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Lok Sabha Election 2024 : तृणमूल कांग्रेस का गढ़ बना है बारासात लोकसभा क्षेत्र, भाजपा चुनौती देने को तैयार

Lok Sabha Election 2024 : बारसात सीट पर कभी वामो का वर्चस्व देखने को मिलता था. शुरुआती दौर में यह सीट कांग्रेस के नाम थी. लेकिन बाद में वाममोर्चा की ताकत बढ़ी. वाममोर्चा के कई उम्मीदवार यहां से जीत कर सांसद बने. लेकिन 1998 में इस सीट की तस्वीर बदल गयी

By Shinki Singh | April 12, 2024 5:22 PM
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Lok Sabha Election 2024 : पश्चिम बंगाल के बारासात राज्य के उत्तर 24 परगना जिले का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है. यह बारासात सदर उपखंड का मुख्यालय भी है. कोलकाता मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (केएमडीए) द्वारा कवर किए गए क्षेत्र का एक हिस्सा है. जब 1952 में देश में पहला आम चुनाव हुआ, तो बारासात लोकसभा सीट को शांतिपुर लोकसभा सीट के नाम से जाना जाता था. उस समय कांग्रेस के प्रत्याशी अरुण चंद्र गुहा चुनाव जीते और लोकसभा पहुंचे थे. 1989 में यह बारासात लोकसभा सीट बना था. जब शांतिपुर लोकसभा सीट थी, इस सीट पर कांग्रेस, फारवर्ड ब्लॉक, माकपा का उम्मीदवार ही जीत दर्ज करते रहे हैं. 1989 में फारवर्ड ब्लॉक के चित्त बसु यहां से चुनाव जीते. 1991 व 1996 में हुए चुनाव में भी चित्त बसु ही यहां से जीतते रहे.

तृणमूल कांग्रेस ने 1998 में पहली बार खाता खोला

1998 के चुनाव में बारासात संसदीय सीट की तस्वीर बदल गयी और तृणमूल कांग्रेस ने पहली बार यहां खाता खोला. तृणमूल कांग्रेस के डॉ. रंजीत कुमार पांजा ने 1998 और 1999 के चुनावों में लगातार जीत हासिल की. इसके बाद यह क्षेत्र तृणमूल कांग्रेस का गढ़ बन गया. लेकिन 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में यहां से फारवर्ड ब्लॉक के सुब्रत बोस ने चुनाव जीता. 2009 में तृणमूल कांग्रेस ने यहां से काकोली घोष दस्तीदार को मैदान में उतारा था. घोष ने 50.96 फीसदी वोट हासिल कर तृणमूल को जीत दिलायी. फारवर्ड ब्लॉक के सुदीन चट्टोपाध्याय दूसरे स्थान पर आए. उन्हें 38.97 फीसदी वोट मिल पाया था. भाजपा के ब्रतीन सेनगुप्ता यहां तीसरे स्थान पर रहे थे. उन्हें महज 5.39 फीसदी वोट ही मिला था.

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फारवर्ड ब्लॉक का वोट 11 फीसदी से ज्यादा घट गया

2014 में तृणमूल ने यहां फिर से काकोली घोष दस्तीदार को टिकट दिया. वह जीत भी गयीं. उन्हें 41.39 फीसदी वोट मिला. हालांकि इस चुनाव में तृणमूल के वोट में 9.56 फीसदी की कमी आयी. फारवर्ड ब्लॉक के मुर्तजा हुसैन को 27.75 फीसदी वोट मिला. फारवर्ड ब्लॉक का वोट 11 फीसदी से ज्यादा घट गया. वहीं भाजपा ने इस चुनाव में जादूगर पीसी सरकार जूनियर को उतारा था. लेकिन वह तीसरे स्थान पर रहे थे. इस चुनाव में भाजपा का वोट 17.97 फीसदी बढ़ गया. जादूगर सरकार को 23.37 फीसदी वोट मिला था. 2019 में हुए चुनाव में काकोली घोष ने एक बार फिर से तृणमूल के टिकट पर चुनाव जीत कर हैट्रिक लगाया.

