राज्य में 26 तक तैनात रहेंगे केंद्रीय बल के जवान
कलकत्ता हाइकोर्ट की एक खंडपीठ ने शुक्रवार को राज्य में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की तैनाती 26 जून तक बढ़ा दी है.
कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट की एक खंडपीठ ने शुक्रवार को राज्य में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की तैनाती 26 जून तक बढ़ा दी है. शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश हरीश टंडन और न्यायाधीश हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने कहा कि राज्य के कई हिस्सों से अभी भी चुनाव बाद हिंसा की खबरें सामने आ रही हैं, इसलिए अभी यहां से केंद्रीय बलों को हटाया नहीं जा सकता. गौरतलब है कि इससे पहले चुनाव आयोग ने 19 जून तक केंद्रीय बलों को 19 जून तक यहां रखने का निर्देश दिया था. इसके बाद हाइकोर्ट ने इस समय-सीमा को 21 जून तक बढ़ा दिया था. अब कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश हरीश टंडन और न्यायाधीश हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने शुक्रवार दोपहर को विस्तृत सुनवाई के बाद 400 कंपनियों का रिटेंशन 26 जून तक बढ़ा दिया है. मंगलवार तक हिंसा से विस्थापित लोगों को घर लौटाने का निर्देश खंडपीठ ने राज्य के विभिन्न हिस्सों से चुनाव के बाद की हिंसा से संबंधित शिकायतों के निरंतर प्रवाह पर भी कुछ तल्ख टिप्पणियां की हैं. खंडपीठ ने कहा कि इस संबंध में पहले भी कई शिकायतें सामने आ चुकी हैं और हर दिन नयी शिकायतें सामने आ रही हैं. हम राज्य में चुनाव बाद हिंसा की घटनाओं के परिदृश्य की स्पष्ट तस्वीर चाहते हैं. हम चाहते हैं कि विस्थापित अगले मंगलवार तक अपने घरों को लौट जायें. पुलिस को उन इलाकों में अधिक सक्रिय होने की जरूरत है, जहां से लगातार शिकायतें सामने आ रही हैं. छह से 18 जून तक राज्य में चुनाव बाद हिंसा की हुई हैं 859 घटनाएं शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अधिवक्ता ने हाइकोर्ट में बताया कि छह से 18 जून तक राज्य में 859 चुनाव बाद हिंसा की घटनाएं हुई हैं और इसमें से 204 मामलों में एफआइआर दर्ज की गयी हैो. हालांकि, राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि मामलों की संपूर्ण जांच करना जरूरी है. राज्य सरकार ने कहा कि अगर ऐसा देखा, तो प्रत्येक जिले में औसतन मात्र 10 मामले ऐसे हैं, जिन्हें लेकर आपराधिक मामले दर्ज किये गये हैं. 175 मामले ऐसे हैं, जो आपराधिक नहीं हैं. गौरतलब है कि इससे पहले 18 जून को राज्य सरकार ने डिविजन बेंच में एक रिपोर्ट पेश कर बताया था कि राज्य के पुलिस महानिदेशक के कार्यालय को छह से 12 जून तक चुनाव बाद हिंसा की 560 शिकायतें मिलीं, जिनके आधार पर 107 एफआइआर दर्ज की गयी हैं.वहीं, शुक्रवार को राज्य सरकार के वकील ने अदालत में सवाल उठाया कि क्या सरकार की अनुमति के बिना सीएपीएफ कंपनियों को इतने लंबे समय तक बनाये रखा जा सकता है. इसके जवाब में केंद्र सरकार के वकील ने दावा किया कि अदालत को सौंपी गयी राज्य सरकार की रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि स्थिति में बहुत सुधार नहीं हुआ है और इसलिए सीएपीएफ कंपनियों को कुछ और समय के लिए बरकरार रखा जाना चाहिए. शुक्रवार को अंतत डिविजन बेंच ने केंद्र सरकार के वकील की दलील को स्वीकार कर लिया और 26 जून तक सीएपीएफ को तैनात रखने का आदेश दिया.
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