बूथ स्तरीय संगठनात्मक नेटवर्क के पुनर्गठन पर प्रदेश भाजपा का जोर

लोकसभा चुनाव में राज्य में भाजपा को आशा के अनुरूप परिणाम नहीं मिला, जिससे राज्य से लेकर केंद्रीय स्तर तक के नेता चिंतित हैं. भाजपा को उम्मीद थी कि इस बार के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल उनके लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला राज्य होगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. अब राज्य में निराशाजनक परिणामों के पीछे के कारणों को लेकर भाजपा में मंथन चल रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 8, 2024 9:12 PM

कोलकाता.

लोकसभा चुनाव में राज्य में भाजपा को आशा के अनुरूप परिणाम नहीं मिला, जिससे राज्य से लेकर केंद्रीय स्तर तक के नेता चिंतित हैं. भाजपा को उम्मीद थी कि इस बार के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल उनके लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला राज्य होगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. अब राज्य में निराशाजनक परिणामों के पीछे के कारणों को लेकर भाजपा में मंथन चल रहा है. इस बीच, पता चला है कि प्रदेश भाजपा ने पार्टी के बूथ स्तरीय संगठनात्मक नेटवर्क में कुछ कमजोरियों की पहचान की है, जो 2019 में 18 से इस बार 12 सीटों पर आने का मुख्य कारण है. प्रदेश भाजपा के सूत्रों ने कहा कि 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले कमजोरियों को दूर करने की योजना बनाने के लिए सभी जिला और ब्लॉक-स्तरीय समितियों के पदाधिकारियों के साथ तत्काल बैठक करने का निर्णय लिया गया है.

भाजपा की राज्य समिति के एक सदस्य ने कहा कि उन लोकसभा सीटों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिन्हें पार्टी इस बार बरकरार रखने में विफल रही. उन सीटों पर भी ध्यान दिया जायेगा, जहां पार्टी के उम्मीदवार एक लाख से कम वोटों से हारे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ बूथ स्तरीय समितियों ने जमीनी स्तर पर संगठनात्मक ढांचे की सही तस्वीर नहीं दी.

सदस्य के अनुसार चुनाव से पहले, कई बूथ स्तरीय समितियों ने बताया कि वे सभी बूथों पर मतदान एजेंट तैनात कर सकेंगे. हालांकि, जब मतदान प्रक्रिया शुरू हुई, तो यह देखा गया कि हमारे एजेंट कुछ बूथों पर तैनात नहीं किये जा सके. उन्होंने कहा कि राज्य समिति अब बूथ स्तरीय समितियों द्वारा पार्टी नेतृत्व के समक्ष सही तस्वीर पेश करने के बारे में गंभीर है, ताकि समय रहते सुधारात्मक उपाय अपनाये जा सकें.

राज्य समिति सदस्य ने यह भी कहा कि निचले स्तर की समितियों के साथ बैठकें करना जमीनी कार्यकर्ताओं को यह संदेश देने के लिए जरूरी है कि वे चुनाव परिणामों से निराश न हों और इसके बजाय 2026 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए स्थानीय लोगों के साथ अधिक गहन बातचीत पर ध्यान केंद्रित करें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version