एजेंसियां, कोलकाता/नयी दिल्ली
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में बुधवार को आपदा प्रबंधन से जुड़े अर्ली वार्निंग सिस्टम को लेकर जानकारी दी. इस दौरान उन्होंने पश्चिम बंगाल के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि हमने 2014 से 2024 तक बंगाल को 6244 करोड़ रुपया अप्रूव किया है. जिस प्रकार से इनके खर्च का हिसाब आता है, उसी हिसाब से रिलीज होते हैं. उसमें से 4619 करोड़ रुपये हमने फिर से भेज दिये हैं, लेकिन वहां हिसाब देने में समस्या है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तंज कसते हुए कहा, ‘हिसाब तो मैं नहीं कर सकता. बंगाल को ही करना पड़ेगा. ये सरकार है कोई राजनीतिक पार्टी थोड़ी है. सरकार के कोई नियम होते हैं, अकाउंटिंग सिस्टम होते हैं. एजी का ऑडिट होता है. ऐसा थोड़ी होता है कि हम किसी को नहीं मानेंगे. हालांकि धीरे-धीरे इंप्रूवमेंट आया है.’गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों से संसद की कार्यवाही के दौरान तृणमूल कांग्रेस के नेता ने बार-बार केंद्र सरकार पर फंड देने में पश्चिम बंगाल को अनदेखी का आरोप लगाया था, जिसके बाद अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में इसका जवाब दिया है. उन्होंने बंगाल सरकार पर पैसे के हिसाब नहीं देने का भी आरोप लगाया है.
तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने इससे पहले श्वेत पत्र की मांग को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के जवाब के दौरान लोकसभा से वॉकआउट किया था. तृणमूल सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने केंद्र पर आरोप लगाया था कि बंगाल को आर्थिक रूप से नाकाबंदी की जा रही है.गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस सांसद साकेत गोखले ने राज्यसभा में केंद्रीय बजट में बंगाल को बाढ़ राहत पैकेज से वंचित करने का मुद्दा उठाया था. उन्होंने पूछा था कि क्या केरल और पश्चिम बंगाल को बाढ़ राहत राज्यों की सूची में जोड़ा जा सकता है. इसके जवाब में अमित शाह ने कहा कि हालांकि इस साल के प्रस्तावित बजट में बंगाल को बाढ़ संभावित राज्यों की सूची में शामिल नहीं किया गया है, लेकिन 2014 से 2024 तक 10 वर्षों में बंगाल को आपदाओं से निपटने के लिए काफी वित्तीय सहायता मिली है. इसके अलावा साकेत गोखले ने राज्य आपदा मोचन बल के फंड खर्च करने के अधिकार पर भी सवाल उठाया था. उन्होंने कहा कि इस फंड का 25 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाता है. हालांकि, यदि किसी आपदा को केंद्र द्वारा राष्ट्रीय आपदा घोषित नहीं किया जाता है, तो राज्य उस निधि का केवल 10 प्रतिशत ही उपयोग कर सकता है.
उन्होंने सवाल उठाया था कि क्या राज्यों को इस फंड का 25 प्रतिशत खर्च करने का अधिकार दिया जा सकता है. इसके जवाब में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि राज्य उस फंड का 10 प्रतिशत अपनी इच्छानुसार खर्च कर सकता है. लेकिन, उस फंड का पैसा किसी दूसरे प्रोजेक्ट पर खर्च न हो, इसके लिए बाकी 90 फीसदी राशि खर्च करने में केंद्र की गाइडलाइन का पालन करने को कहा गया है. राज्य भी उन दिशानिर्देशों का पालन करते हुए वह 90 प्रतिशत खर्च कर सकते हैं. इसके लिए केंद्र से अनुमति की जरूरत नहीं है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है