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मामले को संज्ञान में ले पुलिस, स्कूल की प्राचार्या के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की दिशा में बढ़े

राखी में लगायी मेहंदी मिटाये बिना स्कूल में जाने पर छात्रा की पिटाई के विरोध में उठने लगी आवाज

आसनसोल. रक्षा बंधन के उपलक्ष्य में हाथों में रचायी मेहंदी को मिटाये बगैर स्कूल में जाने पर संत मेरी गोरेटी गर्ल्स हाइस्कूल में पड़नेवाली कक्षा नौ की छात्रा की पिटाई के मामले में बुद्धिजीवी वर्ग की ओर से कड़ी आपत्ति जतायी गयी है. शुक्रवार को प्रभात खबर अखबार में यह खबर प्रकाशित होने के बाद से स्कूल की प्राचार्या के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग उठने लगी है. सभी का कहना है कि पीड़ित परिवार यदि शिकायत करने से डर रहा है तो पुलिस को स्वतः इस मामले को संज्ञान में लेकर कार्रवाई करनी चाहिए.

क्या है पूरा मामला? आसनसोल साउथ थाना क्षेत्र के दिलदार नगर इलाके की निवासी व संत मेरी गोरेटी गर्ल्स हाइस्कूल में कक्षा नौ की छात्रा ने बताया कि रक्षा बंधन के मौके पर उसने अपने हाथों पर मेहंदी लगायी थी, जिसका रंग हाथों पर चढ़ा हुआ है. इसी हालत में वह स्कूल गयी. प्राचार्य ने उसे अपने कक्ष में ले जाकर मेहंदी लगाने पर छड़ी से बुरी तरह पिटाई की. जिसके निशान उसके हाथ व कलाई पर मौजूद थे. छात्रा ने बताया कि इससे पहले सावन की एक सोमवारी पर उसने उपवास किया था और शिवालय में पूजा करके स्कूल में आयी थी. ऐसे में ललाट पर टीका लगा था और हाथ में मौली (धागा) बंधा था. जिसे देखकर प्राचार्य ने उसकी पिटाई की थी और टीका मिटाकर मौली खुलवा दिया था. छात्रा ने अपने परिजनों के साथ थाने में जाकर इसकी मौखिक शिकायत की है. पुलिस के अनुसार लिखित शिकायत मिलने पर उचित कानूनी कार्रवाई होगी. सवालों का जवाब देने से कतरा रहा स्कूल : छात्रा के पिटाई के मामले को लेकर प्राचार्य का पक्ष जानने के लिए प्रभात खबर की ओर से गुरुवार से प्रयास किया जा रहा है. गुरुवार को प्राचार्य सिस्टर मोनिका से एकबार बात हुई. वह किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे रही थी, बार-बार यही कहती रहीं कि वह बाहर हैं. उन्हें मैसेज भेजकर उनका पक्ष जानने की कोशिश की गयी, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.

शुक्रवार को दो बार स्कूल जाकर उनसे मिलने का प्रयास किया गया, बताया गया प्रिंसिपल मैडम नहीं हैं. उन्हें कई बार फोन भी किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं पकड़ा. उनसे यह जानने का प्रयास किया जा रहा था कि किसी पर्व त्यौहार पर मेहंदी लगाना, टीका लगाना, मौली बांधकर स्कूल में आना क्या स्कूल के नियमों के खिलाफ है? इस नियम की जानकरी क्या अभिभावक और छात्रों को दी जाती है? यदि नियम है भी तो इसका उल्लंघन करने पर पिटाई करने का अधिकार क्या प्राचार्य को है?

