दुर्गापुर लूटकांड के आरोपी पृथ्वीराज ओसवाल से जुड़े हैं चित्तरंजन में हुई राजेश राम की हत्या के तार !
इस हत्याकांड में पृथ्वीराज का पार्टनर और दुर्गापुर लूटकांड का अन्य मुख्य आरोपी जामताड़ा (झारखंड) जिले के मिहिजाम इलाके का निवासी प्रदीप रजक नामजद आरोपी है और वह फिलहाल जमानत पर बाहर है तथा दुर्गापुर लूटकांड में फरार है.
शिवशंकर ठाकुर, आसनसोल
1.01 करोड़ रुपये दुर्गापुर लूटकांड का मास्टरमाइंड सालानपुर थाना क्षेत्र के रूपनारायणपुर इलाके का निवासी पृथ्वीराज ओसवाल की राजेश राम हत्याकांड में संलिप्ता की जांच में पुलिस जुट गयी है. उसके घर से बरामद पिस्तौल से ही राजेश राम की हत्या होने की संभावना जतायी जा रही है. इस हत्याकांड में पृथ्वीराज का पार्टनर और दुर्गापुर लूटकांड का अन्य मुख्य आरोपी जामताड़ा (झारखंड) जिले के मिहिजाम इलाके का निवासी प्रदीप रजक नामजद आरोपी है और वह फिलहाल जमानत पर बाहर है तथा दुर्गापुर लूटकांड में फरार है. हत्याकांड में ट्रायल शुरू हो चुका है, लेकिन जिस पिस्तौल से राजेश की हत्या हुई थी, वह अबतक बरामद नहीं हुई है. दुर्गापुर लूटकांड की जांच के दौरान पृथ्वीराज और प्रदीप के बीच गहरे संबंध होने के खुलासे के बाद से ही पुलिस इनकी हर गतिविधि को खंगालने में जुटी है. इसी दौरान पृथ्वीराज के घर से बरामद हथियार पर पुलिस का शक मजबूत हुआ कि हत्याकांड को अंजाम देने के बाद प्रदीप ने यह हथियार पृथ्वीराज को दे दिया. जिसके कारण यह हथियार अबतक नहीं मिला. इस हत्याकांड से हथियार का तार यदि जुड़ जाता है तो फिर पृथ्वीराज, उसकी पत्नी जो इस हथियार बरामदगी मामले में न्यायिक हिरासत में हैं, दोनों इस हत्याकांड में भी आरोपी बन जायेंगे और पुलिस अदालत से अनुमति लेकर नये सिरे से जांच के आधार पर पूरक आरोपपत्र दाखिल करेगी. जिसमें पृथ्वीराज और उसकी पत्नी के आरोपी बनने की संभावना प्रबल होगी.मधुसूदन बाग के साथ प्रदीप के आर्थिक लेनदेन की जानकारी के बाद जुड़ी कई कड़ियां
दुर्गापुर लूटकांड में पीड़ित मुकेश चावला ने 50 लाख रुपये पूर्व मेदिनीपुर के निवासी मधुसूदन बाग के कल्याणी स्टोर नामक बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किया था. मधुसूदन की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को उसके दर्जन भर से अधिक कंपनियों के नाम से बने बैंक अकाउंट का पता चला. इसी में से कुछ खातों में प्रदीप रजक के साथ करोड़ो रुपये के लेनदेन की जानकारी पुलिस को मिली. मधुसूदन से पूछताछ करने पर सारी बात सामने आ गयी कि प्रदीप के साथ उसका क्या संबंध है. जिसके बाद पुलिस ने अदालत से सर्च वारंट लेकर प्रदीप के मिहिजाम स्थित ठिकाने पर छापेमारी की. लेकिन वहां से प्रदीप फरार हो चुका था. पुलिस को वहां से कुछ हाथ नहीं लगा.
