तृण मूल के दो नेता ओं के ठिकानों पर सीबी आइ की छापेमारी
भाजपा कार्यकर्ता की हत्या का मामला
भाजपा कार्यकर्ता की हत्या का मामला
कोलकाता/हल्दिया. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव के दौरान व बाद में हुई हिंसा की घटनाओं की भी जांच कर रही है. गत विधानसभा चुनाव के दौरान पूर्व मेदिनीपुर में भाजपा के एक कार्यकर्ता जन्मेजय माइति की हत्या के मामले की जांच को लेकर सीबीआइ ने शुक्रवार को कांथी के मरिशदा थाना क्षेत्र के सिजुआ गांव में तृणमूल कांग्रेस के दो नेताओं के आवास पर छापेमारी की. अभियान में सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (सीएपीएफ) के जवान भी शामिल थे. सीबीआइ के अधिकारियों की एक टीम ने मामले की जांच के सिलसिले में शुक्रवार तड़के कांथी ब्लॉक-3 में तृणमूल नेता देबब्रत पांडा और एक अन्य ब्लॉक के अध्यक्ष नंददुलाल माइति के घरों में छापेमारी की.सीबीआइ के अनुसार, जन्मेजय दोलुई की हत्या के मामले में दर्ज प्राथमिकी में पांडा, नंद दुलाल के बेटे बुद्धदेव समेत 52 अन्य को आरोपित किया गया है. अभियान के दौरान बुद्धदेव घर पर नहीं था. बताया गया कि वह काम के सिलसिले में हावड़ा में है. ऐसे में केंद्रीय जांच एजेंसी के अधिकारियों ने नंद दुलाल व घर के अन्य सदस्यों से पूछताछ की. इधर, हत्याकांड की जांच के तहत देबब्रत का बयान भी दर्ज किया गया है. इसी दिन सीबीआइ के अधिकारियों की एक टीम मरिशदा के आइएनटीटीयूसी के नेता विकास बेज के आवास पर पहुंची. हालांकि. उस वक्त उनके घर के बाहर ताला लगा हुआ था. गौरतलब है कि एगरा के भाजपा कार्यकर्ता दोलुई की 2021 के विधानसभा चुनाव के दौरान हत्या कर दी गयी गयी थी. सीबीआइ के एक अधिकारी ने कहा कि 30 लोगों को हत्या के सिलसिले में पूछताछ के लिए तलब किया गया था, लेकिन उनमें से कोई सीबीआइ के समक्ष पेश नहीं हुआ था. सीबीआइ के अभियान को लेकर तृणमूल कांग्रेस की ओर से भाजपा पर निशाना साधा गया है. राज्य की उद्योग मंत्री व तृणमूल की प्रवक्ता डॉ शशि पांजा ने आरोप लगाया कि केंद्रीय जांच एजेंसी के इस अभियान से फिर एक बार साबित हो गया कि भाजपा केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है. भाजपा को लोकसभा चुनाव में बंगाल में करारी शिकस्त का डर सता रहा है, यही वजह है कि तृणमूल नेताओं व कार्यकर्ताओं पर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है. अबकी बार 400 सीट पाना, तो दूर भाजपा, सरकार भी नहीं बना पायेगी. इधर, भाजपा के नेताओं ने आरोप लगाया है कि तृणमूल के सत्ता में रहने के दौरान पूरे राज्य में अराजकता की स्थिति है. केंद्रीय जांच एजेंसी की तफ्तीश से तृणमूल भयभीत है, क्योंकि एक के बाद एक उसके नेताओं की पोल खुल रही है.
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