13 दिनों में तीसरे डिजिटल अरेस्ट की प्राथमिकी, फिर कमाई पर डाका
18 जनवरी से 31 जनवरी के बीच साइबर क्राइम थाना आसनसोल में तीसरी डिजिटल अरेस्ट की शिकायत ने पुलिस की परेशानी बढ़ा दी है. दुर्गापुर करंगापाड़ा इलाके के निवासी तरुण कुमार केश को साइबर अपराधियों ने 25 जनवरी से 28 जनवरी तक डिजिटल अरेस्ट करके उनके जिंदगी भर की जमा पूंजी 9,60,494 रुपये लूट लिया.
आसनसोल.
18 जनवरी से 31 जनवरी के बीच साइबर क्राइम थाना आसनसोल में तीसरी डिजिटल अरेस्ट की शिकायत ने पुलिस की परेशानी बढ़ा दी है. दुर्गापुर करंगापाड़ा इलाके के निवासी तरुण कुमार केश को साइबर अपराधियों ने 25 जनवरी से 28 जनवरी तक डिजिटल अरेस्ट करके उनके जिंदगी भर की जमा पूंजी 9,60,494 रुपये लूट लिया. जब उनके खाते से सारी रकम निकल गयी तब साइबर अपराधियों ने ढील दी. इसके बाद उन्हें समझ में आया कि वे साइबर ठगी के शिकार हुए हैं. उन्होंने एनसीआरपी में ऑनलाइन इसकी शिकायत दर्ज करवायी. शुक्रवार को साइबर क्राइम थाना आसनसोल में उनकी शिकायत के आधार पर कांड संख्या 17/25 में बीएनएस की धारा 316(2)/318(4)/319(2)/336(3)/338/340(2)/61(2) के तहत अज्ञात बदमाशों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ. गौरतलब है कि साइबर अपराध इन्वेस्टमेंट स्कैम और डिजिटल अरेस्ट के जरिए सबसे ज्यादा लोगों को लूट रहे हैं. यह मामला इतना ज्यादा भयावह हो गया है कि प्रधानमंत्री को आकर लोगों को बताना पड़ रहा है कि डिजिटल अरेस्ट बोलकर कुछ नहीं होता है. लोगों को अपने जाल में फंसाने का साइबर अपराधियों की यह एक चाल है. लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मोबाइल फोन पर किसी को कॉल करते ही सबसे पहले साइबर अपराध से बचने की बात बतायी जा रही है. इसके बावजूद लोग इनके चंगुल में फंसकर अपनी जीवन भर की जमापूंजी गंवा रहे हैं.टेलीग्राम ग्रुप में पैसे कमाने के चक्कर में गंवा दिये 10.54 लाख रुपये
आसनसोल/रानीगंज. रानीगंज थाना क्षेत्र के सियारसोल रोखहा कालीटोला इलाके के निवासी इकबाल खान को साइबर अपराधियों ने 10,54,536 रुपये का चूना लगा दिया. जिसकी शिकायत उन्होंने साइबर क्राइम थाना आसनसोल में दर्ज करायी. श्री खान ने अपनी शिकायत में कहा कि 26 जनवरी 2025 को एक टेलीग्राम ग्रूप में उन्हें आमंत्रित किया गया था. जिसमें इंस्टाग्राम पर मशहूर हस्तियों को फॉलो करने और एक यूजर में स्क्रीनशॉर्ट देने का काम सौंपा गया था. इस काम को पूरा करने पर खाता में 150 रुपये भेजने के लिए खाता नंबर लिया गया. 150 रुपये आ भी गया. शुरुआत में छोटे-छोटे राशि भेजकर श्री खान का विश्वास जीता. जैसे-जैसे आगे बढ़े उन्हें अपने पैसे निवेश कर लाभ कमाने के लिए प्रेरित किया गया. 26 जनवरी से 28 जनवरी के बीच उन्होंने 10,54,536 रुपये 15 किश्तों में जमा किया. जब वे राशि निकालने गये, तब वे फंस गये. उन्हें यकीन हो गया कि साइबर अपराधियों के चंगुल में फंसे हैं.