प्रदीप और पृथ्वीराज हैं लूटकांड के दो सरगना, सैकड़ों काम करते हैं इनके अधीन
पुलिस सूत्रों के अनुसार पैसे डबल करने के नाम पर लोगों को लूटने के कारोबार में पृथ्वीराज और प्रदीप दो सरगना हैं. इनके अधीन सैकड़ों लोग काम करते हैं. लोगों को लूटने का सारा प्लान यही दोनों तैयार करते हैं. किसकी क्या जिम्मेदारी होगी, यही दोनों तय करते हैं. इन्होंने पूरे देशभर में अपने एजेंट छोड़ रखे हैं. जिनका काम होता है ग्राहक फंसाना. एजेंट ग्राहकों को बताते हैं कि सौ रुपये व्हाइट पैसे दीजिए और 200 रुपये नकद लीजिये. ग्राहक फंसाने पर एजेंट को पांच प्रतिशत का कमीशन मिलता है. ग्राहक को फंसाकर लाया जाता है और नकदी देकर उसे खुद ही लूटा जाता है. मामले की शिकायत काफी कम होती है. जहां फंसने लगे वहां लूटा हुआ पैसा वापस कर मामला रफा दफा करवा लेते हैं. हरियाणा की एक पार्टी से कुछ माह पहले इन्होंने 50 लाख रुपये लूटे थे. थाने में मामला हुआ. इनलोगों ने पार्टी को पैसे लौटाकर अदालत से मामला रफादफा करवा लिया था. इसबार ये लोग बुरी तरह फंस गये हैं. पुलिस इनकी पूरी कुंडली खंगाल रही है. कई संपत्तियों को सील कर दिया गया है और बैंक खाते फ्रीज कर दिये हैं.
पृथ्वीराज के घर से बरामद पिस्तौल से ही राजेश की हुई थी हत्या फॉरेंसिक में होगा खुलासा
किसी भी हत्याकांड में जिस हथियार से हत्या हुई, उसका बरामद होना काफी अहम होता है. आग्नेयास्त्र से हत्या होने पर पुलिस के लिए जांच का जो पहलू रहता है, उसमें पहला कार्य बोर पॉइंट की मैचिंग करना होता है. कांड में चली गोली और बरामद हथियार से चलनेवाली गोली का बोर एक ही है तो. दूसरे में गन पाउडर को मैच करना होता है. कांड के दौरान पुलिस अधिकारी या फॉरेंसिक टीम सबसे पहले गोली लगनेवाली जगह से गन पावडर संग्रह करते हैं. इस गन पावडर को कांड में उपयुक्त हुए हथियार में सटे हुए गन पावडर से मैच कराते हैं. आग्नेयास्त्र यदि कांड के समय ही आरोपी के साथ मिल जाता है तो आरोपी के हाथ में भी गन पावडर लगा होता है. जो सबसे मजबूत साक्ष्य होता है. तीसरे में प्रोजेक्शन की जांच होती है. किस एंगल से कितनी दूर से गोली चली थी. इस मामले में भी पुलिस पृथ्वीराज के घर से बरामद पिस्तौल के साथ यह सारी प्रक्रिया अपनाने की तैयारी में जुट गयी है. पुलिस को उम्मीद है कि इसी पिस्तौल से राजेश की हत्या हुई थी. साबित होने पर इस कांड में नये आरोपी भी जुड़ जायेंगे और इनका बच निकलना मुश्किल हो सकता है.
क्या है राजेश राम हत्याकांड की कहानी
17 जनवरी 2021 में रात सवा नौ बजे चित्तरंजन रेल नगरी में केजी हॉस्पिटल के निकट राजेश राम की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. राजेश मिहिजाम थाना क्षेत्र के अंबेडकर नगर इलाके का निवासी था. उसे दो गोलियां मारी गयी थीं. एक कनपट्टी पर सटाकर और दूसरा दोनों आंखों के बीच नाक के ऊपर सटाकर मारी गयी थी. घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गयी. अपराधी बाइक पर थे, कांड को अंजाम देकर वे फरार हो गये थे. राजेंद्र राम ने मामले की शिकायत चित्तरंजन थाना में दर्ज करायी. जिसमें उन्होंने मिहिजाम कोरापाड़ा इलाके के निवासी प्रदीप रजक और मिहिजाम रामूखटाल इलाके के निवासी गुलाब दास को नामजद के साथ अन्य को आरोपी बनाया था. शिकायत के आधार पर चित्तरंजन थाने में कांड संख्या 4/21 में आरोपियों के खिलाफ 302/120बी/34 और 25/27 आर्म्स एक्ट में मामला दर्ज हुआ था. पुलिस ने मामले में प्रदीप रजक और मिहिजाम कानगोई इलाके के निवासी आदित्य शंकर प्रसाद को गिरफ्तार किया. नामजद दूसरे आरोपी गुलाब दास ने अदालत में सरेंडर किया था. लंबे समय तक सारे आरोपी न्यायिक हिरासत में रहे, बाद में इनकी जमानत हो गयी. इस कांड में पुलिस को हथियार नहीं मिला.
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