Calcutta High Court : पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती भ्रष्टाचार मामले में राज्य के मुख्य सचिव बीपी गोपालिक से कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) ने एक बार फिर पूछताछ की साथ ही उन्हें अपना पक्ष बताने के लिए चौथी बार मौका दिया गया. न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कंटर की खंडपीठ ने मंगलवार को यह भी कहा कि अगर मुख्य सचिव अदालत द्वारा तय समय के भीतर कार्रवाई नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ अदालत की अवमानना का आदेश जारी किया जाएगा.
राज्य उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव से मांगा स्पष्टीकरण
न्यायमूर्ति बागची की खंडपीठ मंगलवार को भर्ती भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार पार्थ चट्टोपाध्याय, सुबीरेश भट्टाचार्य और शिक्षा विभाग के कुछ पूर्व अधिकारियों की जमानत मामले पर सुनवाई कर रहे थे. सीबीआई ने आरोप लगाया कि राज्य के मुख्य सचिव की अनुमति नहीं मिलने के कारण आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू नहीं किया जा सका. राज्य उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव से स्पष्टीकरण मांगा कि वह अनुमति क्यों नहीं दे रहे हैं.
आवेदन 10 माह से लंबित
जस्टिस बागची ने राज्य की दलीलों पर नाराजगी जताई. उन्होंने टिप्पणी की, “यह देखना अदालत का काम है कि जांच और सुनवाई प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है या नहीं. यदि दिखे कि कोई बाधा आ रही है तो उसे दूर करना होगा. गौरतलब है कि पार्थ चटर्जी ने भर्ती भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई से जमानत के लिए हाई कोर्ट में अपील की थी. जमानत का विरोध करते हुए सीबीआई ने कहा कि राज्य के मुख्य सचिव ने अनुमति नहीं दी, इसलिए आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकी. उन्होंने राज्य से बार-बार अपील की है. लेकिन कोई जवाब नहीं आया. आवेदन 10 माह से लंबित है. इसके बाद सीबीआई ने मामले को कोर्ट के संज्ञान में लाया. पिछले महीने कोर्ट ने पहली बार मुख्य सचिव को अपना पक्ष बताने का निर्देश दिया था. आरोप है कि इतने दिन बाद भी मुख्य सचिव उस आदेश को लागू नहीं करा सके.
मुख्य सचिव के इस फैसले का चुनाव से कोई लेना-देना नहीं
मंगलवार की सुनवाई में जस्टिस बागची ने कहा, मुख्य सचिव के इस फैसले का चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है. वह बेवजह फैसले में देरी कर रहे हैं. वह इस मामले के महत्व को समझने में असफल रहे. मुख्य सचिव अपने वैधानिक कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहे हैं. अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा, क्या हम यह मान लें कि ये आरोपी इतने प्रभावशाली हैं कि राज्य के मुख्य सचिव भी मुकदमा शुरू करने का अंतिम निर्णय नहीं ले सकते.
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शिक्षक भर्ती भ्रष्टाचार मामले की जड़ें बहुत गहरी
इस भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी हैं और कई बड़े अधिकारियों पर आरोप लगे हैं. मुख्य सचिव को इस बात का ध्यान रखना चाहिए. अत: मुख्य सचिव को न्यायिक कार्य में निर्णय लेने में प्रभाव से मुक्त रखा जाना चाहिए. मंगलवार को कोर्ट ने मुख्य सचिव को चौथी बार समय दिया. जस्टिस जयमाल्य बागची की खंडपीठ ने कहा कि 2 मई तक उन्हें ट्रायल प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति के साथ अपना पक्ष देना होगा. मुख्य सचिव से आखिरी बार अपना पक्ष बताने को कहा जा रहा है. कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर मुख्य सचिव ने ट्रायल प्रक्रिया शुरू करने की इजाजत नहीं दी तो कोर्ट ऐसा करने के लिए मजबूर होगा. यहां तक कि कोर्ट उस संबंध में जरूरी दिशा-निर्देश भी जारी करेगा.
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