WBCS News: बंगाल में हिंदी, उर्दू व संताली भाषा वालों का प्रशासनिक अधिकारी बनना हुआ मुश्किल
WBCS Notification 2024: पश्चिम बंगाल में हिंदी, उर्दू और संताली भाषा पढ़ने वाले बच्चों का डब्ल्यूबीसीएस (एग्जीक्यूटिव) ऑफिसर नहीं बन पाएंगे. जानें पूरा मामला.
WBCS Notification 2024|आसनसोल, शिवशंकर ठाकुर : 11 जनवरी 2024 को राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नबान्न (राज्य सचिवालय) में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की थी कि राज्य सिविल सर्विस और राज्य पुलिस सर्विस की परीक्षा में उर्दू, संताली और हिंदी भाषा को शामिल किया गया है.
15 मार्च को गजट जारी कर 3 भाषा को पेपर से हटाया
पश्चिम बंगाल सरकार की कार्मिक व प्रशासनिक सुधार विभाग ने सिविल सर्विस (एग्जीक्यूटिव) की परीक्षा के सिलेबस को लेकर 15 मार्च 2023 को संशोधित गजट नोटिफिकेशन जारी किया, जिसमें मेंस परीक्षा के पेपर-ए से हिंदी, उर्दू और संताली भाषा को हटाकर सिर्फ बांग्ला और नेपाली को रखा.
लोकसभा चुनाव से पहले ममता ने दिया आश्वासन
अधिसूचना जारी होने के बाद पूरे राज्य में आंदोलन हुआ. लोकसभा चुनाव के पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सिविल सर्विस की परीक्षा में हिंदी, उर्दू और संताली को शामिल करने की घोषणा की. लेकिन स्टेट पब्लिक सर्विस कमीशन की ओर से दो दिन पूर्व एक महत्वपूर्ण अधिसूचना जारी कर कहा गया कि वर्ष 2024 की राज्य सिविल सर्विस (एक्जिक्यूटिव) परीक्षा पुरानी योजना और पाठ्यक्रम के आधार पर आयोजित होगी.
लाखों छात्रों का डब्ल्यूसीएस अधिकारी बनने का सपना टूटा
वर्ष 2025 के लिए यह परीक्षा 15 मार्च 2023 को जारी गजट नोटिफिकेशन के तहत नये पैटर्न और पाठ्यक्रम को लेकर 24 जुलाई 2024 को जारी संशोधित गैजेट नोटिफिकेशन के आधार पर होगा. संशोधित अधिसूचना में भी हिंदी, उर्दू और संताली भाषा को जगह नहीं मिली है. इस वजह से लाखों छात्रों का डब्ल्यूबीसीएस अधिकारी बनने का सपना लगभग समाप्त होता दिख रहा है.
मुबरक अली मुबारकी ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
इस मुद्दे पर लंबे समय से आंदोलन कर रहे खड़गपुर अजीजिया हाइस्कूल के पूर्व शिक्षक प्रभारी व अलीमुद्दीन स्ट्रीट कोलकाता के निवासी मुबारक अली मुबारकी ने पूरे मामले की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा और घोषणा के अनुसार सिविल सर्विस की परीक्षा में तीनों भाषाओं को जोड़ने की अपील की है.
क्या है डब्ल्यूसीएस विवाद
पश्चिम बंगाल राज्य सिविल सर्विस (एक्जीक्यूटिव) के लिए प्रिलिमिनरी और मेन दो चरणों में उम्मीदवारों को परीक्षा देनी होती है. प्रिलीमिनरी पास करने पर मेन परीक्षा देने का मौका मिलता है. पुराने सिलेबस में मेन परीक्षा के कम्पलसरी पेपर-1 में बांग्ला/हिंदी/ उर्दू/संताली/नेपाली भाषा में लेटर राइटिंग (150 शब्द), ड्राफ्टिंग ऑफ रिपोर्ट (200 शब्द), प्रेसिस राइटिंग, कम्पोजिशन और बांग्ला/हिंदी/उर्दू/नेपाली/संताली भाषा से अंग्रेजी में ट्रांसलेशन था. यह 200 नंबर का पेपर होता था. 15 मार्च 2023 को राज्य सरकार के कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग ने राज्य सिविल सर्विस (एक्जीक्यूटिव) की परीक्षा के सिलेबस को लेकर जो संशोधित गैजेट नोटिफिकेशन जारी किया. उसमें मेंस परीक्षा के पेपर-ए को 300 नंबर का किया गया और हिंदी, उर्दू तथा संताली भाषा को हटाकर सिर्फ बांग्ला और नेपाली को रखा गया. अब 300 नंबर के पेपर में बांग्ला/नेपाली भाषा में लेटर राइटिंग, ड्राफ्टिंग ऑफ रिपोर्ट, प्रेसिस राइटिंग, कम्प्रिहेंशन, बांग्ला/नेपाली से अंग्रेजी में ट्रांसलेशन और शॉर्ट स्टोरी लिखनी होगी. यह सारा कुछ कक्षा दस के स्तर के पाठ्यक्रम के आधार पर होगा.
बंगाल के छात्रों में क्यों मची खलबली
यह अधिसूचना जारी होते ही पूरे राज्य में हिंदी, उर्दू और संताली माध्यम के विद्यार्थियों में खलबली मच गयी. मुख्यमंत्री ने राज्य सिविल सर्विस परीक्षा में उक्त तीनों भाषाओं को पुनः शामिल करने की घोषणा की. 15 मार्च 2023 को जारी गैजेट नोटिफिकेशन का संशोधित गैजेट नोटिफिकेशन 24 जुलाई 2024 को जारी हुआ. जिसमें सिर्फ लैंगुएज भाषा से अंग्रेजी में अनुवाद को बदला गया. बाकी सारा कुछ 15 मार्च 2023 के आधार पर ही रहा.
2025 की सिविल सर्विस परीक्षा से बाहर हो जायेंगे हिंदी उर्दू व संताली माध्यम के विद्यार्थी?
नये पैटर्न और सिलेबस के आधार पर मेंस परीक्षा के पेपर-ए में दार्जीलिंग व कलिम्पोंग के लोगों को छोड़कर सभी उम्मीदवारों को 300 नंबर की परीक्षा बांग्ला भाषा में लिखनी होगी. पास मार्क्स 90 लाना होगा. परीक्षा में लेटर राइटिंग, ड्राफ्टिंग ऑफ रिपोर्ट, प्रेसिस राइटिंग, कम्प्रिहेंशन, अंग्रेजी से बांग्ला में अनुवाद, शॉर्ट स्टोरी आदि लिखना होगा. यह विशुद्ध रूप से बांग्ला माध्यम के छात्र ही कर पायेंगे. इससे हिंदी, उर्दू और संताली माध्यम के विद्यार्थी ही नहीं अंग्रेजी माध्यम में पढ़नेवाले अधिकांश विद्यार्थी प्रभावित होंगे. अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में सेकेंड लैंगुएज के रूप में अधिकांश छात्र हिंदी को चुनते हैं.
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