सांप्रदायिक विद्वेष का है मामला : सृंजय

प्रख्यात कथाकार सृंजय ने कहा यह खबर पढ़कर उन्हें व्यक्तिगत रूप से बहुत खराब लगा कि आसनसोल में हिंदी माध्यम के प्रसिद्ध मिशनरी स्कूल संत मेरी गोरेटी की प्राचार्य ने एक छात्रा की हथेलियों पर केवल इसलिए छड़ी के दाग उकेर दिये क्योंकि वह हाथों में मेहंदी लगाकर स्कूल चली आयी थी. इसके पहले भी छात्रा को हाथ में कलावा बांधकर और टीका पहनकर चले आने के कारण पिटाई की गयी थी. इन मामलों में छात्रा द्वारा किसी ड्रेस कोड का उल्लंघन भी नहीं किया गया था, फिर भी छात्रा की पिटाई की गयी. माना कि स्कूल क्रिश्चियन धर्म के माननेवालों द्वारा संचालित है और प्राचार्य भी ईसाई हैं, लेकिन इतनी सामान्य-सी बात पर छात्रा की पिटाई करने का उन्हें अधिकार कैसे मिल गया? यह समझ से परे है. यह सांप्रदायिक विद्वेष का मामला है. वैसे भी मेहंदी तो सभी धर्मों की औरतें एवं लड़कियां लगाती हैं, बल्कि ईसाई पुरुष भी बालों में मेहंदी लगाते हैं. पुलिस प्रशासन को इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए और उनके द्वारा प्राचार्या के विरुद्ध कार्रवाई करने की आवश्यकता है. हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष देश है, इसलिए यहां के लोगों को सभी धर्मों की आस्था और श्रद्धा का सम्मान करना चाहिए. अगर स्कूल ही सांप्रदायिक विद्वेष का शिकार हो जायेंगे तो सामान्य लोगों की कैसी मनःस्थिति होगी? छात्र-छात्राओं का मन बड़ा कोमल होता है अगर कोई आचरण स्कूल की दृष्टि में अनुचित लगता है तो छात्रा को समझा-बुझाकर भी प्राचार्य अपनी बात मनवा सकती थीं, लेकिन दुःखद और चिंतनीय है कि उन्होंने बेवजह पिटाई जैसी सख्ती का सहारा लिया. यहां तक कि उन्होंने छात्रा का नाम काटकर उन्हें टीसी थमा देने की धमकी भी दी है. इस घटना की कड़ी निंदा वह करते हैं और उम्मीद करते हैं कि इसपर उचित कार्रवाई होगी ताकि दोबारा इस तरह की घटना की पुनरावृति न हो.

नियमों की दुहाई देकर छात्रा की पिटाई दंडनीय जुर्म : डॉ. ए पांडे

बीबी कॉलेज आसनसोल में हिंदी विभाग के अध्यापक डॉ. अरुण पांडे ने कहा कि यह बेहद दुखद घटना है. इस तरह की घटना अराजक माहौल का संकेत है. भारतीय सांस्कृतिक परंपरा का पालन करने में कोई बुराई है क्या? जब आज देश में नारी को उत्पीड़न से सुरक्षा देने की बात हो रही है, उस समय स्कूल के नियमों की दुहाई दे कर इस तरह की निर्ममता से एक छात्रा की पिटाई कर देना बेहद शर्मनाक है. विद्यालय में बच्चे या बच्चियों पर शिक्षक व शिक्षिकाओं द्वारा पिटाई करना कानून के खिलाफ है. इस ओर भी हमें सोचना चाहिए. दूसरी बात अगर मेहंदी लगाना गलत है तो किसी भी परंपरा की सांस्कृतिक या धार्मिक नियमों का पालन करना भी गलत है. इसपर भी विचार करने की आवश्यकता है. शिक्षण संस्थानों में बच्चों पर हिंसात्मक कार्रवाई पर तुरंत रोक लगनी चाहिए. इसपर उचित कार्रवाई की जरूरत है ताकि इस तरह की घटना की पुनरावृति न हो.

प्राचार्य का बर्ताव भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं : सुशील शर्मा

पानागढ़ बाजार हिंदी नि:शुल्क प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक व एक्टिविस्ट सुशील शर्मा ने कहा कि त्योहार भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं. भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भारतीय त्योहार परंपरागत तरीके से मनाये जाते हैं. वेशभूषा और श्रृंगार इन त्योहारों को पूर्णता प्रदान करते हैं. क्रिश्चियन संस्था द्वारा संचालित विद्यालय के प्राचार्य द्वारा उस बच्ची के साथ किये गये व्यवहार को न केवल अपराधमूलक कृत्य के रूप में देखा जाना चाहिए बल्कि भारतीय संस्कृति के अपमान के रूप में भी देखा जाना चाहिए. सरकार द्वारा विद्यालयों में शारीरिक दंड प्रतिबंधित होने के बावजूद विद्यालय में इस तरह की घटना किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं हो सकती. अपने अपराध की सजा से बचने के लिए विद्यालय के प्राचार्य को इस घटना के लिए पीड़ित बच्ची और उसके परिवार से अविलंब माफी मांगनी चाहिए और यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि विद्यालय की किसी भी छात्रा के साथ इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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