प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर पलटवार करते हुए कहा है कि राज्य सचिवालय नबान्न तृणमूल कांग्रेस का पार्टी कार्यालय बन गया है. मुख्यमंत्री सरकारी अधिकारियों को साथ लेकर भाजपा की आलोचना कर रही हैं, लेकिन भाजपा की आलोचना कर मुख्यमंत्री अपनी विफलता नहीं छुपा सकतीं. कोरोना महामारी से मुकाबला में राज्य सरकार पूरी तरह से असफल रही है और मुख्यमंत्री राजनीति कर रही हैं.
श्री घोष ने साल्टलेक स्थित अपने आवास पर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि सीएम भाजपा पर राजनीति करने का आरोप लगा रही हैं, जबकि मुख्यमंत्री अभी तक केवल राजनीति की हैं और राजनीति के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं की हैं. उन्होंने कहा कि प्रशासन पूरी तरह से चरमरा गया है. टिकियापाड़ा की घटना ने यह साबित कर दिया है और जिस तरह से प्रशासनिक कार्यालय में बैठकर बीजेपी पर आक्रमण किया जा रहा है. वह पूरी तरह से निंदनीय है. मुख्यमंत्री की यह पुरानी आदत है. प्रशासनिक बैठकों में भी वह यही करते रहीं हैं. मुख्यमंत्री अपनी विफलता छिपाने के लिए मीडिया और सोशल मीडिया पर हमले कर रही हैं और उन पर आपदा कानून लागू करने की धमकी दे रही हैं.
उन्होंने कहा कि बीजेपी लंबे समय से कहते आ रही है कि कोरोना से संबंधित मामले छुपाये जा रहे हैं. लॉकडाउन का पालन नहीं हो रहा है, लेकिन राज्य सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया. मुख्यमंत्री कहती हैं कि हम मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं यदि कोई सुझाव हो तो उन्हें दें, लेकिन इस बारे में कोई भी नंबर उपलब्ध नहीं है और राज्य सरकार की जो हेल्पलाइन नंबर हैं वे काम नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि टिकियापाड़ा की घटना ने पुलिस और रैफ (रैपिड एक्शन फोर्स) के मनोबल को पूरी तरह से तोड़ दिया है. क्या पुलिस इस तरह से कानून व्यवस्था को संभाल पाने में सक्षम होगी? उन्होंने सवाल किया कि केंद्र सरकार ने कोरोना से मुकाबला के लिए कई सर्वदलीय बैठकें की हैं, लेकिन राज्य सरकार ने केवल एक बैठक बुलायी थी ना तो सांसदों और विधायकों की बैठक बुलायी गयी है और ना ही जिलों में जिलाधिकारी ने विभिन्न राजनीतिक प्रतिनिधियों की बैठक बुलायी है.
सांसदों के काम करने के लिए दिशा कमेटी है. बंगाल में भाजपा के 18 सांसद हैं. इसलिए यहां कोई काम नहीं होता बल्कि राहत कार्य में लगे भाजपा सांसदों को बंद कर दिया जाता है उनके खिलाफ एफआईआर किए जाते हैं. मुख्यमंत्री द्वारा ग्रीन जोन इलाके में छूट दिए जाने पर टिप्पणी करते हुए श्री घोष ने कहा कि क्या चाय की दुकानों में छूट देना कोरोना से मुकाबले के लिए अच्छा है.
केंद्र सरकार ने चाय बागान में राहत की घोषणा की थी. छूट देने की बात कही थी लेकिन मुख्यमंत्री केवल 15% श्रमिकों के साथ काम करने की छूट दी है. मुख्यमंत्री ने जूट मिलों में काम करने की बात कही थी, लेकिन क्या जूट मिलों में काम अभी तक शुरू हो पाया है? उन्होंने कहा कि कि राज्य सरकार गलत आंकड़े दे रही हैं और इससे राज्य की स्थिति और भी भयावह होते जा रही है.