आसनसोल.
संत मेरी गोरेटी गर्ल्स हाइस्कूल की टीआइसी सिस्टर मोनिका (मोनिका सरदार) छात्रा की पिटाई के मामले को लेकर बुरी तरह उलझी हैं, इसी बीच एक दूसरी छात्रा के अभिभावक ने सिस्टर मोनिका पर उनकी बच्ची को बुरी तरह पिटाई करने का आरोप लगाकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करायी. जिसमें उन्होंने लिखा कि उनकी बच्ची संत मेरी गोरेटी गर्ल्स हाइस्कूल में कक्षा आठ बी में पढ़ती है. सावन महीने में एक दिन घर में पूजा हुई थी. जिसके कारण उनकी बेटी चंदन का टीका लगाकर स्कूल गयी थी. जिसके कारण सिस्टर मोनिका ने उसकी पिटाई की. यही नहीं घुटनों पर बिठाकर उसके हाथों को क्रूरता के साथ जमीन पर रगड़ा था. चंदन का टीका मिटा दिया. छात्रा पर 10 रुपये का फाइन भी लगाया. इस घटना को लेकर जब स्कूल में सिस्टर मोनिका से बात करने वह गये तो वह वहां से निकल गयीं. इस घटना को लेकर एनसीपीसीआर में शिकायत दर्ज करायी गयी है. मेहंदी लगाने के कारण कक्षा नौ की छात्रा की पिटाई के बाद उसके अभिभावक ने जिस तरह मोर्चा खोला, उसे देखकर अन्य अभिभावक भी सामने आने लगे हैं. कक्षा आठ की छात्रा की पिटाई के मुद्दे पर प्रतिक्रिया जानने के लिए सिस्टर मोनिका से संपर्क साधने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. गौरतलब है कि सिस्टर मोनिका ने मेहंदी लगाने के कारण कक्षा नौ की एक छात्रा की बुरी तरह पिटाई की थी. छात्रा के अभिभावकों ने इसके खिलाफ आवाज उठायी. आसनसोल साउथ थाने में लिखित शिकायत देने के बावजूद भी काफी दिनों तक प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई थी. इस मुद्दे पर छात्रा के समर्थन में प्रभात खबर ने आवाज उठायी और भारी संख्या में लोग तथा संगठन छात्रा के समर्थन में उतर गये. आखिरकार पुलिस ने सिस्टर मोनिका के खिलाफ आसनसोल साउथ थाने में बीएनएस की धारा 115(2)/117(2)/351(3)/126(2) के तहत मामला दर्ज हुआ. पीड़िता के अभिभावक ने इसकी शिकायत एनसीपीसीआर में भी की है.त्योहारों पर तिलक लगाने, राखी बांधने, मेहंदी लगाने पर नहीं दिया जा सकता दंड
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अधीन एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने गत आठ अगस्त को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिवों को पत्र जारी कर निर्देश दिया था कि आगामी त्योहारी मौसम में राखी व कलावा पहनकर, तिलक या मेहंदी लगाकर स्कूल आनेवाले विद्यार्थियों को उत्पीड़न का शिकार न होना पड़े, यह सुनिश्चित करना होगा. स्कूलों में बाल संरक्षण कानून को कड़ाई से पालन करने को कहा. स्कूलों की ओर से बच्चों को सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों में भागीदारी पर प्रतिबंध लगाने की प्रवृति को चिंताजनक बताया. श्री कानूनगो ने कहा कि रक्षाबंधन जैसे त्योहारों पर राखी बांधने, तिलक या मेहंदी लगाने जैसी धार्मिक प्रथाओं को लेकर कई विद्यार्थियों को शारीरिक और मानसिक रूप से उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है. यह आरटीआइ अधिनियम की धारा 17 का सीधा उल्लंघन है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है