दो लोगों में सिलिकोसिस होने की संभावना, 8 को बोर्ड मीटिंग में निर्णय
32 लोगों की जांच में 20 संभावित मरीजों का हुआ एक्सरे
जिस कारखाने में सबसे ज्यादा संभावित मरीज, वहां के किसी भी श्रमिक की नहीं हुई जांच बीएमओएच के जाने के बाद भी कारखाना प्रबंधन ने नहीं भेजा अपने किसी भी श्रमिक को जांच के लिए आसनसोल/रूपनारायणपुर. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत सरकारी मेडिकल टीम ने सिलिकोसिस के मरीजों को चिह्नित करने के उद्देश्य से सालानपुर प्रखंड के बराभुईं गांव में शुक्रवार को शिविर लगाया. जिसमें कुल 32 लोगों की जांच की गयी, जिसमें से संभावित 20 लोगों का सालानपुर ब्लॉक प्राइमरी हेल्थ सेंटर में एक्सरे कराया गया. सूत्रों के अनुसार एक्सरे की प्राथमिक जांच में दो लोगों में सिलिकोसिस होने की संभावना प्रबल है. आठ जनवरी को इनकी जांच रिपोर्ट को लेकर जिला सिलिकोसिस डायग्नोस्टिक बोर्ड की बैठक में अंतिम निर्णय होगा कि किन्हें सिलिकोसिस है. यहां से प्रमाणपत्र मिलने के बाद सरकारी अनुदान चालू हो जायेगा. इस दिन संभावित सिलिकोसिस से मारे गये जगन्नाथ मंडल और सुबल राय के मेडिकल रिपोर्ट पर भी चर्चा के बाद उन्हें सिलिकोसिस था या नहीं इसका निर्णय भी लिया जायेगा. सिलिकोसिस के सबसे ज्यादा संभावित मरीज इलाके के रैमिंगमास इंडस्ट्री में है, जहां के श्रमिकों की जांच नहीं हुई. प्रखंड स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी (बीएमओएच) डॉ. सुब्रत सीट ने खुद सुबह उस कारखाने में जाकर प्रबंधन से श्रमिकों को जांच के लिए भेजने को कहा. इसके बावजूद वहां से कोई श्रमिक जांच के लिए नहीं पहुंचा. श्रमिकों ने बताया कि चार लोगों को प्रबंधक ने जांच कराने के लिए कहा लेकिन मालिक ने रोक दिया और कहा कि वे खुद जांच करवायेंगे. हालांकि निजी क्लिनिक की जांच रिपोर्ट को सरकार मान्यता नहीं देती है. जांच के लिए पहुंची टीम में जनरल ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर डॉ अनिर्बान चटर्जी, जिला ट्यूबरकुलोसिस ऑफिसर डॉ अभिषेक राय, बीएमओएच डॉ सीट, जिला ट्यूबरकुलोसिस सेंटर की चिकित्सा अधिकारी डॉ. स्वाति बनर्जी, वरिष्ठ चिकित्सा सुपरवाइजर रथीन राय, हेल्थ असिस्टेंस फॉर फीमेल कविता मंडल, सहायक नर्स बर्नाली चौधरी, कम्युनिटी हेल्थ असिस्टेंस मीना पाल शामिल थे. गौरतलब है कि सालानपुर प्रखंड में सिलिकोसिस के मुद्दे पर 21 दिसंबर 2024 को प्रभात खबर में खबर प्रकाशित होने के बाद प्रशासन हरकत में आया और संभावित सिलिकोसिस बीमारी से पीड़ित होकर मारे गये सुबल राय के घर पर एक मेडिकल टीम पहुंची. मृतक के सारे मेडिकल मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद सारे कागजात लेकर पीड़ित परिवार को बोर्ड मीटिंग में बुलाया गया. इस बीच पीड़ित के परिजनों ने अतिरिक्त जिलाधिकारी (जनरल) सुभाषिनी ई को ज्ञापन सौंपा और आरोप लगाया कि सुबल राय का सरकारी अस्पताल में गलत इलाज किया गया. जिसके कारण सिलिकोसिस से मारे जाने पर सरकारी अनुदान नहीं मिल रहा है. आरोप यह भी लगाया गया कि रैमिंगमास उद्योग में काम करनेवाले यहां के भारी संख्या में श्रमिक सिलिकोसिस से पीड़ित हैं. यह खबर भी प्रभात खबर ने विस्तृत रूप से प्रकाशित की. अतिरिक्त जिलाधिकारी (जनरल) सुभाषिनी ने मामले को गंभीरता से लिया और जिला मुख्य स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओएच) से इसपर 10 दिनों के अंदर रिपोर्ट मांगी. सीएमओएच ने अपनी रिपोर्ट दे दी है. इसके उपरांत तीन जनवरी को बराभुईं गांव में सिलिकोसिस के मरीजों को चिह्नित करने के लिए शिविर लगाने का निर्णय हुआ. जिसके तहत शुक्रवार को शिविर लगा. हालांकि इस शिविर में संभावित अधिकांश मरीजों की जांच ही नहीं हो पायी. वे जिस कारखाने में कार्य करते हुए पीड़ित हुए हैं, वहां से वे जांच के लिए निकल नहीं पाये. हालांकि जांच हुए किसी भी व्यक्ति को कोई भी कागज नहीं दिया गया है. सभी की रिपोर्ट पर आठ जनवरी को बोर्ड की मीटिंग में चर्चा करने की बात कही गयी.
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