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2019 में तृणमूल को 46.47 फीसदी वोट मिला

इस बार तृणमूल ने उन्हें फिर से मैदान में उतारा है. 2019 में तृणमूल को यहां से 46.47 फीसदी वोट मिला. तृणमूल का वोट 5.08 फीसदी बढ़ गया. इस चुनाव की खास बात यह रही कि भाजपा यहां दूसरे स्थान पर पहुंच गयी. भाजपा के डॉ मृणाल कांति देवनाथ को 38.57 फीसदी वोट मिला. भाजपा का वोट 15.02 फीसदी बढ़ गया. फारवर्ड ब्लॉक का वोट लगभग 19 फीसदी कम हो गया. भाजपा इस सीट पर चुनौती देने की स्थिति में पहुंच गयी. इस बार भाजपा यहां कड़ी चुनौती देने को तैयार है.

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बारासात पर भाजपा दे रही विशेष जोर, संदेशखाली के मुद्दे पर दिया जा रहा जोर

लोकसभा चुनाव में बंगाल के लिए विशेषकर भाजपा संदेशखाली के मुद्दे पर विशेष जोर दे रही है. बारासात सीट को भाजपा कितना महत्व दे रही है यह इसी बात से समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यहां सभा की है. बारासात के काछारी मैदान में उन्होंने सभा की. सभा में करीब 90 फीसदी उपस्थिति महिलाओं की थी. भाजपा की ‘नारी वंदना’ कार्यसूची के अंतर्गत यह सभा की गयी थी. प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य में रासमणि, प्रीतिलता वाडेकर, कल्पना दत्त, मातंगिनी हाजरा जैसी विशिष्ट महिलाओं का उल्लेख किया. संदेशखाली के मुद्दे को उन्होंने उठाते हुए कहा कि नारी शक्ति का संदेशखाली में हुआ अपमान स्वीकार नहीं किया जायेगा. यह मुद्दा केवल संदेशखाली में सीमित नहीं रहेगा. समूचे बंगाल में संदेशखाली की आंधी उठेगी.

विवादों से पुराना नाता है काकोली घोष दस्तिदार का

बारासात लोकसभा क्षेत्र से तृणमूल उम्मीदवार काकोली घोष दस्तिदार इस सीट से लगातार तीन बार चुनाव जीतकर सांसद बन चुकी हैं. हालांकि विवादों के साथ उनका पुराना नाता रहा है. कई बार अपने बयानों से वह सुर्खियों में छायी रहती हैं. गौरतलब है कि काकोली घोष दस्तिदार ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, कोलकताा से मेडिकल की पढ़ाई की है. उन्होंने किंग्स कॉलेज लंदन से प्रसूति संबंधी अल्ट्रासाउंड में पीजी किया है. उनके पति सुदर्शन घोष दस्तिदार हैं. वह भी पेशे से डॉक्टर हैं. काकोली के सामाजिक जीवन की बात करें तो उन्होंने झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए काम किया है. विवादों के घेरे में वह उस वक्त भी आ गयीं थी जब कोलकाता के पार्क स्ट्रीट गैंग रेप कांड पर उन्होंने विवादित टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था कि दिल्ली गैंगरेप और पार्क स्ट्रीट मामले की तुलना नहीं की जा सकती. पार्क स्ट्रीट मामले में उन्होंने पीड़ित महिला के संबंध में सवाल खड़ा किया था.

