पशु तस्करी का सेफ कॉरिडोर बन गया है बीरभूम

ज्यादातर गायें अवैध रूप से उत्तर प्रदेश व बिहार से झारखंड के रास्ते लाकर बीरभूम से तस्करी के जरिये मुर्शिदाबाद होते हुए बांग्लादेश भेजी जा रही हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | June 15, 2024 10:53 PM

बीरभूम. 17 जून को कुर्बानी का पर्व ईद-उल-अजहा यानी बकरीद है. ऐसे में जिले से गायों की तस्करी एकाएक बढ़ गयी है. बीरभूम जिला पशु तस्करी का सेफ कॉरिडोर बन गया है. ज्यादातर गायें अवैध रूप से उत्तर प्रदेश व बिहार से झारखंड के रास्ते लाकर बीरभूम से तस्करी के जरिये मुर्शिदाबाद होते हुए बांग्लादेश भेजी जा रही हैं. कुर्बानी पर्व के मद्देनजर बांग्लादेश में भारतीय गायों की काफी मांग है. यही कारण है कि इन दिनों गायों की तस्करी बढ़ गयी है. लोकसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय बलों की लगातार गश्त के चलते झारखंड के रास्ते और बीरभूम जिले से लगी मुर्शिदाबाद सीमा के पार बांग्लादेश में मवेशियों की तस्करी पूरी तरह से तो नहीं थमी थी, लेकिन गौ तस्करी पर कुछ असर जरूर पड़ा था. लेकिन आम चुनाव के बाद एक बार फिर से पशु तस्करी में तेजी आ गयी है और बड़े पैमाने पर गायों की तस्करी हो रही है. हालांकि अभी बीरभूम में केंद्रीय बल की छोटी बटालियन मौजूद है. इस बीच, सोमवार 17 जून को ईदुज्जुहा यानी बकरीद का पर्व है. इसलिए, बांग्लादेश में गायों (मवेशियों) की भारी मांग है. लिहाजा गायों की तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है. उत्तर प्रदेश- बिहार-झारखंड से होते हुए बीरभूम के विभिन्न गलियारों से होते हुए मुर्शिदाबाद के रास्ते तस्करी के जरिये गायों को बांग्लादेश भेजा जा रहा है. बीरभूम से बांग्लादेश में पशु तस्करी बहुत आम हो गयी है. पशु तस्करी का गिरोह एक खास जगह तक पहुंच चुका है, जिसे देखते हुए केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ ने गौ-तस्करी की जांच शुरू की और इसी बीरभूम से बाहुबली तृणमूल नेता अनुब्रत मंडल उर्फ केष्टो को गिरफ्तार किया. वह फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है. उनकी बेटी सुकन्या मंडल और अनुब्रत का अंगरक्षक रहा सैगल हुसैन भी तिहाड़ जेल में ही कैद हैं. यद्यपि ये लोग जेल में है, फिर भी जिले से पशु-तस्करी पहले की भांति बेधड़क जारी है.अब उत्तर प्रदेश-झारखंड के अलावा इलमबाजार जिले के सुखबाजार पशुहाट, सैथिया, रामपुरहाट, लोहापुर और पड़ोसी पूर्व बर्दवान जिले के पंचुंडी, कैचर पशुहाट से मवेशियों की खरीद-फरोख्त और तस्करी की जा रही है. नंबर प्लेट के बिना या फर्जी नंबर प्लेट वाले छोटे मोटर चालित वाहनों और पिकअप वैन में भेड़-बकरियों की तरह गायों को ठूंस-ठूंस कर भरा जाता है और सीमा से तस्करी के जरिये इन्हें बांग्लादेश भेजा जा रहा है. कभी-कभी मामला दिखाने के लिए गश्ती पुलिस तस्करी को ले जायी जा रही गायों को जब्त कर लेती है. लेकिन अक्सर कह दिया जाता है कि तस्कर मौके से भाग गये. पशु तस्करी के कॉरिडोर के रूप में बीरभूम जिले के रामपुरहाट चमड़ा गोदाम मोड़, भाड़शाल मोड़ से होते हुए दूनीग्राम रोड से होकर गायें चांदपाड़ा, झिल्ली ग्राम के रास्ते मुर्शिदाबाद के खारग्राम पहुंचती हैं. फिर गायों को कुछ लोगों (दलाल) के जरिये सीमा पार बांग्लादेश में ढकेल दिया जाता है. सूत्रों की मानें, तो वैसे राष्ट्रीय राजमार्ग पर दिनदहाड़े बड़े वाहनों पर लाद कर गायों(मवेशियों ) की तस्करी की जाती है, लेकिन कुछ अदृश्य कारणों से मवेशी तस्करी के दौरान प्रशासन की आंखों बंद हो जाती हैं. जब गायों की तस्करी की जाती है, तो तस्करों की मोटरसाइकिल सवार टीम उक्त वाहनों की निगरानी करते हुए रोड क्लियर का संकेत कर पशुओं से भरे वाहनों को सीमा पार कराते है. हाल में तो दूध के टैंकर के अंदर फिल्म ‘पुष्पा’ के तर्ज पर गायों की तस्करी की गयी थी. लेकिन उक्त टैंकर के दुर्घटनाग्रस्त होने से यह तस्करी पुलिस प्रशासन के सामने खुल गयी थी. इन सभी क्षेत्रों में पुलिस की नज़र से बचने के लिए गायों को बड़े कंटेनर के साथ ही अब छोटी मोटर चालित वैन (चाइना) में लाद कर सुदूर ग्रामीण रास्तों के मार्फत गायों की तस्करी की जा रही है. इस कारोबार में जुड़े क्षेत्र के दलालों के एक वर्ग की मिलीभगत से गांवों के अंदर अपेक्षाकृत संकरी सड़कों या रास्तों के माध्यम से खुलेआम गायों की तस्करी जारी है .स्थानीय लोगों की मानें, तो बीरभूम के विभिन्न रास्तों से प्रतिदिन हजारों गायों को तस्करी के जरिये बांग्लादेश भेजा जा रहा है.

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