कोलकाता. राज्य सरकार ने हाल ही में लागू किये गये आपराधिक कानूनों की समीक्षा करने के लिए सात सदस्यीय समिति गठित करने का प्रस्ताव पारित किया है, ताकि अन्य बातों के साथ-साथ यह निर्धारित किया जा सके कि क्या राज्य स्तर पर कानूनों के नाम बदलने की आवश्यकता है या नहीं. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा लागू किये गये भारतीय न्याय संहिता की समीक्षा के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है. राज्य के गृह विभाग द्वारा सात सदस्यीय समीक्षा समिति का गठन किया गया है और इस समिति का अध्यक्ष एक पूर्व न्यायाधीश को बनाया गया है. यह समिति इन तीनों बिलों की समीक्षा के लिए बनायी गयी है. मूलतः, केंद्रीय न्याय संहिता में राज्य सरकार अपनी आवश्यकतानुसार संशोधन कर सकती है या नहीं? इस समीक्षा समिति का गठन उसी से जुड़े मामले का खुलासा करने के लिए किया गया है. गृह विभाग का कहना है कि राज्य ने इस संबंध में केंद्र को कुछ प्रस्ताव दिये थे, लेकिन केंद्र ने राज्य द्वारा दिये गये इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया, इसलिए यह समीक्षा समिति बनायी गयी है. समिति को इस बात की समीक्षा करनी है कि आपराधिक कानून में संशोधन किया जा सकता है या नहीं. यह कमेटी सभी पहलुओं की समीक्षा कर तीन महीने में रिपोर्ट देगी. यह कमेटी पूर्व जस्टिस असीम कुमार रॉय के नेतृत्व में बनायी गयी है, जिसमें और छह सदस्य शामिल हैं.
समिति में कौन-कौन हैं शामिल
इस समिति में कलकत्ता हाइकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश व लोकायुक्त असीम कुमार रॉय को अध्यक्ष बनाया गया है. इसके अलावा राज्य के श्रम विभाग, न्यायिक व विधि विभाग के मंत्री मलय घटक, राज्य की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, महाधिवक्ता किशोर दत्ता, सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ स्थायी वकील संजय बसु, राज्य के डीजीपी राजीव कुमार व कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल शामिल हैं.
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