20 सितंबर से तीन राज्यों में फिर रेल रोको

बंगाल, झारखंड व ओडिशा के 100 रेलवे स्टेशनों पर होगा आदिवासी कुड़मी समाज का आंदोलन

By Prabhat Khabar News Desk | February 8, 2025 1:02 AM

कुड़मी जाति को एसटी की मान्यता देने और अन्य मांगों को लेकर होगा आंदोलन पुरुलिया. कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति(एसटी) की मान्यता देने और अपनी अन्य मांगों पर केंद्र व राज्य सरकारों की कथित उदासीनता से नाराज आदिवासी कुड़मी समाज फिर से आंदोलन करने के मूड में है. जिले के कोटशिला थाना क्षेत्र के मुर्गमा डैम के पास आदिवासी कुड़मी समाज और सहायक संगठनों की विशाल जनसभा के मंच से मुखिया अजीत प्रसाद महतो ने ऐलान किया कि आगामी 20 सितंबर से अपनी मांगों को लेकर नये सिरे से वे लोग आंदोलन करेंगे. इस बार पश्चिम बंगाल के साथ झारखंड व ओडिशा में 100 रेलवे स्टेशनों पर उतर कर आदिवासी लगातार रेल रोको आंदोलन करेंगे. इससे पहले रेल व सड़क अवरोध करने के बावजूद उनकी मांगों पर संबद्ध सरकारों ने ध्यान नहीं दिया है. इसलिए नये सिरे से आदिवासी कुड़मी समाज व सहायक संगठनों ने 20 सितंबर से लगातार आंदोलन करने का फैसला किया है. इसके तहत तीनों सूबों के 100 रेलवे स्टेशनों पर अनिश्चितकाल के लिए रेल रोक कर प्रतिवाद जताया जायेगा. जिला के कोटशिला थाना क्षेत्र के मुर्गुमा इलाके में कुड़मी समाज व कई सहायक संगठनों का दो दिवसीय अधिवेशन हुआ, जिसमें उक्त आशय का फैसला किया गया. उक्त अवसर पर पश्मिम बंगाल के साथ पड़ोसी राज्य झारखंड व ओडिशा से भी कुड़मी जाति के प्रतिनिधि मुख्य रूप से उपस्थित थे. हजारों आदिवासियों की भीड़ को संबोधित करते हुए आदिवासी कुड़मी समाज के मुखिया अजीत प्रसाद महतो ने घोषणा की कि वे लोग वर्षों से कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति की मान्यता दिलाने, कुड़माली भाषा को शिक्षा के सभी स्तरों पर लागू करने और उनके धर्म को संविधान की स्वीकृति दिलाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस सरकार हो अथवा, केंद्र की भाजपा नीत राजग सरकार, किसी ने भी उन लोगों की मांग पर सकारात्मक रुख नहीं दिखाया है. आदिवासियों के मसलों को लेकर बस राजनीति होती रही है. राज्य को आदिवासियों की मांगों वाली फर्दर कमेंट जस्टिफिकेशन रिपोर्ट को केंद्र के पास भेजना था, पर अब तक इस दिशा में कुछ नहीं किया गया, जिससे उनकी मांगें अटकी पड़ी हैं. इसलिए आदिवासियों ने तय किया है कि फिर 20 सितंबर से उक्त तीनों राज्यों के 100 रेलवे स्टेशनों पर अनिश्चितकाल के लिए रेल रोको आंदोलन किया जायेगा. हालांकि उससे पहले आदिवासी संगठनों के तीनों राज्यों के 25 प्रतिनिधि, अगले संसद सत्र से पहले दिल्ली जाकर विभिन्न राजनीतिक दलों और केंद्र सरकार के मंत्रियों से मंत्रणा करेंगे. उनकी मांगों पर सकारात्मक रवैया नहीं अपनाया गया, तो 20 सितंबर से तीनों राज्यों में रेल रोको आंदोलन किया जायेगा. मालूम रहे कि बीते वर्ष भी आदिवासी कुड़मी समाज ने दुर्गापूजा से पहले अनिश्चितकाल के लिए रेल रोको का ऐलान किया था. लेकिन राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ कुड़मी प्रतिनिधियों की बैठक के बाद रेल रोको आंदोलन को वापस ले लिया गया था. इस वर्ष 28 सितंबर से दुर्गापूजा शुरू होगी. देखना है कि उससे पहले आदिवासियों को मनाने के लिए यहां की तृणमूल कांग्रेस सरकार क्या करती है.

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