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Calcutta High court : संदेशखाली में स्टिंग वीडियो प्रकरण में राज्य सरकार को लगा दोहरा झटका

Calcutta High court : न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता ने पापिया दास की गिरफ्तारी का आदेश जारी करने वाले न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि इस मामले में जांच अधिकारी कौन है और मास्टरमाइंड कौन है? उन्होंने पूछा कि निचली अदालत ने केस डायरी देखे बिना जेल हिरासत का आदेश कैसे दे दिया.

Calcutta High court : पश्चिम बंगाल सरकार को संदेशखाली (Sandeskhali) में कथित स्टिंग वीडियो के मामले में कलकत्ता हाइकोर्ट से शुक्रवार को दोहरा झटका लगा है. हाइकोर्ट ने संदेशखाली की भाजपा नेत्री पापिया उर्फ मम्पी दास व भाजपा नेता गंगाधर कयाल को राहत प्रदान की है. हाइकोर्ट के न्यायाधीश जय सेनगुप्ता ने पापिया दास की जमानत याचिका मंजूर करते हुए तुरंत रिहा करने का आदेश दिया. इसके साथ ही भाजपा नेता गंगाधर कयाल के मामले में अदालत ने कहा कि पुलिस अभी भाजपा नेता के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर पायेगी.

भाजपा नेत्री पापिया उर्फ मम्पी दास को रिहा करने का आदेश

पश्चिम बंगाल सरकार को झटका देते हुए कलकत्ता हाइकोर्ट ने शुक्रवार को संदेशखाली की महिला भाजपा नेता मम्पी दास को रिहा करने का आदेश दिया. एक स्थानीय भाजपा नेता के स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो वायरल होने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था, जिसमें कहा गया था कि महिलाओं के विरोध-प्रदर्शन की पटकथा भाजपा ने रची थी और उसी ने उसे कार्यान्वित किया तथा इसमें पापिया दास की महत्वपूर्ण भूमिका थी. पापिया दास के खिलाफ आरोप हैं कि उन्होंने संदेशखाली की एक महिला से कोरे कागज पर हस्ताक्षर कराये थे और बाद में इसमें तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत लिखी गयी थी. पापिया दास ने 14 मई को आत्मसमर्पण किया था. इसके बाद बशीरहाट उप-संभागीय अदालत के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दास की जमानत याचिका खारिज कर दी थी और उन्हें आठ दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.

भाजपा नेता गंगाधर कयाल के खिलाफ भी कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर पायेगी पुलिस

शुक्रवार को न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल पीठ ने गिरफ्तारी के लिए अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाते हुए पूछा कि पुलिस की कार्रवाई के पीछे किसका हाथ है. न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता ने पापिया दास को निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया और उनके खिलाफ लगायी गयी आईपीसी की धारा 195ए (गलत साक्ष्य देने की धमकी के लिए सजा) पर रोक लगा दी.पीठ ने पापिया दास की गिरफ्तारी के तरीके पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि गैर-जमानती अपराध की धारा 195ए के इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है. उन्होंने कहा कि यदि कलकत्ता हाइकोर्ट के नहीं, तो पश्चिम बंगाल सरकार को कम से कम सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करना चाहिए.

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जज का सवाल मामले में जांच अधिकारी कौन है और मास्टरमाइंड कौन है?

न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता ने पापिया दास की गिरफ्तारी का आदेश जारी करने वाले न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि इस मामले में जांच अधिकारी कौन है और मास्टरमाइंड कौन है? उन्होंने पूछा कि निचली अदालत ने केस डायरी देखे बिना जेल हिरासत का आदेश कैसे दे दिया. मामले की अगली सुनवाई 19 जून को होगी.वहीं, संदेशखाली के भाजपा मंडल अध्यक्ष गंगाधर कयाल को भी हाइकोर्ट से अस्थायी राहत मिली है. उनके द्वारा दायर मामले की सुनवाई शुक्रवार को न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की पीठ में हुई.

गंगाधर कयाल ने एफआईआर को खारिज करने की मांग करते हुए दायर किया था मामला

गंगाधर कयाल ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करने की मांग करते हुए मामला दायर किया था. शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि पुलिस फिलहाल गंगाधर कयाल के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा सकती. हालांकि, जस्टिस जय सेनगुप्ता ने मामला वापस हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की बेंच को भेज दिया गया. चूंकि इससे संबंधित मुख्य मामला मुख्य न्यायाधीश की पीठ के समक्ष लंबित है.

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