पश्चिम बंगाल के बीरभूम में ‘खेला होबे’ के नाम पर कालीपूजा और दीपावली के पहले बाजार में पटाखाें की बिक्री शुरु कर दी गई है. गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने ‘खेला होबे’ को अपना चुनावी स्लोगन बनाया था. इसके बाद खेला होबे के नाम पर बाजार में चावल, कुरकुरे समेत अन्य कई खाने की वस्तुएं बाजार में आने लगी . कई राइस मिल के मालिक अपने चावल के पैकेट पर खेला होबे का ब्रांड देकर जमकर मार्केटिंग किए थे . वैसे ही दीपावली और काली पूजा आने के साथ ही खेला होबे के नाम पर बाजार में पटाखे भी आ गए है.
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बच्चे से लेकर युवा तक खेला होबे नाम और ब्रांड से बिक रहे पटाखों को लेकर खूब चर्चा कर रहे है. हालांकि खेला होबे के नाम से जो पटाखे बाजार में उतरे हैं अत्याधिक साउंड होने के कारण वे प्रतिबंधित बताए गए हैं . लेकिन इस बीच प्रतिबंधित पटाखों को लेकर पुलिस और प्रशासन की दिक्कत बढ़ गई है. चूंकि इन पटाखों पर खेला होबे लिखा हुआ है इसके कारण पुलिस इन पटाखों की जब्ती को लेकर चिंतित है .
दूसरी ओर राजनीतिक स्तर पर भी इन पटाखों को लेकर बाजार गर्म है. बीरभूम जिला भाजपा पार्टी अध्यक्ष ध्रुव साहा का कहना है कि बीरभूम जिला अब तक बम और बारूद के ढेर पर खड़ा है अब सत्ता दल तथा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनावी स्लोगन खेला होबे को लेकर बाजार में पटाखे भी आ गए हैं. अब तक बड़े लोग बम फोड़ रहे थे ,अब बच्चे खेला होबे के नाम पर पटाखे फोड़ेंगे. हालांकि तृणमूल के जिला नेता तथा विधायक विकास राय चौधरी का कहना है कि खेला होबे के नाम पर किसने और किस प्रेरणा से अपने पटाखे का नामकरण किया है यह हमें नहीं पता लेकिन एक बात स्पष्ट है कि पटाखा बनाने वाली कंपनी मुख्यमंत्री के विकास कार्यों से काफी प्रभावित है. यही कारण है कि उसने खेला होबे के नाम पर पटाखे बनाए है.
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रिपोर्ट : मुकेश तिवारी