कोर्ट ने पूछा- निजी व्यक्तियों के हितों की रक्षा के लिए राज्य सरकार ने क्यों दायर की याचिका
गौरतलब है कि कलकत्ता हाइकोर्ट ने संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ अपराध और जमीन हड़पने के आरोपों की जांच सीबीआइ से कराये जाने का 10 अप्रैल को निर्देश दिया था. इसके खिलाफ राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की. उच्चतम न्यायालय ने इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि राज्य को कुछ निजी व्यक्तियों के हितों की रक्षा के लिए याचिकाकर्ता के रूप में क्यों आना चाहिए?
राज्य की ओर से पेश वकील ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के आदेश में की गयी कुछ टिप्पणियों से व्यथित है. अधिवक्ता ने कहा कि इसमें राज्य सरकार के बारे में टिप्पणियां की गयी हैं, जो अनुचित हैं, क्योंकि राज्य सरकार ने पूरी कार्रवाई की है. राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुनवाई की शुरुआत में कहा कि इस मामले की सुनवाई कुछ हफ्तों के बाद की जा सकती है, क्योंकि उनके पास कुछ बहुत महत्वपूर्ण जानकारी है, जिसे वे दाखिल करना चाहते हैं. पीठ ने मामले में सुनवाई को जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ जांच के आदेश पर कोई स्थगनादेश नहीं लगाया है. राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी याचिका में कहा है कि उच्च न्यायालय के 10 अप्रैल, 2024 के आदेश ने पुलिस बल सहित पूरे राज्य तंत्र को हतोत्साहित किया है. सीबीआइ संदेशखाली में प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों पर हमले के मामले की जांच पहले से ही कर रही है और एजेंसी ने पांच जनवरी की घटनाओं से संबंधित तीन प्राथमिकी दर्ज की हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है