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भाजपा उम्मीदवार स्वपन मजूमदार को लेकर पार्टी में ही उठ रहे सवाल

बनगांव दक्षिण के विधायक स्वपन मजूमदार को भाजपा ने इस बार बारासात लोकसभा क्षेत्र का उम्मीदवार बनाया गया है. लेकिन उनकी उम्मीदवारी को लेकर पार्टी के भीतर ही सवाल उठ रहे हैं. स्थानीय कुछ नेताओं ने चुनाव आयोग को पत्र लिख कर पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ ही शिकायत की है. इससे तृणमूल कांग्रेस को हमला करने का एक हथियार भी मिल गया है. भाजपा नेताओं ने मजूमदार को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं. इसमें 2017 में नशीले पदार्थों के एक मामले में दोषी ठहराए जाने से लेकर अपने हलफनामे में अपनी संपत्ति की कथित गलतबयानी तक शामिल है. उन पर हलफनामे में जानबूझ कर महत्वपूर्ण जानकारी नहीं देने का आरोप भी लगाया गया. मामले की जांच के लिए ईसी से समिति गठित करने का भी अनुरोध पार्टी के नेताओं ने की है. हालांकि मजूमदार का दावा था कि उन्हें इस मामले में फंसाया गया था. मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव : पत्नी से लेकर पोता तक जुटे हैं चुनाव प्रचार में

बारासात लोकसभा क्षेत्र के लिए वाममोर्चा ने बदला उम्मीदवार

एक हफ्ते पहले ही बारासात लोकसभा सीट के लिए वाममोर्चा की ओर से उम्मीदवार की घोषणा की गयी थी. फॉरवर्ड ब्लॉक के प्रबीर घोष को उम्मीदवार बनाया गया था. लेकिन उम्मीदवार की घोषणा होने के बाद ही प्रबीर पर भाजपा का करीबी होने का आरोप लगा. इसके बाद ही उम्मीदवार बदले जाने की चर्चा शुरू हो गयी. आखिरकार चर्चाओं को सही साबित करते हुए बारासात लोकसभा केंद्र से वाममोर्चा ने उम्मीदवार बदल दिया. प्रबीर घोष के बदले फॉरवर्ड ब्लॉक के उत्तर 24 परगना जिले के सचिव तथा राज्य सचिव मंडली के सदस्य संजीव चट्टोपाध्याय को उम्मीदवार बनाया गया है. संजीव बारासात नगरपालिका के 16 नंबर वार्ड से तीन बार पार्षद रह चुके हैं. साथ ही बारासात नगरपालिका के वाइस चेयरमैन भी वह थे. गौरतलब है कि बारासात में वाममोर्चा के उम्मीदवार के तौर पर प्रबीर घोष के नाम की घोषणा होते ही भाजपा के शिक्षक संगठन के साथ उनकी नजदीकी का आरोप लगा. आरोप के आधार पर मोर्चा की बैठक हुई और उस बैठक में ही उम्मीदवार बदले जाने का फैसला हुआ.

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भाजपा ने लगातार की है स्थिति मजबूत

बारासात. बारासात लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो पारंपरिक तौर पर यहां भाजपा कभी मजबूत स्थिति में नहीं थी. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पार्टी ने अपनी स्थिति में लगातार सुधार किया है. वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार ब्रतीन सेनगुप्ता तीसरे स्थान पर थे. उन्हें कुल वोटों का महज 5.39 फीसदी ही हासिल हुआ था. उन्हें केवल 55 हजार वोट मिले थे. 2014 में भाजपा की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ. पार्टी ने इस बार जादूगर, पीसी सरकार जूनियर को अपना उम्मीदवार बनाया था. पीसी सरकार जूनियर भी तीसरे स्थान पर ही आये लेकिन उन्हें 2.96 लाख वोट मिल गये. वोट प्रतिशत में भी करीब 18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और उन्हें कुल वोटों का 23.37 फीसदी मिला. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी स्थिति में काफी सुधार किया. भाजपा उम्मीदवार मृणाल कांति देबनाथ दूसरे स्थान पर आ गये. उन्हें 5.38 लाख वोट मिल गये. कुल वोटों का 38.57 फीसदी उन्हें मिला.

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