हाइकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भाजपा

विज्ञापन विवाद : मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए अवकाश पीठ के समक्ष उल्लेख

By Prabhat Khabar News Desk | May 24, 2024 10:02 PM
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विज्ञापन विवाद : मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए अवकाश पीठ के समक्ष उल्लेख कोलकाता. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लोकसभा चुनाव प्रक्रिया के दौरान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वाला कोई भी विज्ञापन प्रकाशित नहीं करने संबंधी कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में शुक्रवार को चुनौती दी. कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने बुधवार को एकल पीठ के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था, जिसमें भाजपा को लोकसभा चुनाव प्रक्रिया के दौरान आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन करने वाला कोई भी विज्ञापन प्रकाशित नहीं करने का निर्देश दिया गया था. मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की अवकाश पीठ के समक्ष उल्लेख किया गया. मामले का उल्लेख करने वाले वकील सौरभ मिश्रा ने पीठ से कहा कि उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने 22 मई को आदेश पारित किया था. पीठ ने पूछा : आप अगली अवकाश पीठ का रुख क्यों नहीं करते? वकील ने पीठ से कहा कि उच्च न्यायालय ने भाजपा पर लोकसभा चुनाव के दौरान चार जून तक विज्ञापन जारी करने पर रोक लगा दी है. वकील ने पीठ से कहा : कृपया इस पर सोमवार (27 मई) को सुनवाई करें. पीठ ने कहा : हम विचार करेंगे. उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा था कि ‘लक्ष्मण रेखा’ का पालन किया जाना चाहिए और किसी भी राजनीतिक दल को कोई व्यक्तिगत हमला नहीं करना चाहिए. खंडपीठ ने 20 मई के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा था कि भाजपा इस आदेश की समीक्षा करने या इसे वापस लेने का अनुरोध करते हुए एकल पीठ का रुख कर सकती है. भाजपा के वकील ने यह भी कहा था कि संविधान के तहत यह प्रावधान है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान किसी भी विवाद के मामले में निवारण के लिए निर्वाचन आयोग उपयुक्त प्राधिकारी है. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 20 मई को एक आदेश जारी कर भाजपा को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले विज्ञापन प्रकाशित करने से चार जून तक रोक दिया था. लोकसभा चुनाव प्रक्रिया चार जून को समाप्त होगी. अदालत ने आदेश में भाजपा को उन विज्ञापनों को प्रकाशित करने से भी रोक दिया था, जिनका उल्लेख तृणमूल कांग्रेस ने अपनी याचिका में किया था. तृणमूल कांग्रेस ने विज्ञापन में पार्टी और कार्यकर्ताओं के खिलाफ असत्यापित आरोप लगाये जाने का दावा किया है.

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