केएनयू के वीसी पर गबन की थाने में शिकायत

काजी नजरुल विवि के कुलपति के खिलाफ तृणमूल छात्र परिषद का आंदोलन तेज

By Prabhat Khabar News Desk | July 21, 2024 12:50 AM

आसनसोल. काजी नजरूल विश्वविद्यालय (केएनयू) के कार्यवाहक कुलपति डॉ. देबाशीष बंधोपाध्याय के खिलाफ जनता के पैसे गबन करने और कुलपति को मिलनेवाली सारी सुख सुविधाओं का धोखाधड़ी से उपयोग करने का आरोप लगाते हुए तृणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी) पश्चिम बर्दवान के जिलाध्यक्ष अभिनव मुखर्जी ने आसनसोल नॉर्थ थाना में शिकायत दर्ज करायी. इस शिकायत में एक दर्जन से अधिक छात्रों ने भी हस्ताक्षर किया और शिकायत के आधार पर डॉ. बंधोपाध्याय के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अपील की है. शिकायत के यह भी कहा गया है कि विश्वविद्यालय का इनोवा कार एक जुलाई 2024 से गायब है. उक्त कार विश्वविद्यालय के नियमित कुलपति के लिए निर्धारित है. इस शिकायत के बाद से विश्वविद्यालय में डॉ. बंधोपाध्याय के खिलाफ टीएमसीपी का आंदोलन काफी तेज हो गया है.

गौरतलब है कि केएनयू के कार्यवाहक कुलपति डॉ. बंधोपाध्याय का इस्तीफा, छात्रों से ली गयी फीस का खर्च विश्वविद्यालय के विकास के बजाय अदालती कार्रवाई पर खर्च करने, अदालती कार्रवाई पर कितना पैसा खर्च हुआ इसका स्वेतपत्र जारी कर हिसाब देने, लॉ की पढ़ाई तीन साल का करने, लॉ का सेमेस्टर फीस 20 हजार रुपये से घटाकर दस हजार रुपये करने, विश्वविद्यालय में बस परिसेवा पुनः शुरू करने, विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा का माहौल देने की मांग को लेकर टीएमसीपी ने विश्वविद्यालय में आंदोलन शुरू किया. जिसके तहत कुलपति और रजिस्ट्रार के कार्यालय में ताला जड़ दिया गया.

टीएमसीपी के इस आंदोलन में वेस्ट बंगाल कॉलेज यूनिवर्सिटी प्रोफेसर्स एसोसिएशन (वेबकूपा) भी शामिल हो गयी. टीएमसीपी के इस आंदोलन के खिलाफ विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने पेन डाउन कर दिया. जिससे लॉ विभाग के 245 छात्रों का काउंसिलिंग रूक गया. जिसपर अभिभावक भी भड़क गये और रजिस्ट्रार का कार्यालय का ताला तोड़ दिया. मामला किसी तरह शांत हुआ है. वेबकूपा के जिलाध्यक्ष डॉ. वीरू रजक ने आकर अभिभावकों से बात की और छात्रों का काउंसिलिंग शुरू कराया.

रजिस्ट्रार का कार्यालय तो खुल गया लेकिन कुलपति के कार्यालय में अभी भी ताला जड़ा हुआ है और भरप्राप्त कुलपति एक जुलाई से विश्वविद्यालय में नहीं आये हैं.

वीसी के खिलाफ छात्र व शिक्षकों के आंदोलन का चल रहा ट्रेंड

केएनयू में पूर्व अंतरिम कुलपति डॉ. साधन चक्रवर्ती के खिलाफ शिक्षक और छात्रों का 62 दिनों तक आंदोलन चला था. यह आंदोलन विश्वविद्यालय से निकलकर सड़कों पर आ गया. आखिरकार अंतरिम कुलपति को यहां से हटना पड़ा और कार्यवाहक कुलपति के रूप में डॉ. देबाशीष बंधोपाध्याय की नियुक्ति हुई. राज्य सरकार इस नियुक्ति के खिलाफ थी. जिसके बाद से ही समय समय पर टकराव होता रहा. इसबार आंदोलन काफी उग्र शुरू हो गया है. 12 दिनों से आंदोलन चल रहा है और डॉ. बंधोपाध्याय भी विश्वविद्यालय में नहीं आये हैं. इस बीच उन्होंने कुलधिपति सह राज्यपाल को अपना इस्तीफा भी दिया था लेकिन वह मंजूर नहीं हुआ. आंदोलन की कड़ी में टीएमसीपी ने उनपर गंभीर आरोप लगाते हुए आसनसोल नॉर्थ थाना में शिकायत दर्ज करायी. जिसमें कहा गया कि कुलपति का इनोवा कार मिसिंग है. सूचना मिली है कि उक्त कार का उपयोग डॉ. देबाशीष बंधोपाध्याय कर रहे हैं. जो खुद को विश्वविद्यालय का कुलपति बता रहे हैं. आठ जुलाई 2024 को सर्वोच्च न्यायालय ने यह साफ कह दिया है कि डॉ. बंधोपाध्याय केएनयू के न तो कुलपति हैं और न ही अंतरिम कुलपति हैं. वे नियमित कुलपति को मिलनेवाली किसी भी भत्ते, सुविधा या लाभ के हकदार नहीं हैं. उन्हें केवल कुलपति के कर्तव्यों का पालन करने के लिए अधिकृत किया गया है. डॉ. बंधोपाध्याय कुलपति को मिलनेवाली सुविधाओं का धोखाधड़ी से उपयोग कर रहे हैं. ऐसे में सार्वजनिक धन के गबन के मामले में उनपर प्राथमिकी दर्ज हो. विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर ने कहा कि टीएमसीपी का यह आरोप निराधार है. जो व्यक्ति कुलपति के कर्तव्यों का पालन करेगा वह तो उसकी सुविधाएं भी लेंगे. वह कुलपति के कार्यालय में बैठेंगे, मकान में रहेंगे, वाहन का उपयोग करेंगे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version