाते में चला गया. उसने इस पैसे की बैंक से निकासी कर ली. अब वह व्यक्ति यह पैसा जब तक श्री खान को नहीं लौटता है, तब तक उन्हें यह पैसा नहीं मिलेगा. पुलिस ने बैंक में जाकर भी जांच पड़ताल की. बैंक से उन्हें जानकारी मिली कि पैसा अकाउंट से अकाउंट में जाता है. यदि एसबीआइ से एसबीआइ के किसी खाताधारक को जाता तो उसमें खाता संख्या के साथ धारक के नाम का मिलान किया जाता है. दूसरे बैंक में रहने पर यह जानना संभव नहीं होता है कि खाता संख्या और धारक दोनों एक ही हैं.
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