अब कांकसा जंगलमहल में भी चाय की खेती

दार्जिलिंग के बाद दक्षिण बंगाल के पश्चिम बर्दवान जिले के कांकसा जंगलमहल में चाय की खेती शुरू होने से स्थानीय किसानों में खुशी व उत्साह देखा जा रहा है. कांकसा ब्लॉक के बनकाठी ग्राम पंचायत के अधीन देउल पार्क परिसर में दार्जिलिंग चाय की खेती शुरू कर दी गयी. चाय के पौधे रोपे गये हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | January 1, 2025 9:57 PM

पानागढ़.

दार्जिलिंग के बाद दक्षिण बंगाल के पश्चिम बर्दवान जिले के कांकसा जंगलमहल में चाय की खेती शुरू होने से स्थानीय किसानों में खुशी व उत्साह देखा जा रहा है. कांकसा ब्लॉक के बनकाठी ग्राम पंचायत के अधीन देउल पार्क परिसर में दार्जिलिंग चाय की खेती शुरू कर दी गयी. चाय के पौधे रोपे गये हैं. देउल पार्क के कार्यकर्ता सोमनाथ हाजरा ने बताया कि दार्जिलिंग व सिलीगुड़ी के वातावरण के अनुरूप ही देउल पार्क में मिट्टी तैयार कर चाय की खेती शुरू की गयी है. चूंकि देउल पार्क टूरिस्ट प्लेस है, ऐसे में इस बार यहां आनेवाले सैलानियों के लिए चाय की खेती नया व सुखद आकर्षण होगा. सोमनाथ बताते हैं कि यदि यहां चाय की खेती सफल रही, तो स्थानीय किसानों को इस ओर अग्रसर किया जायेगा. सोमनाथ बताते हैं कि सिलीगुड़ी दार्जिलिंग के अनुरूप यहां की मिट्टी थोड़ी सख्त है, लेकिन उसे दार्जिलिंग की मिट्टी के अनुरूप तैयार कर चाय का पौधा रोपा गया है. सोमनाथ ने आगे बताया कि फिलहाल देउल पार्क में करीब दो बीघा क्षेत्र में चाय के पौधे रोपे गये हैं.

इसके लिए दार्जिलिंग से चाय श्रमिक व विशेषज्ञ बुलाये गये थे. करीब चार दिनों की मेहनत के बाद मिट्टी तैयार कर दो बीघा में करीब तीन हजार चाय के पौधे रोपे गये हैं. दार्जिलिंग से आये विशेषज्ञ ने हमारे यहां के भी किसानों व मजदूरों को ट्रेनिंग दी है. बताया है कि कैसे चाय के पौधे का रखरखाव किया जाए. बताते हैं कि अजय नदी के किनारे देउल पार्क की आबोहवा दार्जिलिंग जैसी है. यहां की सख्त मिट्टी को चाय की खेती के अनुरूप तैयार किया गया है. दो बीघा जमीन को तैयार कर दार्जलिंग से आये मजदूर व विशेषज्ञों की मदद से करीब तीन हजार चाय के पौधे लगाने पर कुल 60 हजार रुपये का खर्च आया है. यदि सबकुछ ठीक रहा, तो अगले एक वर्ष में यहां चाय की पैदावार होने लगेगी. चूंकि उन लोगों ने उन्नत मान का सीटीसी किस्म के चाय के पौधे रोपे हैं. दार्जिलिंग के बाद कांकसा के जंगलमहल में चाय की खेती शुरू होने से स्थानीय किसानों को नयी राह व दिशा मिलेगी. चाय के पौधे तैयार होने के बाद उससे उगनेवाली चाय की पत्ती से अच्छा कारोबार हो सकता है. इधर, नये वर्ष में 2025 देउल पार्क आनेवाले पर्यटकों को भी चाय की नयी खेती सुखद अनुभूति दे रही है.

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