18 जनवरी 2025 को एडीपीसी में दर्ज हुआ डिजिटल अरेस्ट का पहला केस
आसनसोल-दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट (एडीपीसी) क्षेत्र में डिजिटल अरेस्ट का पहला मामला 18 जनवरी 2025 को साइबर क्राइम थाना आसनसोल में दर्ज हुआ. जिसमें आसनसोल साउथ थाना क्षेत्र के समीरन राय रोड इलाके के निवासी व पूर्व दूरदर्शन कर्मचारी चंचल बंधोपाध्याय को 10 जनवरी से 16 जनवरी तक सात दिनों तक डिजिटल अरेस्ट करके साइबर अपराधियों ने 1,03,85,000 रुपये लूट लिए. इस मामले में पुलिस को बड़ी सफलतामिली है और कुल आरोपी गिरफ्तार हुए हैं. दूसरा मामला 28 जनवरी को दर्ज हुआ, जिसमें बर्नपुर निवासी परेश रंजन साहू को चार जनवरी से 23 जनवरी, 20 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट करके 4,44,081 रुपये लूट लिए. तीसरा मामला 31 जनवरी को दर्ज हुआ, जिसमें दुर्गापुर निवासी तरुण कुमार केश को 25 जनवरी से 28 जनवरी तक डिजिटल अरेस्ट करके 9,60,494 रुपये लूट लिया.
तरुण को कैसे डिजिटल अरेस्ट करके अपराधियों ने लूट ली पूरी राशि?
डिजिटल अरेस्ट के पहले दो मामले एकदम एक जैसे थे. जिसमें कूरियर के पैकेट में ड्रग्स का डर दिखाया गया, जब पीड़ित इस बात नकार दिया कि उसने कोई कूरियर नहीं भेजा, तब उसे बताया गया कि उनके आधार कार्ड का दुरुपयोग हुआ है. इसके बाद उन्हें डर दिखाकर अपने झांसे में फंसाया था. दुर्गापुर निवासी तरुण केश को कुछ अलग तरीके से फंसाया. उन्होंने अपनी शिकायत में बताया कि उन्हें 25 जनवरी सुबह 8173016958 नम्बर से कॉल आया. कॉल करनेवाले ने खुद को मुंबई के डोंगरी थाना इलाके का सहायक अवर निरीक्षक आकाश वर्मा बताकर उन्हें काफी अपशब्द कहने लगा. वह कुछ समझ पाते इससे पहले उसने कहा कि मुंबई पुलिस उन्हें काफी दिनों से संपर्क करने का प्रयास कर रही है. क्योंकि उनके बैंक खाता से कुछ पैसा अपराधियों को भेजा गया है, जो मनी लॉन्ड्रिंग के मामला में शामिल है. जब श्री केश ने बताया कि उन्होंने किसी को कोई पैसा नहीं भेजा है. कथित पुलिस अधिकारी ने उन्हें धमकाते हुए वीडियो कॉल पर बात शुरू कर दी और उन्हें लगातार वीडियो कॉल पर बने रहने के अलावा किसी से भी बात नहीं करने की हिदायत दी. ऐसा नहीं करने पर कभी भी गिरफ्तार होने का डर दिखाया. वे उसकी बातों में आकर वीडियो कॉल पर बने रहे. उसने वित्त विभाग के आदेश के रूप में अनेकों कागजात दिखाया. जिससे उनके मन में डर पैदा हो गया. 25 तारीख सुबह साढ़े आठ बजे से गंभीर दाबाव और लगातार धमकियों से डरकर जो अपराध उन्होंने किया ही नहीं उससे बचने के लिए वे साइबर अपराधियों के हर निर्देश को मानने लगे. उनके द्वारा भेजे गये अकाउंट नम्बर पर कुल दो लेनदेन में अपनी जीवन की सारी जमापूंजी 9,60,494 रुपये उन्होंने ट्रांसफर कर दिया. जब उनके पास देने के लिए कोई रकम नहीं रहा, इसकी जानकारी साइबर अपराधियों को हो गयी तो उनलोगों ढील दे दिया. 28 जनवरी को श्री केश को समझ आ गया कि वे साइबर अपराधियों के चंगुल में हैं, फिर उन्होंने अपना फोन बंद कर दिया.
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