बोर्ड ने माना, पांच में से चार श्रमिकों को सिलिकोसिस
सिलिकोसिस से आक्रांत मरीजों को न्याय दिलाने को लेकर प्रभात खबर अखबार का मुहिम सफल रहा. बुधवार को आसनसोल जिला अस्पताल के अयोजिति जिला सिलिकोसिस डायग्नोस्टिक बोर्ड की बैठक में पांच में से चार मरीजों को सिलिकोसिस बीमारी से आक्रांत बताया गया. इन्हें सिलिकोसिस मरीज होने का पहचानपत्र आवंटन होगा.
आसनसोल.
सिलिकोसिस से आक्रांत मरीजों को न्याय दिलाने को लेकर प्रभात खबर अखबार का मुहिम सफल रहा. बुधवार को आसनसोल जिला अस्पताल के अयोजिति जिला सिलिकोसिस डायग्नोस्टिक बोर्ड की बैठक में पांच में से चार मरीजों को सिलिकोसिस बीमारी से आक्रांत बताया गया. इन्हें सिलिकोसिस मरीज होने का पहचानपत्र आवंटन होगा. जिसके बाद से मरीज व उसके परिवार की सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी. मरीज के जीवित रहते दो लाख रुपये नकद और चार हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन तथा नहीं रहने पर उसकी पत्नी/पति/माता-पिता को दो लाख रुपये नकद और साढ़े तीन हजार रुपये पेंशन मिलता रहेगा. बच्चों के पढ़ाई के लिए कक्षा ग्यारह से उच्च शिक्षा प्राप्त करने तक सरकार मोटी रकम सालाना अनुदान देगी. इसके अलावा सामाजिक सुरक्षा को लेकर सरकार की जितनी भी परियोजनाएं हैं, उनमें इन्हें अग्रधिकार मिलेगा. जिला में अबतक सिर्फ एक श्रमिक को ही सिलिकोसिस बीमारी से आक्रांत पाया गया है. जिनकी मौत चार साल पहले हो चुकी है. सिलिकोसिस के मुद्दे को लेकर लगातार मुखर रहे तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत करनेवाले सामाजिक कार्यकर्ता सालानपुर प्रखंड के रामडी गांव के निवासी अमरनाथ महतो ने कहा प्रभात खबर के सहयोग के बदौलत ही उनका मुहिम सफल हुआ. पिछले कई वर्षों से वह सिलिकोसिस मरीजों को उनका हक दिलाने के लिए लड़ रहे हैं. अनेकों मरीज मारे गये. प्राभात खबर का साथ मिलते ही 18 दिनों के अंदर बोर्ड बैठ गया और पांच में से चार मरीजों को सिलिकोसिस आक्रांत होने की आधिकारिक पुष्टि हो गयी. इन मरीजों की संख्या सैकड़ों में है, जिसे लेकर आगे भी लड़ाई जारी रहेगी. गौरतलब है सिलिकोसिस बीमारी से आक्रांत मरीजों को सरकारी मान्यता नहीं मिलने से इन्हें आर्थिक अनुदान से वंचित होना पड़ रहा है. जिला के सालानपुर प्रखंड में ही कुल एक दर्जन रैमिंगमास इंडस्ट्री (क्वार्ज पत्थर की पिसाई करने का कारखाना) है. प्रदूषण नियत्रण विभाग के नियमों की अनदेखी कर धड़ल्ले से चल रहे इन उद्योगों में कार्य करनेवाले अधिकांश श्रमिक सिलिकोसिस से आक्रांत हो रहे हैं और 25-30 वर्ष के उम्र में ही इनकी मौत हो जा रही है. इन्हें सिलिकोसिस बीमारी है, इसकी पुष्टि ही नहीं होती है. जिसके कारण इन्हें सराकरी अनुदान कुछ भी नहीं मिलता है. इस मुद्दे को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अमरनाथ महतो ने मुहिम शुरू की. उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में दो शिकायतें की. एक शिकायत जगन्नाथ राय (30) व सौ अन्य श्रमिक और दूसरी शिकायत सुबल राय (27) के सिलिकोसिस आक्रांत होने को लेकर की. आयोग ने मामले को संज्ञान में लिया और दो अलग-अलग मामला दर्ज हुआ. इसी दौरान जगन्नाथ राय की मौत चार माह पहले और सुबल राय की मौत 21 दिसम्बर 2021 को हुई.प्रभात खबर के संज्ञान में मामला आते ही न्याय की जगी उम्मीद : अमरनाथ
