शवों के साथ तकिया व चादर जलाने पर लगायी गयी रोक
अंतिम संस्कार के दौरान शव के साथ तकिया और चादर जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. कोलकाता नगर निगम ने वायु प्रदूषण रोकने के लिए यह निर्देश जारी किया है. इसके तहत निगम के स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक सर्कुलर भी जारी किया गया है.
वायु प्रदूषण को लेकर नगर निगम ने जारी किया नया निर्देश संवाददाता, कोलकाता. अब महानगर में अंतिम संस्कार के दौरान शव के साथ तकिया और चादर जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. कोलकाता नगर निगम ने वायु प्रदूषण रोकने के लिए यह निर्देश जारी किया है. इसके तहत निगम के स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक सर्कुलर भी जारी किया गया है. बता दें कि कोलकाता में निगम के सात श्मशान घाट हैं- दक्षिण कोलकाता में केवड़ातला महा श्मशान घाट, उत्तर कोलकाता में नीमतला श्मशान घाट, श्री श्री रामकृष्ण महा श्मशान घाट, काशी मित्र बर्निंग घाट, गरिया महा श्मशान, सिरिटी श्मशान, बिरजुनाला बर्निंग घाट. यहां विद्युत शवदाह गृह की व्यवस्था है. शवदाह गृह से निकलने वाले काले धुंआ को फिल्टर करने के लिए कई तरह के उपकरण लगाये गये हैं. इस संबंध में निगम आयुक्त धवल जैन ने बताया कि अस्पताल में किसी मरीज की मौत होने पर उसके शव को चादर, कंबल और तकिया के साथ लपेट कर शवदाह गृह में डाल दिया जाता है. कुछ लोग कई तरह के सामान भी डाल देते हैं. इस प्रकार की वस्तुओं को जलाने से हानिकारक प्रदूषक उत्पन्न होता है. इस वजह से ही निगम की ओर से नया निर्देश जारी किया गया है. वहीं, पर्यावरणविदों का कहना है कि हवा में विभिन्न प्रकार के प्रदूषक तैर रहे हैं. उनमें से सबसे खराब वे हैं, जिनका व्यास ढाई माइक्रोन या उससे कम है. इन्हें पार्टिकुलेट मैटर 2.5 कहा जाता है. ये सांस के सीधे फेफड़ों में चला जाता है. यह तकिया, गद्दे जलाने से भी पैदा होता है. शवदाह गृह में चादर, तकिया जैसी चीजें जलायी जा रही हैं और इससे काला धुआं उत्पन्न हो रहा है, जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है. नयी गाइडलाइंस के मुताबिक, तकिया और कंबल जैसी चीजों को शव के साथ नहीं जलाया जा सकता. सिर्फ कफन जलाये जाने का निर्देश दिया गया है. श्मशान घाट के उप-रजिस्ट्रार को अंतिम संस्कार से पहले तकिया, कंबल हटाने का निर्देश दिया गया है.
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