संजय सिंह के अपहरण की कहानी का हुआ भंडाफोड़, जानिए क्या है पूरा मामला
संजय सिंह अपहरण कहानी का खुलासा हो चुका है, जिसके मुताबिक पता चला है कि उनका अपहरण सनसिटी कम्पनी के लोगों ने ही था किया और उनके परिवार वालों से फिरौती के पैसे मांगे थे.
आसनसोल : गुमला (झारखण्ड) जिला के पालकोट थाना अंतर्गत बघिमा मुरुम सोकरा गांव से 14 अगस्त को लापता हुए कैमूर (बिहार) जिला के कुदरा थाना अंतर्गत करनपुर गांव के निवासी संजय सिंह अपनी कम्पनी के लोगों के चंगुल से सोमवार सुबह भाग निकले और निरसा थाना के मैथन आऊट पोस्ट पहुंचकर अपनी अपहरण की कहानी सुनाई.
पुलिस हरकत में आ गयी और कुल्टी थाना के सहयोग से श्री सिंह की निशानदेही पर कल्यानेश्वरी में स्थित सूर्या निवास में छापेमारी कर बिहार के शशि कुमार सिंह, सुधीर प्रसाद, दिनेश कुमार, विकास कुमार सिंह अनिल कुमार और आशुतोष कुमार को हिरासत में लिया. पूछताछ में खुलासा हुआ कि संजय ने सनसिटी कम्पनी का पांच लाख रुपये का सामान चोरी करके बेच दिया.
सामान बेचकर उगाही किए गये पैसे की बरामदगी के लिए कम्पनी के लोगों ने उनके परिवार पर दबाव बनाने के लिए उन्हें 14 तारीख को अपने साथ लेकर कम्पनी के विभिन्न साइट का निरीक्षण करते हुए कल्यानेश्वरी में रुके थे. निरसा के एसडीपीओ विजय कुमार कुशवाहा ने बताया कि सनसिटी कम्पनी में मुंशी का कार्य कर रहे संजय सिंह पर कम्पनी का सामान चोरी कर बेचने की बात सामने आई है.
कम्पनी के लोगों द्वारा पैसे की बरामदगी को लेकर घरवालों पर दबाव बनाने के लिए तीन दिन से गलत तरीके से अपने साथ रखा है. किसी भी पक्ष ने लिखित शिकायत नहीं की है. पुलिस सभी पहलुओं पर जांच कर रही है. सोमवार सुबह कल्यानेश्वरी में स्थित सूर्या निवास में पुलिस की छापेमारी होते ही यह खबर आग की तरह फैल गयी कि छह अपहरणकर्ता यहां छिपे हुए थे.
क्या कहते हैं कम्पनी के अधिकारी
सभी बिहार के हैं, जिसे पुलिस ने पकड़ लिया. अपहृत व्यक्ति किसी तरह अपहरणकर्ताओं की चंगुल से भाग निकला और उसने मैथन डैम पर सीआईएसएफ जवानों को इसकी सूचना दी. सीआईएसएफ ने मैथन ओपी को सूचित किया. जिसके बंगाल और झारखंड पुलिस ने संयुक्त रूप से सूर्या निवास पर छापेमारी की और सभी अपहरणकर्ताओं को पकड़ लिया.
इसकी मौखिक शिकायत पालकोट थाना में की गई. पुलिसिया पूछताछ में संजय ने कबूल किया कि पांच लाख का सामान 80 हजार रुपये में उसने बेचा है. पालकोट थाना प्रभारी ने भी घटना की पुष्टि की. संजय ने पैसा वापस लौटने की बात कही. जिसके उपरांत लिखित शिकायत दर्ज नहीं की गई. पैसा नहीं मिलने पर 14 अगस्त की शाम को संजय को लेकर सभी लोग बर्दवान (पश्चिम बंगाल) में चल रहे अपने कार्य को देखने आए.
