West Bengal : दुर्गापुर स्टील प्लांट में स्थाई श्रमिक की कनवेयर बेल्ट में फंस कर दर्दनाक मौत
पश्चिम बंगाल में पश्चिम बर्दवान जिले के दुर्गापुर स्थित दुर्गापुर स्टील प्लांट में श्रमिकों की मौत का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. मौत की घटना के बाद से एक बार फिर श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर दुर्गापुर स्टील प्लांट प्रबंधन पर सवाल खड़ा होने लगा है. श्रमिकों में घोर आक्रोश देखा जा रहा है.
पश्चिम बंगाल में पश्चिम बर्दवान जिले के दुर्गापुर स्थित दुर्गापुर स्टील प्लांट में श्रमिकों की मौत का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. अभी तीन श्रमिकों के ऊपर पिघला गरम लोहा गिरने से हुई मौत का मामला पूरी तरह से शांत भी नहीं हुआ था कि एक बार फिर गुरुवार देर रात प्लांट के भीतर काम कर रहे एक स्थाई श्रमिक आशुतोष घोषाल (54) की मशीन की चपेट में आकर दर्दनाक मौत हो गई. इस भयावह मौत की घटना के बाद से एक बार फिर श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर दुर्गापुर स्टील प्लांट प्रबंधन पर सवाल खड़ा होने लगा है. इस बाबत श्रमिकों में घोर आक्रोश देखा जा रहा है.
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आशुतोष के शरीर के हुए कई टुकड़े
प्लांट सूत्रों के अनुसार आशुतोष कल रात की पाली में काम करने के दौरान किसी कारण चलती कन्वेयर बेल्ट पर गिर गया. देखते ही देखते उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े हो गए .हादसे के करीब दो घंटे बाद श्रमिक का क्षत-विक्षत शव बरामद किया गया. शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया गया. इस घटना के बाद प्लांट में देर रात तक अफरा तफरी मची रही. पता चला है कि आशुतोष बी-जोन के 2बी/50 बंकिमचंद्र एवेन्यू के रहने वाले थे. मृतक आशुतोष के परिवार में पत्नी और एक बेटा है.कुछ दिनों में ही आशुतोष के बेटे की शादी होने वाली थी.उससे पहले ही आशुतोष के परिवार और श्रमिकों में इस घटना को लेकर मातम पसर गया .
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प्लांट में सेफ्टी को लेकर नहीं उठाया जा रहा उपयुक्त कदम
इस प्लांट में एक ही घटना बार-बार हो रही है.श्रमिक संगठन के नेताओं का कहना है की कभी अधिकारी जांच के लिए कमेटी बनाते हैं तो कभी अधिकारियों को निलंबित कर दिया जाता है. लेकिन सेफ्टी को लेकर कोई उपयुक्त कदम नहीं उठाया जा रहा है?गौरतलब है की पिछले महीने यानी 20 नवंबर को इस फैक्ट्री की ब्लास्ट फर्नेस में उस वक्त भयानक हादसा हो गया था, जब कलछी से पिघला हुआ लोहा छलक गया था. हादसे में तीन श्रमिक पलटू बाउड़ी ,गोपी नाथ राम, प्रशांत घोष की मौत हो गई थी जबकि घायल प्रशांत बनर्जी का इलाज अभी भी अस्पताल में चल रहा है. प्रशांत जिंदगी और मौत से जूझ रहा है. इस घटना के 11 दिन बाद एक बार फिर एक श्रमिक की इतनी भयानक मौत से श्रमिकों वर्ग में आक्रोश व्याप्त हो गया है.
रिपोर्ट : मुकेश तिवारी पानागढ़