इलाज के लिए बांग्लादेशी मरीज नहीं आ पा रहे कोलकाता

बांग्लादेश में अशांति का असर अब कोलकाता के निजी अस्पतालों पर भी दिख रहा है. इलाज के लिए बांग्लादेश से मरीज नहीं आ पा रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | August 14, 2024 1:27 AM

शिव कुमार राउत

बेहतर चिकित्सा व जटिल सर्जरी के लिए महानगर के विभिन्न निजी अस्पतालों में बांग्लादेशी मरीज आते हैं. कोलकाता के निजी अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या अधिक रहती है. हालांकि पिछले कई दिनों से स्थिति बदली हुई नजर आ रही है. बांग्लादेश में अशांति का असर अब कोलकाता के निजी अस्पतालों पर भी दिख रहा है. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इएम बाइपास से सटे निजी अस्पतालों के ओपीडी में बांग्लादेश से आनेवाले मरीजों की संख्या काफी घट गयी है. कई अस्पतलों में विभिन्न शारीरिक जांच व सर्जरी के लिए बांग्लादेशी नागरिक पहले से अपॉइंटमेंट ले कर रखे हैं. लेकिन बांग्लादेश में अशांति के कारण जांच व सर्जरी के लिए ऐसे मरीज कोलकाता नहीं पहुंच पा रहे हैं. इस संबंध में रूबी जनरल अस्पताल के मुख्य महाप्रबंधक शुभाशीष दत्ता ने कहा : आमतौर पर अस्पताल के ओपीडी में प्रतिदिन 30 से 35 बांग्लादेशी इलाज के लिए पहुंचते हैं. पर अब प्रतिदिन सात से आठ मरीज ही अस्पताल आ रहे हैं हैं. ज्यादातर मरीज हार्ट सर्जरी व कैंसर की चिकित्सा के लिए यहां आते हैं. उम्मीद है कि जल्द ही स्थिति पहले की तरह हो जायेगी. एक अन्य निजी अस्पताल के सीइओ सुदीप्त मित्रा ने कहा : हमारे अस्पताल में प्रतिदिन 200 से अधिक बांग्लादेशी नागरिक इलाज के लिए आते हैं. हालांकि, अभी यह संख्या कम हुई है. यदि बांग्लादेश में हालात नहीं सुधरे, तो भविष्य में मरीजों की संख्या में और कमी आयेगी. कोलकाता के मणिपाल अस्पताल में भी बांग्लादेशी मरीजों की संख्या घटी है. पिछले सप्ताह सोमवार तक लगभग 37 मरीज यहां भर्ती थे, जो अस्पताल की तीनों शाखा ब्रॉडवे, ढाकुरिया और मुकुंदपुर में भर्ती थे. इनमें से ज्यादातर को इस महीने की शुरुआत में भर्ती कराया गया है. अस्पताल प्रबंधन से प्राप्त जानकारी के अनुसार इन मरीजों ने कम से कम एक महीने पहले अपना वीजा लिया था. ऐसे मरीज अस्पताल में भर्ती होने के लिए पहले से ही अपॉइंटमेंट ले रखे थे. अस्पताल में भर्ती बांग्लादेशी नागरिक और उनके परिजन यहां मीडिया से बात करने को तैयार नहीं हैं. उनमें से ज्यादातर ने अपने देश की स्थिति पर चिंता व्यक्त की.

वे बांग्लादेश में रह रहे परिजनों को लेकर चिंतित हैं.

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