सातग्राम इनक्लाइन बंद करने के विरोध में ईसीएल प्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शन

ईसीएल (ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) प्रबंधन की कथित लापरवाही और खदानों को बंद करने की साजिश के खिलाफ श्रमिकों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है. शनिवार को जैक (ज्वाइंट एक्शन कमेटी) ने सातग्राम एरिया के नीमडांगा प्रोजेक्ट स्थित सातग्राम इनक्लाइन मैनैजमेंट कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.

By Prabhat Khabar News Desk | November 30, 2024 9:48 PM

जामुड़िया.

ईसीएल (ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) प्रबंधन की कथित लापरवाही और खदानों को बंद करने की साजिश के खिलाफ श्रमिकों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है. शनिवार को जैक (ज्वाइंट एक्शन कमेटी) ने सातग्राम एरिया के नीमडांगा प्रोजेक्ट स्थित सातग्राम इनक्लाइन मैनैजमेंट कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.

श्रमिकों ने लगाये गंभीर आरोप

विरोध प्रदर्शन के दौरान, सीटू के सातग्राम एरिया जेसीसी सदस्य हिमाद्रि चक्रवर्ती ने आरोप लगाया कि ईसीएल प्रबंधन सुनियोजित तरीके से भूमिगत खदानों को बंद करने की साजिश रच रहा है. उन्होंने कहा कि प्रबंधन श्रमिकों के साथ तानाशाही का बर्ताव कर रहा है और उनकी सुरक्षा की अनदेखी कर रहा है. चक्रवर्ती ने कहा कि कोलियरी श्रमिकों को बंधुआ मजदूरों की तरह काम कराया जाता है, लेकिन उन्हें सुरक्षा उपकरण तक नहीं दिये जाते हैं. उन्होंने कहा कि प्रबंधन केवल कोयला उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और श्रमिकों की सुरक्षा को नजरअंदाज कर रहा है. श्रमिकों का मुख्य विरोध सातग्राम इनक्लाइन को बंद करने के प्रबंधन के निर्णय के खिलाफ था. उन्होंने कहा कि इस निर्णय से हजारों श्रमिकों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो जायेगा. उन्होंने मांग की कि प्रबंधन इस निर्णय को वापस ले और श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे.

प्रदर्शन में बड़ी संख्या में शामिल हुए श्रमिक

विरोध प्रदर्शन में जैक के चंदन धीवर, सिराज हुसैन, इलियास सैयद, भरत पासवान आदि प्रमुख सहित बड़ी संख्या में कोलियरी मजदूर शामिल हुए. यह मुद्दा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह श्रमिकों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के मुद्दे को उठाता है. यह दिखाता है कि कैसे बड़े उद्योगों में श्रमिकों का शोषण और उनकी सुरक्षा को नजरअंदाज किया जाता है. यह मुद्दा सरकार और प्रबंधन को श्रमिकों के हितों की ओर ध्यान देने के लिए मजबूर करता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विरोध प्रदर्शन के बाद प्रबंधन क्या कदम उठाता है. क्या वह श्रमिकों की मांगों को मानेगा या फिर इस मुद्दे को दबाने की कोशिश करेगा. यह भी देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या भूमिका निभाती है.

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