केंद्र व बंगाल की गलत नीतियों से अराजकता की स्थिति : सलीम
आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में पंचायत से लेकर मंत्रिमंडल तक भ्रष्टाचार व धांधली में सत्ताधारी पार्टी के नेता लिप्त हैं.
कालना में माकपा के सम्मेलन में जम कर बरसे राज्य सचिव मो. सलीम बर्दवान/पानागढ़. शुक्रवार को पूर्व बर्दवान के कालना नया बस स्टैंड के पास माकपा के 26वें सम्मेलन के मंच से पार्टी की राज्य कमेटी के सचिव मोहम्मद सलीम ने केंद्र की भाजपा नीत राजग सरकार और पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार को जम कर कोसा. कहा कि केंद्र सरकार और बंगाल की ममता सरकार की दोषपूर्ण नीतियों से देश और इस राज्य की हालत खराब है. जहां-तहां अराजकता के हालात हैं. आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में पंचायत से लेकर मंत्रिमंडल तक भ्रष्टाचार व धांधली में सत्ताधारी पार्टी के नेता लिप्त हैं. राज्य के बेरोजगार युवा दूसरे राज्यों में जाकर प्रवासी मजदूर के रूप में पेट पालने को विवश हैं. यह पश्चिम बंगाल के लिए शर्मनाक स्थिति है. ऐसे हालात से बंगाल को वाममोर्चा ही उबार सकता है. मोहम्मद सलीम ने चिंता जताते हुए कहा कि आये दिन किसी न किसी सूबे से बंगाल के प्रवासी मजदूरों-युवाओं के शव आ रहे हैं. दूसरे राज्यों में कैसे यहां के युवाओं की मौत हो रही है, इसकी पड़ताल करने की किसी को नहीं पड़ी है. केंद्र व राज्य सरकार की गलत नीतियों और सामंजस्य की कमी से ऐसे बदतर हालात हैं. माकपा नेता ने कहा कि बंगाल में रोजगार व नौकरियां होते, तो यहां के युवा दूसरे राज्यों में जाकर दिहाड़ी मजदूरी या दूसरे काम क्यों करते. राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार को आड़े हाथ लेते हुए मोहम्मद सलीम ने कहा कि यहां की ममता सरकार अपने मुंह मियां मिट्ठू बन रही है. उद्योग-धंधे लगाने के दावे करके अपनी पीठ थपथपाई जा रही है, लेकिन यहां की जमीनी हकीकत कुछ और ही है. बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति चरमरा गयी है. महिलाएं व बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं. तृणमूल नेताओं के इशारे पर यहां की पुलिस पार्टी कार्यकर्ता के रूप में काम कर रही है. यह पुलिस के लिए बेहद चिंताजनक बात है. यहां की सरकार रोजी,रोटी व उद्योग-धंधों के जरिये नौकरियां देने के बजाय बुुनियादी मुद्दों से मेलों-उत्सव के जरिये ध्यान बंटा रही है. फिजूल के खेल-मेले व उत्सवों पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाये जा रहे हैं. राज्य की ममता सरकार की कल्याणकारी योजनाएं यहां की जनता का भला करने में नाकाम रही हैं. सारे लाभ व फायदे सत्ताधारी पार्टी के करीबियों तक सिमट कर रह गये हैं. माकपा सम्मेलन के मंच से पार्टी की महिला नेता अंजू कर और अन्य वक्ताओं ने भी विचार रखे.
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