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श्रमिकों ने दिया भरपूर समर्थन हड़ताल को बताया पूरी तरह सफल

आसनसोल आइरन एंड स्टील वर्कर्स यूनियन (इंटक) के महासचिव व एनजेसीएस के सदस्य हरजीत सिंह ने बताया कि हड़ताल पूरी तरह से सफल रही है.

सेल आइएसपी के चारों गेटों पर बंद के समर्थन में डटे रहे पांचों यूनियनों के नेता व सदस्य टनल गेट पर कर्मचारियों के साथ सीआइएसएफ की हुई नोंकझोंक सभी विभागों के कामकाज ठप बर्नपुर. सेल आइएसपी बर्नपुर में सोमवार को हड़ताल पूर्णरूप से सफल होने का दावा नेशनल जॉइंट कमेटी फॉर सेल (एनजेसीएस) के सदस्यों ने किया. संस्था में सक्रिय पांचों ट्रेड यूनियन, इंटक, सीटू, एटक, एचएमएस और बीएमएस ने संयुक्त रूप से पहली बार 24 घंटे की हड़ताल का आह्वान किया था. जिसे उन्होंने सफल बताया. यूनियन नेता अपने समर्थकों के साथ आइएसपी के सभी चारों गेट पर भोर से ही डटे रहे. जो खबर लिखे जाने तक जारी है. यूनियन नेताओं ने बताया कि जो रविवार रात की पाली में ड्यूटी गये थे. उन्हें ड्यूटी समाप्त होने पर सोमवार सुबह बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा था. टनल गेट से निकलते हुए कर्मचारियों को सीआइएसएफ के जवानों ने रोकने का प्रयास किया, जिसे लेकर गेट पर तनाव की स्थिति बन गयी. बाद में सभी कर्मचारियों को छोड़ दिया गया. आसनसोल आइरन एंड स्टील वर्कर्स यूनियन (इंटक) के महासचिव व एनजेसीएस के सदस्य हरजीत सिंह ने बताया कि हड़ताल पूरी तरह से सफल रही है. आइएसपी में कर्मचारियों की उपस्थिति 35 प्रतिशत रही है. 65 प्रतिशत कर्मचारी कार्य से अनुपस्थित थे. कर्मचारी स्वेच्छा से कार्य पर नहीं गये और हड़ताल का समर्थन किया, यह यूनियन और श्रमिकों की जीत है. बर्नपुर इस्पात कर्मचारी संघ बीएमएस के नेता संजीव बनर्जी ने कहा कि आइएसपी में 1100 अधिकारी, 3700 स्थायी कर्मचारी और आठ हजार ठेका श्रमिक हैं. जनरल शिफ्ट में अधिकारियों की उपस्थिति सौ प्रतिशत रही है. लेकिन ए शिफ्ट, बी शिफ्ट में स्थायी कर्मचारियों की उपस्थिति 30 प्रतिशत रही. कर्मचारियों ने हड़ताल का पूरी तरह से समर्थन किया है. गौरतलब है कि इस हड़ताल को लेकर प्रबंधन और यूनियन के बीच काफी तनाव भरा माहौल था. प्रबंधन किसी भी तरह हड़ताल को विफल करना चाहती थी और यूनियन हर कीमत पर इसे सफल बनाने के लिए तत्पर थी. इसके लिए उसने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. परिणामस्वरूप करीब 65 प्रतिशत कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं गये. यूनियन नेताओं ने दावा किया कि हड़ताल से उत्पादन पूरी तरह ठप रहा. जैसे तैसे मिल और फर्नेस को चालू रखा गया है. इस हड़ताल ने प्रबंधन को यूनियन की ताकत का अहसास करा दिया है. आरएमएचपी में करीब 20 प्रतिशत ही कर्मचारी पहुंचे. फिनांस, कोल की लोडिंग और अनलोडिंग का कार्य भी प्रभावित हुआ है. जिसका असर ब्लास्ट फर्नेस पर पड़ा है. सीडीआई पूरी तरह से ठप हो गया है. ब्लास्ट फर्नेस को वैकल्पिक व्यवस्था से चलाया जा रहा है. वहीं कोकओवन में 20 से 25 प्रतिशत ही अटेंडेंस रही. पुशिंग 99 प्रतिशत होती थी, जो 20 प्रतिशत रही है. बिगड़ते हालात को संभालने के लिए उच्चाधिकारी यूनियन नेताओं को समझाते रहे. यहां तक अपील करते रहे कि इमरजेंसी सेवा वाले कर्मचारियों को आने दीजिए, अन्यथा बड़ी दुर्घटना हो जायेगी. हड़ताल का समर्थन करते हुये क्रेन ऑपरेटर आइएसपी बर्नपुर में ड्यूटी करने नहीं आये. क्रूड स्टील का उत्पादन प्रभावित हुआ है. ठेका मजदूरों की संख्या भी काफी कम रही. प्रबंधन अब चिंता में है कि आने वाले 10 दिनों तक इसका असर देखने को मिलेगा. दूसरी ओर तृणमूल समर्थित यूनियन आइएनटीटीयूसी के नेता प्लांट में कर्मचारियों को प्रवेश कराने के लिए मशक्कत करते रहे. लेकिन एनजेसीएस यूनियन के नेताओं के साथ कर्मचारियों ने मोर्चा संभाले रखा. किसी को अंदर जाने नहीं दिया जा रहा था. सूत्रों के अनुसार आइएसपी प्रबंधन कर्मचारियों के खिलाफ एक्शन ले सकती है.

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