संवाददाता, कोलकाता
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष का बयान एक बार फिर चर्चा में है. रविवार को बांकुड़ा में पार्टी की एक सभा में दिलीप घोष ने कहा कि हमलोग संगठन करना जानते हैं, आंदोलन करना जानते हैं, लेकिन चुनाव कैसे लड़ा जाता है, यह अभी तक नहीं सीख पाये हैं. हमलोगों को चुनाव लड़ने की तरकीब सीखनी होगी. दिलीप के इस बयान से पार्टी के अंदर एक बार फिर चर्चा का दौर शुरू हो गया है. कुल मिलाकर दिलीप ने पार्टी के अंदर अनुभव की कमी को चुनाव में हार की बड़ी वजह बताया है.
उन्होंने कहा कि हमलोगों की लड़ाई की वजह से ही पार्टी 77 सीटों पर पहुंच गयी थी. सोचा गया था कि इस बार और बेहतर परिणाम होगा, लेकिन नहीं हुआ, इसका मतलब कहीं तो कोई कमी है. इसको दूर करना होगा, क्योंकि प्रत्येक चुनाव में मिले अनुभवों के आधार पर आगे की रणनीति बनानी होगी. दिलीप घोष के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि पश्चिम बंगाल में कहा जाये तो भाजपा एक नयी पार्टी है. हमलोग सही मायने में चुनावी राणनीति के तहत राज्य में 2017-18 से मजबूती से सामने आने लगे हैं. इसके पहले तो हमलोगों की बिसात ही क्या थी. स्वाभाविक है कि लोगों को सीखने में वक्त लगेगा. कोई मां के पेट से ही सब सीख कर नहीं आता है. वक्त के साथ सबकुछ सीखा जाता है. हमलोग भी सीख रहे हैं.
हालांकि दिलीप घोष के इस बयान पर तृणमूल कांग्रेस ने चुटकी लेना शुरू कर दिया है. तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता अनूप चक्रवर्ती ने कहा कि गुटबाजी में उलझी पार्टी का नाम पश्चिम बंगाल में भाजपा है.
यहां के नेता आपस में ही रोज सिर फुटौव्वल कर रहे हैं. एक दूसरे पर आरोप लगाना आम बात है. दिलीप घोष के समय भाजपा लोकसभा में 18 सीट पायी थी, जो इस बार घटकर 12 पर पहुंच गयी है. ऐसे में वह इस तरह का बयान दे रहे हैं तो इसका सीधा मतलब है कि वह किसको कठघरे में खड़ा कर रहे हैं.
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