जिला अस्पताल में रोगी की मौत, इलाज में चूक के आरोप पर शव के साथ चक्काजाम

हीरापुर थाना क्षेत्र के राधानगर रुईदासपाड़ा के निवासी सूरज रुईदास (19) नामक युवक की मौत के बाद उसके परिजनों ने बुधवार को आसनसोल जिला अस्पताल में जम कर बवाल काटा. परिजनों का आरोप है कि चिकित्सक की लापरवाही के कारण सूरज की मौत हो गयी.

By Prabhat Khabar News Desk | October 16, 2024 10:02 PM

आसनसोल.

हीरापुर थाना क्षेत्र के राधानगर रुईदासपाड़ा के निवासी सूरज रुईदास (19) नामक युवक की मौत के बाद उसके परिजनों ने बुधवार को आसनसोल जिला अस्पताल में जम कर बवाल काटा. परिजनों का आरोप है कि चिकित्सक की लापरवाही के कारण सूरज की मौत हो गयी. सूरज का इलाज करनेवाले चिकित्सक पर कार्रवाई की मांग को लेकर परिजनों ने बुधवार को दोपहर शव को रख कर जिला अस्पताल के मुख्यगेट के समक्ष एसबी गराई रोड को अवरोध कर प्रतिवाद जताया. आसनसोल शहर की व्यस्त सड़कों में से एक इस सड़क पर अवरोध होते ही पूरे शहर में ट्रैफिक व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो गयी. आसनसोल साउथ थाना के निरीक्षक प्रभारी पुलिस बल के साथ वहां पहुंचे और काफी देर तक आंदोलनकारियों को समझाया, तब जाकर आंदोलन समाप्त हुआ. सड़क अवरोध करीब डेढ़ घंटे तक चला. जिला अस्पताल के अधीक्षक निखिल चंद्र दास ने परिजनों से कहा कि वे लोग लिखित शिकायत करें. जांच कर लापरवाही के दोषी पर उचित कार्रवाई की जायेगी. गौरतलब है कि सूरज को मंगलवार सुबह 9:00 बजे उसके परिजन आसनसोल जिला अस्पताल लेकर आये थे. मरीज की हालत देख कर उसे अस्पताल में दाखिल कर लिया गया. परिजनों के अनुसार उसे बुखार व दस्त की शिकायत पर अस्पताल में दाखिल किया गया. लेकिन रात में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी. परिजनों का आरोप है कि मंगलवार सुबह मरीज के दाखिल होने के बाद भी शाम तक उसका इलाज शुरू नहीं हुआ. बार-बार नर्स को बोलने के बाद भी कोई डॉक्टर उपचार के लिए नहीं आया. रोगी की हालत बिगड़ती चली गयी और अंत में मुंह से झाग निकलने लगा और उसकी मौत हो गयी. उसके बाद से ही परिजन अस्पताल में हंगामा करने लगे. सुबह शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. पोस्टमार्टम के बाद शव मिलते ही परिजन सड़क अवरोध करने लगे. उनका आरोप था कि चिकित्सा में लापरवाही के कारण सूरज की मौत हुई है. घटना के समय ड्यूटी पर तैनात रहे चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर परिजन आंदोलन करने लगे. पुलिस ने आकर उन लोगों को काफी समझाया, तब जाकर आंदोलन समाप्त हुआ.

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