20 दिसंबर को सुबल राय की मौत होते ही सामाजिक कार्यकर्ता श्री महतो ने प्रभात खबर से संपर्क किया और पूरी कहानी बतायी. अखबार ने मरीजों के हक के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाई और खबर इस मौत की खबर को विस्तृत रूप से प्रकाशित किया. जिसके दूसरे दिन 23 दिसम्बर को मेडिकल टीम सालानपुर प्रखण्ड के अल्लाडी ग्राम पंचायत अंतर्गत बराभुईं गांव में मृतक सुबल राय के आवास पर पहुंची.उसके बाद लगातार प्राभात खबर ने इनसे जुड़ी खबरे प्रकाशित की. जिलाधिकारी पोन्नमबालम.एस ने इस मामले को काफी गंभीरता से लिया और 18 दिनों के अंदर ही गांव में शिविर लगाकर संभावित मरीजों की प्राथमिक जांच हुई. 32 संभावित मरीजों में से 20 को प्रखंड प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक्सरे करवाया गया. एक्सरे रिपोर्ट के आधार पर छह संभावित मरीजों को जिला अस्पताल में जांच के लिए बुलाया गया.
पांच मरीज जांच के लिए आये, एक नहीं आया. सभी पांच मरीजों का जांच रिपोर्ट में सस्पेक्ट सिलिकोसिस बताया गया. बुधवार को बोर्ड की बैठक में पांच में से चार को सिलिकोसिस मरीज होने की पुष्टि की गयी. सामाजिक कार्यकर्ता ने श्री महतो ने कहा कि प्राभात खबर में खबर प्रकाशित होने के बाद न्याय की उम्मीद जग गयी थी. इतना जल्दी सबकुछ होगा, यह उम्मीद नहीं थी.सिलिकोसिस के रोगी को क्या सरकारी अनुदान देने का है प्रावधान
सिलिकोसिस मरीजों को लेकर राज्य के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग ने 27 जून 2023 को संशोधित सिलिकोसिस राहत, पुनर्वास और इलाज पॉलिसी जारी किया. जिसके तहत श्रम विभाग द्वारा सिलिकोसिस मरीजों को पुनर्वास सहायता के रूप में दो लाख रुपये मिलेगा. यदि मरीज को जीवित रहते दो लाख रुपये नहीं मिला तो मृतक के आश्रित को चार लाख रुपये की पुनर्वास सहायता राशि मिलेगी. मरीज के निधन होने के बाद आश्रित को दो लाख रुपये की पुनर्वास सहायता राशि मिलेगा. मरीज के जीवित रहते सिलिकोसिस पुनर्वास पेंशन प्रतिमाह चार हजार रुपये मिलेगा. मरीज के नहीं रहने पर उसकी पत्नी/पति/माता-पिता/नाबालिग/विधवा बेटी को साढ़े तीन हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन मिलेगा. शिक्षा के लिए सहायता राशि के रूप में मरीज के संतानों को कक्षा ग्यारह में चार हजार रुपये, कक्षा बारह में पांच हजार रुपये, ग्रेजुएशन में सालाना छह हजार रुपये, मास्टर्स में सालाना 10 हजार रुपये, मेडिकल व इंजीनियरिंग में सालाना 30 हजार रुपये, पॉलीटेक्निक में सालाना दस हजार रुपये मिलेगा. कन्यादान सहायता राशि के रूप में दो लड़कियों को 25-25 हजार रुपये करके मिलेगा. इसके अलावा सरकार की सामाजिक सुरक्षा के सभी परियोजनाओं में अग्राधिकार मिलेगा.
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