फसल बीमा योजना के लिए आवेदन के बाद भी हर्जाना नहीं, किसान नाराज

फसल बीमा का मुआवजा नहीं मिलने से जिले के किसानों में रोष है. आरोप है कि जिले में इस बार आमन धान की पैदावार अच्छी हुई है, किंतु आपदा के चलते किसानों को बांग्ला फसल बीमा योजना के तहत मुआवजा नहीं मिल रहा है. सूत्रों की मानें, तो इस बार जिले में लगभग 12 लाख मीट्रिक टन धान पैदा हुआ है, जो बीते वर्ष की अपेक्षा कहीं ज्यादा है.

By Prabhat Khabar News Desk | February 13, 2025 9:51 PM

बांकुड़ा.

फसल बीमा का मुआवजा नहीं मिलने से जिले के किसानों में रोष है. आरोप है कि जिले में इस बार आमन धान की पैदावार अच्छी हुई है, किंतु आपदा के चलते किसानों को बांग्ला फसल बीमा योजना के तहत मुआवजा नहीं मिल रहा है. सूत्रों की मानें, तो इस बार जिले में लगभग 12 लाख मीट्रिक टन धान पैदा हुआ है, जो बीते वर्ष की अपेक्षा कहीं ज्यादा है. जिले में खपत के अनुरूप तीन लाख 60 हजार मीट्रिक टन धान की जरूरत होती है. उसके मुकाबले जिले में तीन गुना धान की पैदावार हुई है. वहीं, आपदा से नुकसान होने पर साढ़े चार लाख से ज्यादा किसानों ने बांग्ला फसल बीमा योजना के लिए आवेदन किया था. किसानों की शिकायत है कि अभी तक उन्हें फसल बीमा योजना के तहत मुआवजा नहीं मिला है, जिससे उनमें नाराजगी है. गौरतलब है कि पूजा से पहले डीवीसी की ओर से भारी मात्रा में पानी छोड़ा गया था, जिससे दामोदर नदी के किनारे बरजोड़ा, सोनामुखी समेत अन्य कई ब्लाक अंचल के खेत पानी में डूब गये थे. इससे फसलें नष्ट हो गयी थीं. आपदा के चलते कई जगहों पर पके धान भी नष्ट हो गये. कोहरे के कारण आलू में धोसा रोग लग गया. किंतु इन किसानों को फसल बीमा का हर्जाना नहीं मिला. किसानों यह भी शिकायत है कि पत्तागोभी व फूलगोभी को भी क्षति पहुंची है.

एक बार में इनका भाव नीचे गिर गया. कुल मिला कर देखा जाये, तो जिले में फसलों को काफी क्षति पहुंची है. किसानों ने कहा कि फसल बीमा का प्रीमियम वे लोग देते रहे हैं. राज्य सरकार बीमा कंपनियों को प्रीमियम के रुपये देती रही है. किंतु परिवर्तन के बाद ही बीमा के रुपये को लेकर कृषकों को समस्या झेलनी पड़ रही है. उधर, जिले में दामोदर नदी से लगे ब्लॉक अंचल के किसानों का रोना है कि पूजा के दौरान आपदा और बाढ़ से फसलों को काफी नुकसान हुआ है. वे लोग आवेदन करने के बावजूद क्षतिपूर्ति नहीं पा रहे हैं. कोहरे व अन्य कारणों से आलू की फसल को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए सरकारी प्रतिनिधि आये थे, किंतु धान को लेकर ऐसा कुछ नहीं किया गया.

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