पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट स्थित सीबीआई के अस्थाई कैंप में बागतुई नरसंहार मामले के मूल आरोपी लालन शेख की सीबीआई हिरासत में हुई अस्वाभाविक मौत मामले की जांच करते हुए सीआईडी द्वारा सीबीआई कैंप के दो कमरों को सील किए जाने के मामले को लेकर सीआईडी ,सीबीआई और पुलिस अधिकारी रामपुरहाट महकमा अदालत में पहुंचे . सीबीआई द्वारा अस्थाई कैंप के सिल कमरों को खोलने हेतु 2 दिन आगे रामपुरहाट महकमा अदालत में एक आवेदन किया था . इस मामले को लेकर अदालत ने गुरुवार को सीबीआई, सीआईडी और रामपुरहाट थाना पुलिस को एक साथ एक ही समय पर सुनवाई हेतु बुलाया था.
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बताया जाता है की बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सब्यसाची चटर्जी द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया था. अदालत ने लालन शेख मृत्यु मामले की जांच को लेकर कहा था की इस मामले में फिलहाल सीआईडी की जांच जारी रहेगी. यानी जांच जैसी चल रही है, वैसे ही चलती रहेगी. गौरतलब है कि 21 मार्च को तृणमूल नेता तथा उप प्रधान भादू शेख की उनके घर के सामने बम और गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हत्या के समय भादू लालन के साथ था. भादू की हत्या के बाद बागतुई गांव में नरसंहार हुआ था. आग लगाकर 10 लोगों को जिंदा जलाकर हत्या कर दिया गया था.
लालन को इस नरसंहार मामले में मूल आरोपी के रूप में शामिल होने के मामले में 9 महीने बाद 3 दिसंबर को झारखंड से गिरफ्तार किया गया था. 9 दिनों के बाद सीबीआई हिरासत में लालन की मौत हो गई थी.पीड़ित की पत्नी रेशमा बीवी का दावा है कि लालन की हत्या की गई है. हाई कोर्ट के निर्देश के बाद सीआईडी मामले की जांच कर रही है. इधर सीबीआई द्वारा अस्थाई कैंप के कमरों को सीआईडी द्वारा सिल कर देने के कारण सीबीआई के कई महत्वपूर्ण फाइल उक्त कमरों में बंद पड़ा हुआ है . जिसके कारण सीबीआई को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
रिपोर्ट : मुकेश तिवारी पानागढ़