हावड़ा को लेकर सीएम की नाराजगी जायज : अरूप

राज्य सचिवालय नबान्न में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हावड़ा नगर निगम और बाली नगरपालिका के कामकाज पर असंतोष जताते हुए निगम के प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन, हावड़ा के चार विधायकों और बाली नगरपालिका के प्रशासक को जमकर खरी-खोटी सुनायी.

By Prabhat Khabar News Desk | June 25, 2024 2:23 AM

संवाददाता, हावड़ा

राज्य सचिवालय नबान्न में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हावड़ा नगर निगम और बाली नगरपालिका के कामकाज पर असंतोष जताते हुए निगम के प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन, हावड़ा के चार विधायकों और बाली नगरपालिका के प्रशासक को जमकर खरी-खोटी सुनायी. सीएम ने कहा कि हावड़ा में नालों की सफाई नहीं होती. तीन-तीन महीने तक जलजमाव रहता है. अवैध निर्माण धड़ल्ले से हो रहा है. मुख्यमंत्री के इस बयान पर मध्य हावड़ा के विधायक व मंत्री अरूप राय ने कहा कि उनकी बातें और नाराजगी जायज हैं. शहर में अवैध निर्माण बेरोक-टोक जारी है. जी प्लस टू का प्लान पास करा प्रमोटर बड़े आराम से जी प्लस 5 बना रहे हैं. उन्हें किसी का खौफ नहीं है. इस मामले में पुलिस भी सक्रिय नहीं है. इस सिस्टम को बदलने की जरूरत है. श्री राय ने कहा कि पूर्व मेयर डॉ रथीन चक्रवर्ती ने पूरे शहर को बर्बाद कर दिया. उन्होंने कहा कि अवैध निर्माण रोकने के लिए उन्होंने खुद शहरी विकास मामलों के मंत्री फिरहाद हकीम से कार्रवाई करने की मांग की थी. हालांकि, उन्होंने माना कि निगम में छह साल से बोर्ड नहीं होने के कारण कामकाज पर असर पड़ रहा है. श्री राय ने कहा कि आगामी निगम चुनाव में पार्टी उन्हें ही उम्मीदवार बनाये, जिनकी छवि साफ हो. क्योंकि जब तक ईमानदार लोगों को जिम्मेदारी नहीं दी जायेगी, यह स्थिति नहीं बदलेगी. उन्होंने सीएम के इस बात से इंकार किया कि विधायक निगम के कामकाज में हस्तक्षेप करते हैं. उन्होंने कहा कि वह खुद ऐसा नहीं करते हैं. बल्कि निगम के कई मामलों में वह मदद करते आये हैं. वह अपने विधायक फंड से शरत सदन के मरम्मत कार्य के लिए 60 लाख रुपये दे चुके हैं. शहर में पेयजल की समस्या होने पर वह निगम आयुक्त एवं निगम प्रशासक को फोन करके समस्या सुलझाने के लिए कहते हैं. इससे अधिक निगम के कामकाज से उनका कोई नाता नहीं है.

वहीं, उत्तर हावड़ा के विधायक गौतम चौधरी ने भी माना कि शहर में अवैध निर्माण हो रहा है, लेकिन इसे रोकना निगम का काम है. श्री चौधरी ने भी निगम के कामकाज पर सवाल उठाते हुए कहा कि नालों की सफाई समय पर नहीं होती है. टेंडर प्रकिया में इतना समय लग जाता है कि बारिश होने के पहले नालों की सफाई शुरू होती है, जबकि यह काम दिसंबर और जनवरी के बीच होना चाहिए.

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