उच्च न्यायालय में रिपोर्ट पेश नहीं कर पायी सीबीआइ

प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में सुप्रीम कोर्ट की रोक के कारण सीबीआइ कलकत्ता हाइकोर्ट को जांच की प्रगति रिपोर्ट नहीं सौंप सकी. सीबीआइ जांच रिपोर्ट लेकर हाइकोर्ट पहुंची थी, लेकिन उसे जमा नहीं कर पायी. इसके अलावा, हाइकोर्ट में प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार के मुख्य दो मामलों की सुनवाई भी नहीं हो पायेगी. हाइकोर्ट की न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी.

By Prabhat Khabar News Desk | July 30, 2024 11:14 PM

कोलकाता.

प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में सुप्रीम कोर्ट की रोक के कारण सीबीआइ कलकत्ता हाइकोर्ट को जांच की प्रगति रिपोर्ट नहीं सौंप सकी. सीबीआइ जांच रिपोर्ट लेकर हाइकोर्ट पहुंची थी, लेकिन उसे जमा नहीं कर पायी. इसके अलावा, हाइकोर्ट में प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार के मुख्य दो मामलों की सुनवाई भी नहीं हो पायेगी. हाइकोर्ट की न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी. उन्होंने कहा कि इस मामले की सुनवाई 17 सितंबर के बाद होगी. सीबीआइ ने नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले की जांच की और अदालत को बताया कि 2014 में 94 लोगों को अवैध तरीके से नौकरियां मिलीं. कलकत्ता हाइकोर्ट की न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने पिछले साल अक्तूबर में उन 94 लोगों की नौकरियां रद्द करने का आदेश दिया था. उन्होंने पैनल के प्रकाशन का भी आदेश दिया. बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने पैनल के प्रकाशन पर रोक लगा दिया. न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने वह फैसला सौमेन नंदी, रमेश मलिक के मामले में दिया था. हालांकि, बोर्ड ने उन 94 लोगों की नियुक्ति में अनियमितता को स्वीकार करते हुए उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया. इसके बाद कुछ बेरोजगारों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिस पर 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. मामले की अगली सुनवाई सितंबर में है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले की सुनवाई पर रोक लगाने जाने के बाद हाइकोर्ट ने सुनवाई को स्थगित कर दिया.

प्राथमिक शिक्षा पर्षद ने हाइकोर्ट को दी जानकारी, 2016 में नियुक्ति के लिए नहीं बनाया गया था अतिरिक्त पैनल

कोलकाता. वर्ष 2016 में हुई प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति में अतिरिक्त पांच फीसदी पैनल बनाया ही नहीं गया था. मंगलवार को प्राथमिक शिक्षा पर्षद की ओर से कलकत्ता हाइकोर्ट को यह जानकारी दी गयी. पर्षद के वकील ने कहा कि मूल पैनल में जिन्होंने नौकरी ज्वाइन नहीं की या अन्य कारणों से रिक्त पद का सृजन किया गया था, बाद में अगली नियुक्ति प्रक्रिया में इसे जोड़ दिया गया था. अतिरिक्त पैनल बनाने का सवाल ही नहीं उठता है. 20 अगस्त तक इसे लेकर न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने हलफनामा देने को कहा है. 2016 में प्राथमिक स्तर पर लगभग 42 हजार शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी. नियम के मुताबिक इसके पांच फीसदी (लगभग 2100) उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को लेकर अतिरिक्त पैनल तैयार किया जाता है. मूल पैनल से यदि कोई नौकरी ज्वाइन नहीं करता है, तो अतिरिक्त पैनल के अभ्यर्थियों को मौका दिया जाता है. मंगलवार को पर्षद ने बताया कि वर्ष 2016 में अतिरिक्त पैनल के नियम का पालन नहीं किया गया था. इसे लेकर एक अभ्यर्थी का मूल पैनल में नाम नहीं होने से उसने अतिरिक्त पैनल प्रकाशित करने का आवेदन किया था, लेकिन पर्षद की ओर से कोई पैनल नहीं बनाया गया. इसके बाद उन्होंने हाइकोर्ट का रुख किया था. इसी मामले की सुनवाई हाइकोर्ट में हुई. शिकायतकर्ता के वकील दिव्येंदु चटर्जी ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा पर्षद ने मेधा के आधार पर तालिका नहीं बनायी थी. अतिरिक्त पांच फीसदी पैनल भी नहीं बनाया गया था. पर्षद बार-बार यही कह रहा है कि पैनल की मियाद खत्म हो गयी है.

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