पानागढ़ के कार सेवकों को मिला अयोध्या जाने का न्योता, जेल में बिताए यातनाओं को किया याद

देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी इस अभिलाषा को पूर्ण कर दिखाया है. तपन बताते है की किस तरह वे लोग उस समय कष्ट को झेला था. नित्यानंद बताते है की जिस राम लला को हमलोग 1990 में ताबूत के नीचे खुले आकाश के नीचे रख कर आए थे.

By Shinki Singh | January 16, 2024 12:29 PM
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पानागढ़, मुकेश तिवारी : आगामी 22 जनवरी को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर पानागढ़ के भी पांच कार सेवकों को प्राण प्रतिष्ठा हेतु निमंत्रण मिला है. इनमे से बुजुर्ग नित्यानंद कोनार केवल 22 जनवरी को अयोध्या मुख्य कार्यक्रम में उपस्थित होंगे. बाकी लोगों को फरवरी में बुलाया गया है. मंगलवार को पानागढ़ आम बागान लक्ष्मी नारायण मंदिर प्रांगण में भाजपा द्वारा इन पांच कार सेवकों को सम्मानित किया गया. इस दौरान छह दिसंबर 1990 के लम्हों और जेल में बिताए यातनाओं को याद कर नित्यानंद कोनार, तपन कुमार मंडल सन्यासी कोनार, शंभू कोनार तथा ओम प्रकाश शर्मा याद कर सिहर गए .लेकिन इसके बावजूद इन लोगों ने खुशी जाहिर करते हुए कहा की को उद्देश्य के लिए वे लोग छह दिसंबर 1990 में अयोध्या गए थे.

आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम जन्मभूमि पर राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा हो रहा है. उन लोगों को मौजूद केंद्र सरकार और अयोध्या न्यास ने याद कर निमंत्रण पत्र भेजा है. इन सभी कार सेवकों ने तत्कालीन आईडी कार्ड दिखाए. इस दौरान नित्यानंद कोनार ने कहा की उन्हे तत्कालीन उत्तर प्रदेश की मुलायम सिंह की सरकार ने गिरफ्तार कर मिर्जापुर की जेल में डाल दिया था. खाने तक को नहीं मिल रहा था. जानवरों की तरह सलूक किया गया. इसी तरह तपन कुमार मंडल सन्यासी मंडल ने भी अपनी पीड़ा को बयान किया. आज इन सभी के चेहरों पर खुशी देखी गई. आज सभी ने कहा की उनके सपने आज साकार हो रहे है. अयोध्या के राम जन्म भूमि पर श्री राम का प्राण प्रतिष्ठा और भव्य मंदिर का निर्माण उनकी अभिलाषा को पूरा कर दी है.

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34 वर्षो के बाद उनकी आंखों में संजोए सपने साकार हो रहे है. उन लोगों ने कहा की उन्हें तो उम्मीद ही नहीं थी की कभी वे लोग अपने जीते जी अयोध्या में राम लला के प्राण प्रतिष्ठा को देख पाते .लेकिन देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी इस अभिलाषा को पूर्ण कर दिखाया है. तपन बताते है की किस तरह वे लोग उस समय कष्ट को झेला था. आज उस दौर को याद कर वे सिहर जाते है. नित्यानंद बताते है की जिस राम लला को हमलोग 1990 में ताबूत के नीचे खुले आकाश के नीचे रख कर आए थे. आज वहां भव्य विशाल मंदिर बन गया है. हमे अफसोस होता था की हम अपने पक्के मकान की छत के नीचे रह रहे है और हमारे प्राण पुरुष ताबूत के नीच खुले में रह रहे थे. आज सारा सपना पूरा हो गया है. आज इन सभी कार सेवकों को मौजूद भाजपा के स्थानीय नेताओं ने फूल माला पहनाकर उन्हे अयोध्या हेतु रवाना किया.

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