आरआइओ में पहली बार शिशु की आंखों की हुई कीमोथेरेपी

शिशु दक्षिण 24 परगना के सिद्धिबेरिया की रहने वाली है. अस्पताल के निदेशक प्रोफेसर डॉ असीम घोष ने बताया कि मरीज की उम्र दो साल नौ माह है. उसका नाम पृथा है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 16, 2024 12:25 AM

कोलकाता. रीजनल इंस्टीटयूट ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी (आरआइओ) में नेत्र कैंसर से पीड़ित एक शिशु की ऑप्थेल्मिक कीमोथेरेपी (आंखों की कीमोथैरेपी) की गयी. पूर्वी भारत में पहली बार किसी सरकारी अस्पताल में ऐसी चिकित्सा की गयी है. शिशु दक्षिण 24 परगना के सिद्धिबेरिया की रहने वाली है. अस्पताल के निदेशक प्रोफेसर डॉ असीम घोष ने बताया कि मरीज की उम्र दो साल नौ माह है. उसका नाम पृथा है. कैंसर पीड़ित होने के कारण आरआइओ के चिकित्सकों ने पहले ही शिशु की बायीं आंख निकाल दी है. पृथा की बायोप्सी में पता चला कि जानलेवा बीमारी उसकी दाहिनी आंख तक फैल चुकी है. कोलकाता मेडिकल कॉलेज के तीन विभाग और आरआइओ डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्य कर्मियों ने बंगाल में शिशु की आंखों के कैंसर को एडवांस्ड कीमोथेरेपी से ठीक किया. इसे बोलचाल की भाषा में ऑप्थेल्मिक कीमोथेरेपी भी कहा जाता है. आरआइओ के निदेशक प्रोफेसर गोष ने बताया कि यह नयी तकनीक एडवांस्ड कीमोथेरेपी का नाम इंट्रा ऑप्थैल्मिक आर्टरी मेल्फालान है. इस विधि से कीमोथेरेपी सीधे कैंसर ग्रस्त आंख के ट्यूमर (रेटिनोब्लास्टोमा) पर लागू की जाती है. यह इतना संवेदनशील है कि कैंसर विशेषज्ञों की देखरेख में पूरी प्रक्रिया को करना पड़ा. गत बुधवार को आरआइओ के ऑपरेशन थिएटर में कोलकाता मेडिकल कॉलेज के मेडिकल ऑन्कोलॉजी और रेडियोथेरेपी के डॉक्टर भी मौजूद थे. यह प्रक्रिया करीब ढाई घंटे तक चली. आरआइओ के निदेशक डॉ असीम घोष ने कहा कि कम से कम चार बार शिशु को इस तरह की ऑप्थेल्मिक कीमोथेरेपी की आवश्यकता पड़ सकती है. प्राइवेट में इसके इलाज पर 10 लाख रुपये से ज्यादा का खर्च आ सकता है. यहां निःशुल्क चिकित्सा की गयी है. नयी तकनीक की सफलता दर लगभग 80 प्रतिशत है. उम्मीद है कि इलाज के बाद शिशु कैंसर को मात दे दे.

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