संदेशखाली मुद्दे पर तृणमूल को घेरने की कोशिश में है भाजपा

इस वर्ष की शुरुआत में संदेशखाली राष्ट्रीय सुर्खियों में रहा, जहां महिलाओं पर अत्याचारों और स्थानीय किसानों की जबरन जमीन कब्जाने के आरोपों के बाद हुई जांच ने इस मुद्दे को और गर्मा दिया.

By Prabhat Khabar News Desk | May 30, 2024 12:46 AM
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एजेंसियां, बशीरहाट

लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य में भले ही भ्रष्टाचार, महिला सुरक्षा और राजनीतिक ताकत के दुरुपयोग के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस को पटखनी देने की फिराक में हो, लेकिन बशीरहाट निर्वाचन क्षेत्र संदेशखाली मुद्दे पर राज्य की अन्य सीट की तुलना में अधिक चर्चा में रहा. बशीरहाट लोकसभा सीट के अंतर्गत सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिसमें से एक है संदेशखाली. इस वर्ष की शुरुआत में संदेशखाली राष्ट्रीय सुर्खियों में रहा, जहां महिलाओं पर अत्याचारों और स्थानीय किसानों की जबरन जमीन कब्जाने के आरोपों के बाद हुई जांच ने इस मुद्दे को और गर्मा दिया. स्थानीय तृणमूल नेताओं द्वारा कथित रूप से किये गये इस अपराध के परिणामस्वरूप पार्टी के कद्दावर नेता शेख शहाजहां और उसके साथियों की गिरफ्तारियां हुईं, लेकिन सबसे बड़ा सियासी बदलाव यह देखने को मिला कि भाजपा, तृणमूल के सबसे मजबूत किलों में से एक माने जाने वाले बशीरहाट में सेंधमारी करने में सफल रही.

राज्य का बशीरहाट, बांग्लादेश के साथ सबसे लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है. इतना ही नहीं, सीमा पार से घुसपैठ और बेरोजगारी से जूझ रहा यह इलाका आज भी इन समस्याओं से निजात नहीं पा सका है. यही वजह है कि बशीरहाट के स्थानीय युवा दूसरे राज्यों में काम करने के लिए मजबूर होते हैं. हालांकि ऐसा प्रतीत होता है कि संदेशखाली में महिलाओं पर अत्याचार का मुद्दा बशीरहाट के सभी मुद्दों को दबाने में कामयाब रहा. बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत बादुरिया, हड़ोवा, मीनाखां (अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित), संदेशखाली (अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित), बशीरहाट दक्षिण, बशीरहाट उत्तर और हिंगलगंज विधानसभा क्षेत्र आते हैं. संदेशखाली में हुई घटना ने न सिर्फ सत्तारूढ़ तृणमूल को प्रभावित किया बल्कि पार्टी की मुखिया ममता बनर्जी की छवि को भी भारी नुकसान पहुंचाया. ममता के बशीरहाट के संदेशखाली में नहीं जाने का फैसला उनके लिए गले की फांस साबित हुआ. भाजपा ने मुद्दे की गंभीरता को भांपते हुए शाहजहां के खिलाफ मुखर होकर प्रदर्शन करने वाली स्थानीय महिला रेखा पात्रा को तृणमूल के कद्दावर नेता हाजी नुरुल इस्लाम के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा. प्रधानमंत्री मोदी ने पात्रा के चुनाव प्रचार से पहले खुद उनसे मुलाकात की थी और उनका मनोबल बढ़ाया था. पात्रा ने कहा : वे नौ मिनट मेरी जिंदगी के सबसे अच्छे पल थे. पीएम मोदी के शब्दों ने मुझे प्रेरित किया. मुझे अंदाजा भी नहीं था कि वह मुझे चुनाव लड़ने का मौका देंगे. संदेशखाली की महिलाओं के लिए लड़ना मेरा मकसद है. ईश्वर ने मुझे यह अवसर दिया है और मैं अपनी पूरी जान लगा दूंगी.

वहीं, हाजी नुरुल इस्लाम का मानना है कि मतदाता उनकी पार्टी द्वारा किये गये अच्छे कार्यों को देखते हुए मतदान करेंगे. हाजी को विवाद के बावजूद जीत का विश्वास है. तृणमूल ने नुसरत जहां का टिकट काट कर हाजी को अपना उम्मीदवार बनाया है. हाजी 2009 में बशीरहाट से निर्वाचित हुए थे. उन्होंने कहा : मैं भाजपा उम्मीदवार पर चर्चा नहीं करना चाहता. हालांकि मैं दावे से कहता हूं कि लोग समझ चुके हैं कि उन्हें यौन अत्याचारों पर भाजपा द्वारा गुमराह किया गया है. जनता जान चुकी है कि ममता बनर्जी ही एकमात्र ऐसी नेता हैं, जो उनके साथ खड़ी हैं. मैं एकतरफा जीत को लेकर आश्वस्त हूं. संदेशखाली (एसटी) से 2011 से 2016 तक विधायक रहे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के उम्मीदवार निरपद सरदार ने अपनी पार्टी की जीत का भरोसा जताया. तृणमूल नेता शिबू हाजरा से जुड़ीं संपत्तियों पर हमला और तोड़फोड़ करने के लिए कथित रूप से भीड़ की अगुवाई करने के आरोप में गिरफ्तार हो चुके सरदार जमीन पर अवैध कब्जे और महिलाओं पर हमलों को लेकर मुखर रहे हैं. सरदार ने कहा : इस बार जनता बदलाव के लिए बेताब है. बदलाव अपरिहार्य है. मतदाता समझ गये हैं कि तृणमूल और भाजपा, दोनों उन्हें कैसे धोखा देने की कोशिश कर रहे हैं. वे न्याय, रोजगार, शांति और सुरक्षा चाहते हैं, जिसे दोनों पार्टियां देने में विफल रही हैं. बशीरहाट में 54 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी है और इस निर्वाचन क्षेत्र को तृणमूल का गढ़ माना जाता है. निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 2019 के आम चुनाव में तृणमूल उम्मीदवार नुसरत जहां को कुल मतों में से 54.56 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे.

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