मॉनसून में स्वास्थ्य के प्रति बरतें अतिरिक्त सतर्कता
मॉनूसन के इस सीजन में डेंगू, मलेरिया के साथ आंखों के संक्रमण का भी खतरा बढ़ जाता है.
कोलकाता. भीषण गर्मी के मौसम के बाद मानसून सुकून देता है, पर यह अपने साथ कई बीमारियों की सौगात भी लेकर आता है. मॉनूसन के इस सीजन में डेंगू, मलेरिया के साथ आंखों के संक्रमण का भी खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में दिशा आइ हॉस्पिटल्स के कॉर्निया और मोतियाबिंद विशेषज्ञ डॉ. आदित्य प्रधान ने मानसून में होने वाली आंखों की समस्याओं को रोकने के लिए कुछ उपाय की विस्तार से जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि इस सीजन में नेत्रश्लेष्मलाशोथ कंजंक्टिवा (पलकों को ढकने वाली और नेत्रगोलक की खुली सतह को ढकने वाली झिल्ली) की सूजन होती है. माॅनसून के दौरान यह आंख की बीमारी काफी आम है. वायरल बुखार की तरह ही यह संक्रमण भी संक्रामक है. इस संक्रमण के कारण आंखें लाल हो जाती हैं और लगातार पानी निकलता रहता है. इसके साथ दर्द भी हो सकता है. आमतौर पर यह एक आंख से शुरू होकर दूसरी आंख में फैल जाता है. व्यक्ति को ऐसा महसूस हो सकता है कि जैसे आंख में कुछ घुस गया हो.कॉर्निया (केंद्रीय काला क्षेत्र) के आसपास रक्त के थक्के दिखायी दे सकते हैं और यदि यह कॉर्निया तक फैल जाता है, तो रोगी को प्रकाश के प्रति असहिष्णुता (फोटोफोबिया), चकाचौंध और दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं. रोशनी के चारों ओर रंगीन प्रभामंडल दिखायी दे सकते हैं. यह आमतौर पर वायरल संक्रमण के कारण होता है और बुखार से पहले हो सकता है. हालांकि यह आमतौर पर एक सप्ताह तक रहता है, कभी-कभी यह 14 दिनों तक भी जारी रह सकता है. जांच के लिए व्यक्ति को नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए, क्योंकि कभी-कभी दृष्टि को खतरा हो सकता है. इस सीजन में कॉर्नियल अल्सर का भी खतरा रहता है.
कॉर्नियल अल्सर भी एक संक्रमण है. खासकर कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वालों और बागवानी या खेतों में काम करने वाले लोगों में यह समस्या देखी जाती है. इस संक्रमण के कारण आंखों में दर्द, लालिमा, पानी आना और प्रभावित आंखों से कम दिखना जैसी समस्याएं हो सकती हैं.मॉनसून के दौरान हो सकती हैं हैजा, पीलिया टाइफाइड, गैस्ट्रोएंटेराइटिस जैसी बीमारियां
टेक्नो इंडिया दामा अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एम एस पुरकैत ने भी कुछ गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं पर प्रकाश डाला है जो शहर में अचानक तापमान में गिरावट और भारी बारिश के कारण बढ़ सकती हैं. उन्होंने बताया कि मानसून के दौरान पेट की कई तरह की समस्याएं होती हैं, जिनमें सबसे आम हैं बैक्टीरियल पेचिश और वायरल डायरिया. इसका सबसे आम कारण दूषित पेयजल और गंदे पानी में धुले फल और सब्जियां हैं. जिसके कारण हैजा, पीलिया, टाइफाइड, पेचिश और वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं.क्या करें
ऐसे में उबला हुआ ठंडा पानी या फिल्टर किया हुआ बोतलबंद पानी पीना चाहिए. इस मौसम में कच्ची सब्जियां खाने से बचें. उबली हुई सब्जियां खायें. पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं और हाथों की स्वच्छता बनाये रखें. घर का बना खाना खायें. बाजार से लाने के बाद सब्जियों को उबले हुए ठंडे पानी से अच्छी तरह से साफ करना चाहिए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है