झारखंड से बाहर निकलने और बंगाल में आने के लिए संजय सहित कुल सात लोगों का ईपास भी बनवाया गया. बर्दवान से लौटने के क्रम में कल्यानेश्वरी में एक लॉज में रात बिताने के लिए रुके थे. इसी क्रम में संजय ने अपने अपहरण की कहानी बनाकर सभी को फंसाने का प्रयास किया.
संजय सिंह ने बताया कि उसे चोरी के झूठे इल्जाम में फंसाया गया है. उसने कम्पनी में पार्टनरशिप के लिए तीन लाख रुपया दिया है. कम्पनी के मुनाफे में जब बंटवारा का समय आया तो इनलोगों ने उन्हें फंसा दिया और 14 तारीख शाम चार बजे मुरुम सोकरा से अपहरण कर इधर-उधर घूमकर रविवार को कल्यानेश्वरी के होटल में रुके. फोन भी छीन लिया था. पिटाई भी कर रहे थे. होटल के एक रूम में बंद कर दिया था.
किसी तरह होटल के कर्मचारियों को अपहरण के विषय में बताकर उन्हें अपने घर का फोन नम्बर दिया. सोमवार भोर चार बजे होटल कर्मियों की मदद से वहां से भाग निकला और मैथन डैम पर तैनात एक पुलिस कर्मी को आपबीती सुनाई. उन्होंने मैथन ओपी पहुंचाया और पुलिस ने यहां छापेमारी कर सभी को पकड़ लिया.
संजय के घरवालों ने कहा, पांच लाख की मांगी थी फिरौती.
संजय की पत्नी आशा देवी अपने चार भाईयों निखिल कुमार सिंह, विजय शंकर सिंह, विनय सिंह और संजीव सिंह को लेकर बिहार से सोमवार सुबह मैथन ओपी पहुंच गई. विनय सिंह ने बताया कि उन्हें जीजा को मुक्त करने के लिए पांच लाख रुपये की फिरौती की मांग की गई थी. 50 हजार रुपया अपहरणकर्ताओं के अकाउंट में ट्रांसफर भी किया गया.
बाकी पैसा कल्यानेश्वरी के सूर्या निवास में पहुंचाने के बाद उनकी रिहाई होनी थी. इसी बीच होटल से किसी ने फोन करके सूचित किया कि सोमवार सुबह नौ बजे यह लोग निकल जाएंगे. इस बीच आपलोग आ जाईये. सूचना मिलते ही सभी यहां के लिए निकल गए. रास्ते में ही सूचना मिली कि जीजाजी किसी तरह उनकी चंगुल से निकलकर मैथन ओपी पहुंच गए हैं.
फिरौती की मांग के बाद भी नहीं दी गयी पुलिस को सूचना
संजय के घरवालों का कहना है कि रिहाई के लिए पांच लाख फिरौती की मांग की गई थी. उनके मोबाइल फोन पर फोन करके अपहरणकर्ताओं ने पांच लाख रुपये की मांग की. पचास हजार रुपये का भुगतान भी किया. सूर्या निवास के कर्मियों ने भी फोन कर अपहरण की सूचना दी थी. इसके बावजूद भी संजय के घरवालों ने उनके अपहरण की सूचना स्थानीय थाने में नहीं दी. घरवालों का कहना है कि जान का खतरा देखते हुए पुलिस को सूचना नहीं दी गयी.
होटल कर्मियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में
संजय सिंह के अनुसार उन्होंने सूर्या निवास के कर्मियों को बताया कि उनका अपहरण करके यहां लाया गया है. कर्मियों ने इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को नहीं दी. सूचना स्थानीय पुलिस को मिलती तो संजय को चोरी छिपे भागने की जरूरत नहीं होती. रात को ही पुलिस उन्हें बरामद कर लेती. स्थानीय पुलिस इसकी भी जांच कर रही है.
posted by : sameer oraon